NEW DELHI. मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। गुरुवार को हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी। साथ ही हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को अस्वीकार कर दिया। यह फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया है।
हिंदू पक्ष ने दिया ये तर्क
हिंदू पक्ष की ओर से यह दावा करते हुए याचिका डाली गई थी कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया मस्जिद नहीं है। वह भगवान कृष्ण का गर्भगृह है। हिंदू पक्ष का तर्क था कि इस मामले पर पूजा स्थल अधिनियम या वक्फ बोर्ड कानून लागू नहीं होता है। उनका कहना है कि शाही ईदगाह परिसर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर स्थित है। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि समझौते के तहत मंदिर की जमीन शाही ईदगाह कमेटी को दी गई, जो नियमों के खिलाफ है।
मुस्लिम पक्ष का तर्क
हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल 18 याचिकाओं को शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने हाईकोर्ट में ऑर्डर 7, रूल 11 के तहत चुनौती दी थी। मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया था कि यह विवाद 1968 के समझौते का है और इतने साल बाद समझौते को चुनौती देना उचित नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि मुकदमा सुनवाई के योग्य नहीं है। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को अस्वीकार कर दिया।
याचिकाओं की पोषणीयता को दी चुनौती
बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी याचिकाओं की पोषणीयता को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इन याचिकाओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। वहीं, हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की सिविल वाद की पोषणीयता वाली याचिकाएं मंजूर कर ली। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव और सात अन्य की तरफ से दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर याचिकाएं दायर की गईं थी। इससे पहले 6 जून को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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