NEW DELHI. महाठग सुकेश चंद्रशेखर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली की मंडोली जेल में बंद है। वह एक बार फिर खबरों में हैं। इस बार सुकेश ने जेल के डीजी को चिट्ठी लिखकर अपने जन्मदिन के मौके पर 'महादान' करने की पेशकश की है। सुकेश ने जेल डीजी को हाथ से चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा कि वह अपने जन्मदिन यानी 25 मार्च को 5 करोड़ 11 लाख रुपए की मदद उन साथी कैदियों को देना चाहता है, जो अपनी जमानत राशि भरने में सक्षम नहीं हैं।
जेल से बार-बार लैटर लिख रहा सुकेश
इससे पहले हाल में सुकेश चंद्रशेखर ने अपने मामले को दूसरे जज को ट्रांसफर करने की मांग की थी। उसने कोर्ट में याचिका दायर कर जज पर पूर्वाग्रही होने का आरोप लगाया था। हालांकि पटियाला हाउस कोर्ट ने सुकेश की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था साथ ही कोर्ट ने इस याचिका पर नाराजगी भी जताई। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के पास प्रिसाइडिंग ऑफिसर पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने महाठग की न्यायिक हिरासत 31 मार्च तक बढ़ा दी।
दिल्ली के एलजी को लिखी चिट्ठी
सुकेश चंद्रशेखर ने पिछले दिनों दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना को जेल से पत्र लिख कर दावा किया था कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल-1 के वार्ड नंबर 9 में बंद हैं, जो पूरी तिहाड़ जेल का वीवीवीआईपी वार्ड है। यह वीआईपी कैदियों के हाई प्रोफाइल के लिए एक विशेष वार्ड है, जिसके लिए 20 हजार प्रति वर्ग फुट कीमत वसूली जाती है। गेटेड स्पेशल वार्ड जिसमें केवल 5 सेल मौजूद हैं, जो लकड़ी के फर्श और सभी सुविधाओं के साथ हैं। तब उसने कहा था कि यहां पर घूमने के लिए एक विशेष बड़ा बगीचा, एक विशेष बैडमिंटन कोर्ट और एक मेस है। इस वार्ड में सहारा के सुब्रत रॉय, सुरेश कलमाड़ी, अमर सिंह, ए राजा और हाल ही में यूनिटेक के संजय चंद्रा जैसे वीआईपी/हाईप्रोफाइल कैदी रहते हैं। यहां गैंगस्टर या गंभीर अपराधियों के होने का आप का आरोप गलत है।
इतना ही नहीं, बल्कि इसके पहले सुकेश चंद्रशेखर ने 5 पेज की चिट्ठी लिखकर कहा था कि आप के द्वारा उसके खिलाफ राजनीतिक बदले की भावना से किए जा रहे काम की सच्चाई की पोल जरूर खुलेगी। सुकेश ने दावा किया था कि उसने सिसोदिया के साथ भी काफी नजदीकी से काम किया है। उसे पता है कि वो कैसे हर विभागीय काम में कमीशन खाते हैं।
ऐसी रिपोर्ट छपी, फिर सामने आते गए मामले
इंडिया टुडे मैगजीन के 21 सितंबर के एडिशन में एक कवर स्टोरी छपी। अनुमान जताया गया कि सुकेश चंद्रशेखर बीते 15 साल में करीब एक हजार लोगों को कम से कम 500 करोड़ रु. की धोखाधड़ी कर चुका है। यह आंकड़ा उसके खिलाफ 6 राज्यों- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली के पुलिस थानों में दर्ज 30 से ज्यादा मामलों पर बेस्ड है। बड़ी बात ये है कि उसने अपनी सबसे बड़ी लूट जून 2020 से मई 2021 में दिल्ली के रोहिणी जेल में बैठकर की। आखिरी गिनती में उसके पास 18 करोड़ रुपए की 85 घड़ियां और 35 करोड़ रुपए कीमत की 54 कारें थीं। उसने ये महंगी ऐशो आराम की चीजें देश के इतिहास में सबसे शातिराना किस्म की ठगी से हासिल कीं।
कौन है सुकेश चंद्रशेखर, ऐसे देता था काम को अंजाम
सुकेश चंद्रशेखर तमिलनाडु के मदुरै का रहने वाला है। पिता विजयन चंद्रशेखर रबड़ के ठेकेदार और पार्ट टाइम मैकेनिक थे। मां माला गृहणी थीं। बिल्कुल सामान्य सा मध्यमवर्गीय परिवार था। ये लोग किराए के मकान में रहते थे। सुकेश के मां-बाप ने इकलौते बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उसका नाम शहर के बाल्डविन बॉयज हाइस्कूल में लिखा दिया। स्कूल के दोस्त बड़ी कारों से आते और सुकेश को उसके पिता स्कूटर से स्कूल छोड़कर जाते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तभी से उसका दिमाग अमीरों वाली जीवनशैली के सपने देखने लगा।
