New Delhi. मध्यप्रदेश के 3 जिले नक्सलवाद से प्रभावित हैं, अब केंद्र सरकार ने भी लोकसभा में यह जानकारी देकर इस पर मुहर लगा दी है। बता दें कि पहले केवल बालाघाट जिले को नक्सलियों से प्रभावित माना जाता था लेकिन हाल ही के कुछ महीनों में इंटेलिजेंस से यह इनपुट मिला था कि नक्सली डिंडौरी के अमरकंटक को हेडक्वार्टर बनाना चाहते हैं। इस बात की तस्दीक लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने भी कर दी है। बताया गया कि सरकार वामपंथी उग्रवाद से निपटने सुरक्षा संबंधी व्यय योजना चला रही है। जिसमें मध्यप्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिले शामिल हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने दी।
देश में कम हुआ नक्सलवाद
सरकार ने बताया है कि सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से निपटने राष्ट्रीय नीति और कार्ययोजना का अनुमोदन किया था। जिसके बाद से देश में वामपंथी उग्रवाद में कमी आई है। बताया गया कि साल 2010 के मुकाबले 2022 में हिंसा की घटनाओं में 77 फीसद कमी आई है। वहीं हिंसा में होने वाली मौतों का आंकड़ा 90 फीसद तक कम हुआ है। बताया गया कि साल 2010 में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसक घटनाओं में 1005 मौतें हुई थीं जबकि 2022 में इस तरह की हिंसा में केवल 98 लोग काल कवलित हुए।
मुस्लिम लीग पहुंची सुप्रीम कोर्ट, कमल के फूल को बताया धार्मिक चिन्ह, बीजेपी पर बैन की मांग और भी कई पार्टियों से प्रॉब्लम
सवाल के जवाब में सरकार ने यह भी बताया कि साल 2010 में देश के 96 जिलों के 465 थानों में वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं हुई थीं। वहीं 2022 में महज 45 जिलों के 176 पुलिस थानों में ऐसी घटनाएं हुईं। सरकार ने बताया कि सुरक्षा संबंधी व्यय योजना में 2018 में 126 जिले शामिल किए गए थे जबकि 2021 में इनकी संख्या घटकर 70 रह गई हैं। सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना में सबसे अधिक 16 जिले झारखंड के शामिल हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़ के 14 और बिहार के 10 जिले हैं। इसमें मध्य प्रदेश के केवल तीन जिले बालाघाट, मंडला और डिंडौरी शामिल हैं।
बता दें कि बालाघाट जिले में नक्सली मूवमेंट के खिलाफ बेहद आक्रामक रणनीति के साथ पुलिस और सुरक्षाबल लोहा ले रहे हैं। बीते साल जिले में कई एनकाउंटर भी किए गए जिनमें नक्सली कमांडर भी ढेर हुए। राज्य सरकार ने कार्रवाई में शामिल पुलिस जवानों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन भी दिया है।