BHOPAL. बॉम्बे हाई कोर्ट ने माता-पिता को परेशान करने वाले बेटे-बहू को घर से निकालने का निर्णय लिया है। बता दें कि कोर्ट ने पति-पत्नी को 10 दिन के भीतर फ्लैट खाली करने का आदेश दिया है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने ये निर्देश 70 वर्षीय बुजुर्ग दंपती की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। कोर्ट का कहना है कि 10 दिन के अंदर यदि बेटे-बहू घर खाली नहीं करते तो सीनियर सिटीजन ट्राइब्यूनल के आदेश को कड़ाई से लागू किया जाएगा, जिसमें बेटे-बहू को जेल भेजने तक का निर्देश दिया गया है, जबकि अपीलेट ट्राइब्यूनल को बेटे-बहू की अर्जी पर 6 सप्ताह में निर्णय लेने को कहा गया है।
माता-पिता को प्रताड़ित करते थे बेटे-बहू
बता दें कि बेटे-बहू की बदसलूकी से परेशान माता-पिता ने सीनियर सिटीजन ट्राइब्यूनल में अर्जी दी थी। ट्राइब्यूनल ने जून, 2022 में बेटे-बहू को घर खाली करने और 5 हजार रुपये भरण-पोषण के रूप में देने का आदेश दिया था। ट्राइब्यूनल कोर्ट के इस आदेश का डेढ़ साल बाद भी जब कोई अमल नहीं हुआ, तो बुजुर्ग दंपती ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका के अनुसार, बुजुर्ग ने 2002 में खारघर में फ्लैट खरीदा था। फ्लैट के लिए पिता ने बेटे के साथ संयुक्त रूप से लोन लिया था, लेकिन बेटे ने लोन की रकम का भुगतान नहीं किया। उलटे बेटे ने पत्नी के साथ मिलकर बुजुर्ग दंपती को यातना देना शुरू कर दिया। पारिवारिक कलह से त्रस्त बुजुर्ग दंपती ने ट्राइब्यूनल से मदद मांगी।
नोटिस जारी होने के बावजूद बेटे-बहू नहीं पहुंचे हाईकोर्ट
जानकारी के मुताबिक घर खाली करने के आदेश को लागू न किए जाने पर पुलिस के प्रति बेंच ने असंतोष व्यक्त किया, जबकि ट्राइब्यूनल के जवाब पर प्रसन्नता जाहिर की। हाई कोर्ट की ओर से नोटिस जारी होने के बावजूद बेटे-बहू हाईकोर्ट में नहीं आए। इसे देखते हुए बेंच ने कहा, हमें बेटे-बहू की अपील को लेकर संदेह है। ट्राइब्यूनल के जून, 2022 के आदेश पर अब तक कोई रोक नहीं लगाई गई है, जबकि इस आदेश को जारी किए डेढ़ साल हो गए हैं। हमारी राय में ये स्थिति बुजुर्ग दंपती के लिए हानिकारक है।