भारत के विरोध से राजनीति की शुरुआत करने वाले दिसानायके बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, जानें कौन हैं अनुरा कुमारा

मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति बन गए हैं। दिसानायके को मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई। जानें कौन हैं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति

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Vikram Jain
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Sri Lanka new President Anura Kumara Dissanayake and India Relations

भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। इस चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) को जीत मिली है। अनुरा कुमारा ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है। श्रीलंका में यह पहला मौका है जब लेफ्ट की सरकार बनी है। मार्क्सवादी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के दिसानायके ने अपने करीबी प्रतिद्वंदी और समागी जन बालवेगया के सजिथ प्रेमदासा को हराकर जीत दर्ज की हैं। दिसानायके की पार्टी 50 सालों से ज्यादा वक्त से श्रीलंका की राजनीति में सक्रिय है। 

कैसे मिली अनुरा कुमारा को जीत

श्रीलंका में साल 2022 के अर्थव्यवस्था चरमराने के बाद यह पहला चुनाव था। इस चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा ने भ्रष्टाचार विरोध के उपायों और गरीब कल्याण की नीति पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्सवादी नेता ने खुद को युवा मतदाताओं और पारंपरिक नेताओं की भ्रष्टाचार वाली राजनीति से थक चुकी जनता के सामने एक परिवर्तनकारी नेता के रूप में पेश किया। उन्होंने हमेशा मार्क्सवादी विचारधारा को आगे रखते हुए देश में बदलाव लाने पर जोर दिया। राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान अनुरा ने छात्रों और मजदूरों के मुद्दों को उठाया। उन्होंने श्रीलंका की जनता से शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं में बदलाव लाने का वादा किया। जिसका नतीजा यह हुआ किया उन्हें इस चुनाव में बड़ी जीत मिली।

भारत ने दिसानायके को दी जीत की बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अनुरा कुमारा दिसानायके को श्रीलंका के नए राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत की पड़ोसी प्रथम नीति और विजन SAGAR में श्रीलंका एक विशेष स्थान रखता है। मैं हमारे लोगों और पूरे क्षेत्र के लाभ के लिए हमारे बहुमुखी सहयोग को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।'

पीएम मोदी (PM MODI) के बधाई संदेश के जवाब में दिसानायके ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आपके बहुमूल्य शब्दों के लिए आपका धन्यवाद । श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने आगे कहा कि वह दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करने की पीएम मोदी की प्रतिबद्धता से सहमत हैं। हम साथ मिलकर लोगों और क्षेत्र की भलाई के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।

वामपंथी नेता की जीत से चीन बहुत खुश

श्रीलंका में हुए सत्ता परिवर्तन और वामपंथी नेता की जीत से चीन बहुत खुश हो गया है। असल में श्रीलंका के नए वामपंथी राष्ट्रपति दिसानायके चीन समर्थक रहे हैं। उन्हें चीन का बेहद करीबी माना जाता है। माक्सवादी जेवीपी और दिसानायके का चीन के प्रति झुकाव रहा है। चीनी विशेषज्ञों के अनुसार वामपंथी नेता दिसानायके की जीत चीन और श्रीलंका के बीच संबंधों के लिए फायदेमंद है।

दिसानायके का भारत के प्रति रुख

दिसानायके ने कुछ दिनों पहले साक्षात्कार में कहा था कि उनकी पार्टी जेवीपी का इरादा श्रीलंका-भारत के बीच दीर्घकालिक द्विपक्षीय और राजनयिक संबंधों को मजबूत करना है। दिसानायके ने भारत द्वारा श्रीलंका में आर्थिक मदद करने को लेकर सराहना की थी। दिशानायके फरवरी 2024 में भारत का दौरा किया था। इस दौरान नई दिल्ली में उनका रेड कारपेट स्वागत किया गया था। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति दिसानायके ने भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ने की बात कही है। लेकिन उनकी पार्टी का इतिहास कुछ और कहता है।

भारत के विरोध में थी जनता विमुक्ति पेरामुना

दिसानायके तमिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने भारत विरोध के साथ 1987 में अपनी राजनीति की शुरुआत थी। उस वक्त श्रीलंका में भारत से पहुंची इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) के खिलाफ जबरदस्त उबाल था और दिसानायके की पार्टी भारत का विरोध कर रही थी। इसके बाद धुर मार्क्सवादी-लेनिनवादी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) ने श्रीलंका सरकार और शांति सेना के खिलाफ हथियार उठाए। JVP सरकारी कर्मचारियों से लेकर शांति सेना के सैनिकों को टारगेट करने लगी। JVP की गुरिल्ला यूनिट भारतीय सैनिकों को चुन-चुनकर निशाना बना रही थी। इसके बाद विद्रोह चरम पर पहुंच गया। साथ ही भारतीय सामानों के बहिष्कार तक का ऐलान कर दिया। इस बीच श्रीलंका पहुंचे भारतीय सैनिकों को वहीं भौगोलिक स्थिति की जानकारी नहीं थी। एक तरफ JVP संगठन था तो दूसरे तरफ लिट्टे, दोनों तरफ से हमला हो रहा था। श्रीलंका में शांति बहाली की कोशिश में 1200 सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

जेवीपी के संस्थापकों जैसे कट्टर नहीं दिसानायके

जिस JVP ने तमिल अल्पसंख्यकों का विरोध किया। शांति सेना का विरोध किया। अब उसी JVP के पास में श्रीलंका की सत्ता आ चुकी है। हालांकि अनुरा कुमारा दिसानायके दिसानायके नरम माने जाते हैं, जेवीपी के संस्थापकों जैसे कट्टर नहीं हैं। वह दूसरे देशों से संबंधों को सुधारने पर जोर देते हैं। दिसानायके भ्रष्टाचार विरोधी नेता माने जाते हैं। और वह अपने आप गरीबों की आवाज उठाने वाले नेता के तौर पर प्रस्तुत करते हैं।

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