BHOPAL. सरकार द्वारा रोजगार के ढेरों अवसर प्रदान करने के बीच, आय दिन ऐसे आंकड़े हमारे सामने आते रहते हैं, जिससे पता चलता है कि वर्तमान में भी स्थिति में उतनी सुधार नहीं हुई हैं, जितना बताया जाता है। अब तक आपने सुना होगा कि आम संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को रोजगार मिलने में समस्या आ रही है, लेकिन अब एक रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्राएं भी रोजगार के लिए संकटों का सामना कर रहे हैं।
आईआईएम में चल रहा है प्लेसमेंट का दौर
इकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक, देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान ही नहीं हैं, बल्कि भारत के भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में भी इस प्लेसमेंट सीजन में छात्र नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बता दें कि विभिन्न आईआईएम संस्थानों में अभी प्लेसमेंट का दौर चल रहा है। बातचीत के दौरान संस्थानों के अधिकारियों ने और छात्रों ने बताया कि अहमदाबाद, बेंगलुरु, कलकत्ता, लखनऊ, इंदौर और कोझिकोड के शीर्ष आईआईएम में प्लेसमेंट के लिए ये साल अब तक का सबसे मुश्किल साल साबित होता नजर आ रहा है।
मल्टीनेशनल कंपनियों से आने वाले ऑफर्स में 10-15% की गिरावट
बता दें कि अखबार का मानना है कि नौकरियों में गिरावट की वजह वैश्विक मंदी, कम आईटी खर्च, कंसल्टिंग में कमी, कोविड के दौरान हुई अधिक नियुक्तियां हैं। वहीं आईआईएम कोझिकोड के निदेशक देबाशाष चटर्जी का कहना है कि इस आर्थिक मंदी का प्रभार हर समुदाय के लोगों पर पड़ेगी, लेकिन अलग-अलग स्तर में। साथ ही आईआईएम अहमदाबाद में प्लेसमेंट चेयरपर्सन अंकुर सिन्हा का कहना है कि ये साल प्लेसमेंट के लिए बेहद मुश्किल है। जानकारी के मुताबिक इस साल मल्टीनेशनल कंपनियों से आने वाले ऑफर्स में औसतन लगभग 10-15% की गिरावट आने की संभावना है। हालांकि इस समस्या का समाधान निकालने के लिए संस्थान पूर्व छात्रों से संपर्क कर रहे हैं और निजी इक्विटी, निजी इक्विटी फर्मों और भारतीय समूहों सहित नए रिक्रूटर्स को बुला रहे हैं।
आईआईएम अहमदाबाद
आईआईएम अहमदाबाद में फाइनल प्लेसमेंट अगले महीने शुरू होने जा रही है। इस पर अंकुर सिन्हा का कहना है कि शैक्षणिक संस्थानों के लिए रिक्रूटर्स के एक बड़े समूह के साथ दीर्घकालिक रिश्ता रखना महत्वपूर्ण है, ताकि कंपनियों के किसी एक समूह से ऑफर्स में हुए नुकसान की भरपाई दूसरे समूह से हो सके। उन्होंने जोड़ा कि वे बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि वे अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए बड़ी संख्या में कंपनियों के साथ जुड़े हुए हैं। देबाशीष चटर्जी कहते हैं, ‘यह मंदी अन्य कंपनियों के लिए एक अवसर बन सकती है, जिन्हें छात्र सामान्य स्थिति में पसंद नहीं करते हैं।’
IIM वालों को भी नहीं मिल रही नौकरी
शीर्ष आईआईएम में से एक के एक छात्र जो पहले समर प्लेसमेंट के दौरान छात्रों की मदद के लिए पूर्व छात्रों के सदस्यों के पास पहुंचे थे, उन्होंने बताया कि वे फाइनल प्लेसमेंट के दौरान भी ऐसा ही करने वाले हैं क्योंकि बाजार में मंदी अभी भी जारी है। उन्होंने कहना है कि हम ये सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हर कोई नौकरी लेकर ही निकले, लेकिन राह कठिन लग रही है। कुछ प्रमुख आईआईएम ऑफर की संख्या या वेतन पैकेज या दोनों में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। एक अन्य आईआईएम परिसर के एक छात्र ने कहा, हमारे पास कुछ कंपनियां हैं जो पिछले साल की तुलना में कम वेतन पर नौकरियां दे रही हैं।