अब दुनिया गाएगी श्रीराम की गाथा , UNESCO ने लिया ये फैसला

भारत के संस्कृति मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि रामचरितमानस , पंचतंत्र और सह्रदयलोक-लोकन जैसी रचनाओं ने भारतीय संस्कृति और साहित्य को गहराई से प्रभावित किया है...

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Sandeep Kumar
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ये खबर सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है कि, उनकी सांस्कृतिक-साहित्यिक धरोहर को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया पैसिफिक के रीजनल रजिस्टर में शामिल कर लिया है। रामचिरतमानस ( Ramcharitmanas ) और पंचतंत्र ( Panchatantra ) अब वैश्विक स्तर पर भी पहचान बनेंगे। 2024 के संस्करण में एशिया पैसिफिक की 20 धरोहरों को शामिल किया गया है, जिनमें रामचरित मानस और पंचतंत्र के साथ ही सहृदयालोक-लोकन की पांडुलिपि भी है। भारतीय जहां बचपन से ही पंचतंत्र की कहानियां सुनते हैं, उनसे सीख लेते हैं वहीं गोस्वामी तुलसीदास लिखित रामचरितमानस के पाठ करते हैं, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं भी जु़ड़ी हुई हैं।

दो संस्कृत और एक अवधी भाषा की रचना

संस्कृति मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि रामचरितमानस, पंचतंत्र और सह्रदयलोक-लोकन जैसी रचनाओं ने भारतीय संस्कृति और साहित्य को गहराई से प्रभावित किया है। इन साहित्यिक रचनाओं सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर के लोगों पर भी गहरा असर छोड़ा है। यूनेस्को की तरफ से इन रचनाओं को मान्यता मिलना भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए गौरव की बात है। साथ ही यह सम्मान भारतीय संस्कृति के संरक्षण की तरफ नई कदम बढ़ाने में मदद करेगा। रामचरितमानस भगवान राम के चरित्र पर आधारित धार्मिक ग्रंथ है जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा। पंचतंत्र मूल रूप से संस्कृत भाषा की रचना जिसमें दंत और लोक कथाएं शामिल हैं,इस विष्णु शर्मा ने लिखा है। वहीं सहृदयलोक-लोकन की रचना आचार्य आनन्दवर्धन ने संस्कृत में की थी।

क्या है मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड का उद्देश्य

मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड का उद्देश्य ही है कि विश्व की सभी मुख्य सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजा जाए। इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को उनके प्रति जागरुक भी किया जा सके। यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (UNESCO) ने रामचरित मानस, पंचतंत्र और सह्रदयलोक-लोकन को वैश्विक मान्यता दी है। इन साहित्यिक रचनाओं को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर ( MOWCAP ) में शामिल किया गया है। द मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड ( MoW ) इंटरनेशनल एडवाइजरी और एग्जीक्यूटिव बोर्ड की तरफ से रिकमेंड किए गए दस्तावेजों को वैश्विक महत्व और यूनिवर्सल वैल्यू के आधार पर इस लिस्ट में शामिल करता है। रीजनल रजिस्टर में शामिल दस्तावेजों को विश्व स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है। साथ ही एक देश की संस्कृति दुनिया के कई देशों तक पहुंचती है।

38 देशों ने दी इन रचनाओं को मान्यता

इन रचनाओं को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (IGNCA) की तरफ से रीजनल रजिस्टर के लिए नामांकित किया गया था। उलनाबटार में MOWCAP की बैठक में इन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने वाले IGNCA कला विभाग के HOD प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने बताया कि UNESCO के 38 सदस्य और 40 ऑब्जर्वर देशों ने इन साहित्यिक रचनाओं के वैश्विक महत्व को पहचान कर इन्हें मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय संस्कृति के प्रसार और संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित होगी। 

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