BHOPAL. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के प्रयासों ने न्याय को एक अलग रफ्तार दी है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2023 में पचास हजार से भी अधिक केसों का निपटारा किया है। रिकॉर्ड के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 01 जनवरी 2023 से लेकर 15 दिसंबर 2023 तक कुल 52191 केस निपटाए हैं। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में इंटीग्रेटेडकेस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम लागू होने के बाद सबसेज्यादा मुकदमे निपटाए गए हैं। अदालत के सूत्रों के अनुसारचीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सुधारों और व्यवस्थाओं के कारण मुकदमों के निपटारे में तेजी आई है।
पिछले छह वर्षों में सबसे अधिक निपटाए गए केसों की संख्या इस साल रही
बताया जा रहा है कि मुकदमे निपटाने की ये दर काफी अच्छी है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में इस वर्ष कुल 49191 मुकदमे पंजीकृत हुए जबकि 52191 केस निपटाए गए। सुप्रीम कोर्ट से जारी आंकड़ों को देखें तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस वर्ष निपटाए गए केसों की संख्या पिछले छह वर्षों के मुकाबले सबसे अधिक है। ऐसा प्रधान न्यायाधीश द्वारा मुकदमों के दाखिल होने से लेकर सुनवाई पर लगाने के पूरे तंत्र को स्ट्रीम लाइन करने के कारण संभव हो पाया है।
मिसलेनियस केस क्या है
मामलों को सूचीबद्ध करने की व्यवस्था ठीक करने के कारण सत्यापन के बाद मामलों को सूचीबद्ध करने में होने वाली देरी 10 दिन से घट कर 5-7 दिन रह गई है। यहां तक कि जमानत, अग्रिम जमानत, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका, डिमोलिशन और बेदखली के मामले तो एक दिन में या फिर तत्काल सुनवाई पर लगा दिए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की फुल कोर्ट मीटिंग में फैसला लिया गया था कि सोमवार और शुक्रवार के दिन मिसलेनियस सुनवाई के दिन होंगे। मंगलवार को नोटिस जारी हो चुके मिलेनियस केसों की सुनवाई होती है। जबकि बुधवार और गुरुवार के दिन नियमित सुनवाई के लिए तय हैं। बता दें कि मिसलेनियस केस वे होते हैं जो नए दाखिल हुए होते हैं और सुनवाई के प्रारंभिक स्तर पर होते हैं।
पांच और सात न्यायाधीशों की संविधान पीठें बैंठीं
इस वर्ष कोर्ट का जोर संवैधानिक पीठों में लंबित मामलों के निपटारे पर भी रहा और पांच और सात न्यायाधीशों की संविधान पीठें बैंठीं और फैसले सुनाए। उन्हीं में से एक फैसला जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को खत्म करने को सही ठहराने वाला भी था। इसमें महाराष्ट्र विधानसभा का मामला, समलैंगिकों के अधिकारों का मामला भी शामिल है।
लंबित मामलों पर सुनवाई की तारीखें तय
प्रयासों का नतीजा ये है कि पांच जजों की संविधान पीठ में लंबित कुल 36 मामलों की संख्या घट कर अब 19 रह गई है। इसमें भी चार मामलों में सुनवाई हो चुकी है और फैसला सुरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट में छह मामले सात न्यायाधीशों की पीठ में और पांच मामले नौ न्यायाधीशों की पीठ में लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट की जानकारी के मुताबिक इन सभी मामलों पर सुनवाई की तारीखें तय हो चुकी हैं