भगवान नहीं हैं धीरेंद्र शास्त्री, गलती की मैंने... शिवरंजनी ने बताया क्यों कहा था धीरेंद्र शास्त्री को प्राणनाथ

शिवरंजनी तिवारी ने कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री को अपना 'प्राणनाथ' बताया था लेकिन अब वह शादी वाली बात से मुकर गई हैं। उन्होंने मीडिया के कई सवालों के जवाब दिए हैं।

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Vikram Jain
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Shivranjani reaction to the talk of marriage with Dhirendra Shastri
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Shivranjani's reaction on Dhirendra Krishna Shastri

बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विवाह को लेकर हमेशा चर्चा होते रहती हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शादी कब करेंगे?... यह सवाल सबका होता हैं। मीडिया के इस तरह सवाल पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था था वो शादी की तारीख जल्द ही बता देंगे। अगर कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के विवाह की बात करते हैं तो एक नाम मुख्य रूप से मामने आता आता है वो शिवरंजनी तिवारी का है। शिवरंजनी ने इससे पहले धीरेंद्र शास्त्री को अपना 'प्राणनाथ' बताया था लेकिन अब वह शादी वाली बात से मुकर गई हैं।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से जुड़े सवालों के दिए जवाब

1300 किमी का पैदल सफर कर बाबा बागेश्वर धाम पहुंच कर चर्चा में आईं शिवरंजनी तिवारी ने मीडिया पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विवाह को लेकर हो रही चर्चा पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से जुड़े मीडिया के सवालों के जबाव दिए है। आईए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा....  

क्यों कहा था प्राणनाथ....

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को प्राणनाथ कहने और इसके हुए विवाद पर शिवरंजनी ने कहा कि 
धीरेंद्र शास्त्री जी को मैं प्राणनाथ इसलिए कहती हूं जैसे हर किसी कन्या के चार पति होते है। पहले पति राष्ट्रपति होते हैं, दूसरे कुलपति होते हैं, तीसरे धर्मपति होते हैं, चौथे हमारे प्राणपति आते हैं, जो हम भगवान को कह सकते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जिस तरह से चमत्कार दिखा रहे हैं, तो वह मेरे से हिसाब से भगवान का अवतार हैं, इसलिए उन्हें प्राणपति कह दिया।

गलती थी मैंने उन्हें भगवान माना... 

प्राणपति कहने के सवाल पर उन्होंने आगे कहा कि हां, बालाजी सरकार से मेरी आस्था थी, मुझे नहीं पता कि अब इस बात वो किस तरह से ले रहे हैं। लेकिन हां जिस तरह से उनके हावभाव बदलते जा रहे हैं, शायद धीरेंद्र शास्त्री भगवान नहीं हैं, मेरी गलती थी मैंने उन्हें अपना भगवान माना।

भगवा कपड़े के विवाद पर कहा...

भगवा कपड़े पर हुए विवाद और धमकी को लेकर शिवरंजनी ने कहा कि मुझसे ये कहा गया था कि आपको भगवावस्त्र नहीं पहनना चाहिए, इसलिए मैंने उनसे मिलने (धीरेंद्र शास्त्री) के लिए भगवा वस्त्र में ही यात्रा शुरू की थी। उन्होंने आगे कहा कि ये अधिकार किसी को नहीं है उसने किस कलर का कपड़ा पहना हुआ है, ये सबकी अपनी निजी पसंद है। 

धर्म के ठेकेदार बनने वालों से मैं कहना चाहूंगी कि अभी मैंने देश की आजादी का पर्व मनाया है। इसलिए हमें ये बताने की जरूरत नहीं है कि हमें क्या पहनना है और क्या नहीं... शिवरंजनी ने कहा कि जान से मारने की कई बार धमकियां भी मिली है। सोशल मीडिया पर पोस्ट के बाद ट्रोल किया जाता था। लेकिन उन्होंने ऐसे लोगों की नजर अंदाज कर दिया।

हर किसी को अपनी बात कहने की आजादी

धीरेंद्र शास्त्री को लेकर बयानों पर शिवरंजनी ने कहा कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जो भी बयान आते हैं, इस बयान पर हमारे श्रोताओं के रिएक्शन आते हैं, वो बिल्कुल सही है। क्योंकि हमारा देश आजाद है, इस देश में हर किसी को अपनी बात कहने की आजादी है। 

धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर बोलीं शिवरंजनी

जो वंदे मातरम नहीं कह सकता उसे इस देश में रहने का हक नहीं...  वाले धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर भी शिवरंजनी ने कहा कि हमारे देश में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं, कोई राम को मानता है, कोई रहीम को मानता है, कोई भगवान बुद्ध को मानता है। वंदे मातरम कहने को लेकर उन्होंने साफ कहा कि अगर आप हमारे देश में रह रहे हैं तो आपको कहना पड़ेगा। मेरा ऐसा मानना है कि हर किसी को अपने देश के प्रति ईमानदार होना चाहिए।

कब चर्चा में आई शिवरंजनी

बता दें कि शिवरंजनी उस वक्त चर्चा में जब उन्होंने गंगोत्री से पैदल कलश यात्रा शुरू की थी। इसके बाद वह 1300 किमी का सफर तय करके यूपी होते हुए एमपी के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम तक पहुंची थीं। इस दौरान भीषण गर्मी में उनकी तबीयत भी बिगड़ गई थी। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए छतरपुर के अस्पताल में भर्ती किया गया था।

भगवा वस्त्र का मामला

इस दौरान शिवरंजनी के भगवा वस्त्रों को शंकराचार्य ज्योतिष पीठ के मीडिया प्रभारी डॉक्टर शैलेंद्र योगीराज सरकार ने सवाल उठाए थे। शैलेंद्र योगीराज सरकार ने कहा था कि भगवा वस्त्र धारण कर प्राणनाथ को प्राप्त करना यानि विवाह का संकल्प लेकर चलना सनातन धर्म की हानि है। वो (शिवरंजनी) सनातन धर्म को क्षति पहुंचा रही हैं।

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