बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा ( Sharda Sinha ) ने 72 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाय ( Nahay Khay ) पर उनका दिल्ली के एम्स ( AIIMS ) अस्पताल में 5 नवंबर को निधन हो गया। आपको बता दें कि शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1951 को बिहार के सुपौल ( Supaul, Bihar ) में हुआ था। उनके पिता भी संगीत प्रेमी थे और उन्हें बचपन से ही संगीत का शौक था। पहली बार उन्होंने अपने भाई की शादी में गाना गाया था और उनकी आवाज को सभी ने खुब पसंद किया था।
Sharda Sinha Death : बिहार की लोक गायिका ने एम्स में ली अंतिम सांस
काहे तोहसे सजना से शुरू किया सफर
जानकारी के मुताबिक शारदा सिन्हा का बॉलीवुड सफर 1989 में सलमान खान की फिल्म मैंने प्यार किया (Maine Pyar Kiya) के काहे तोहसे सजना ( Kahe Tohse Sajna ) गाने से शुरू हुआ, जो आज भी लोगों की पसंद बना हुआ है। इसके बाद "हम आपके हैं कौन" ( Hum Aapke Hain Koun ) का विदाई गीत बाबुल ( Babul ) और नदिया के पार (Nadiya Ke Paar) का जब तक पूरे न हो फेरे सात (Jab Tak Poore Na Ho Fere Saat) भी काफी प्रसिद्ध हुए।
छठ पर्व से खास जुड़ाव
शारदा सिन्हा का छठ पर्व ( Chhath Parv ) से खास जुड़ाव था। उनके गाए "पहिले पहिल कइनी छठ" (Pahile Pahil Kailee Chhath) को छठ पर्व का प्रतीक गीत माना जाता है। इस गीत के बिना छठ पर्व अधूरा लगता है। उनके छठ गीत आज भी भारत और दुनिया भर में सुनाए जाते हैं, खासकर दिवाली और छठ के अवसर पर।
कई पुरस्कारों से नवाजा गया
अपने अनोखे अंदाज और संगीत के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें पद्म श्री ( Padma Shr i) (1995) और पद्म भूषण ( Padma Bhushan )2018 शामिल हैं। शारदा सिन्हा की अनुपस्थिति से संगीत प्रेमियों के बीच शोक का माहौल है, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।
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