पहली ठगी तब की, जब वो बालिग भी नहीं हुआ था। 2006 में एक चिट्ठी पर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर के फर्जी साइन किए। जिसमें लिखा था कि उसे कर्नाटक में कहीं भी कार और बाइक चलाने की इजाजत है। लोगों को लगा कि मां-बाप भी इस जालसाजी में शामिल हैं। पहली ठगी के मामले समेत तीन बार सुकेश के साथ वे भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 2007 में सुकेश और उसके मां-बाप को 76 साल के एक बुजुर्ग से 1.15 करोड़ रु. की ठगी के मामले में अरेस्ट किया था। उन लोगों ने उस मजबूर शख्स से वादा किया था कि वो बेंगलुरु डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिग्रहण किए उनके प्लॉट को छुड़ाने में मदद करेंगे और एक अपार्टमेंट बनाने के लिए विदेशी निवेश भी जुटा लाएंगे। ये सुकेश के खिलाफ पहली बड़ी ठगी का मामला था।
कभी वो बड़ा अफसर बन जाता, कभी उद्योगपति तो कभी किसी नेता का रिश्तेदार। एक बार तो उसने खुद को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि का पोता बताता था। जालसाज इतना बड़ा कि लाल बत्ती वाली लग्जरी कार से चलता था और किसी को भनक तक नहीं लगती थी। उसने 2015 में लीना मारिया पॉल नाम की मलयालम एक्ट्रेस से शादी की। सुकेश लीना को भी जालसाजी का शिकार बनाना चाहता था, प्यार हुआ तो बात शादी से जेल तक पहुंची। लीना भी कई मामलों में सुकेश के साथ आरोपी रह चुकी है।
कई भाषाएं जानता है, नकल करने में उस्ताद
ईडी के जांच अधिकारियों ने जब उसका कच्चा चिट्ठा खोलना शुरू किया तो पता लगा, वो नेताओं, कारोबारियों और एक्टरों को बड़ी आसानी से झांसा दे देता है। इसकी वजह जाननी चाही तो पता चला कि उसकी चिकनी-चुपड़ी बातें असर डालती हैं। वो अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम जैसी कई भाषाओं में सिद्धहस्त है। मेलजोल में माहिर, जिसकी नकल करना चाहे, वैसी आवाज और अंदाज में भी उस्ताद। कई बार तो उससे कड़ी पूछताछ करने वाले अधिकारी भी धोखा खा जाते हैं।
एक बार बेंगलुरु में जालसाजी के वक्त पकड़ा तो उसने मिलने के बदले फोन पर झांसा देने की बेहतर तकनीक पकड़ ली। थोड़ी-बहुत टेक्नोलॉजी की जानकारी के साथ उसे सारी चालबाजियां आती हैं। फर्जी आइडेंटिटी कार्ड का इस्तेमाल करता है, आवाज बदल लेता और सरकारी दफ्तरों से फोन किया करता था। जिसको भी शिकार बनाना होता था, उसे तो वो पूरी तरह इस भरोसे में ले लेता था कि मानो सच में उसे किसी IAS अफसर ने फोन किया हो।
बैंक से 12 करोड़ की हेराफेरी
सुकेश और उसकी पत्नी लीना ने 2013 में अपना पहला बड़ा हाथ तब मारा, जब दोनों ने चेन्नई में केनरा बैंक से 12 करोड़ रुपए की हेराफेरी की। तब सुकेश ने फ्यूचर टेक्नीक्स नाम की एक नैपकिन-वेंडिंग मशीन फर्म चलाने वाले कारोबारी दंपती एम बालसुब्रह्मण्यम और चित्रा से कॉन्टैक्ट किया। खुद को कर्नाटक के एक सीनियर आईएएस अधिकारी जयकुमार के तौर पर दिया। झांसा दिया कि ये कि वो सरकार की एक मुफ्त नैपकिन योजना में कंपनी को भागीदार बनाने वाला है। उन्हें 132 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट देने का वादा किया। कन्फर्म करने के लिए जब कंपनी मालिक बालसुब्रह्मण्यम ने दिए गए लैंडलाइन नंबर पर फोन किया तो अधिकारी के सचिव के तौर पर सुकेश की पत्नी लीना ने फोन उठाया। कंपनी मालिक को भरोसा हो गया।
इस पर सुकेश ने एक पेंच फसाया। कहा कि 132 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट तभी मिलेगा. जब वो 19 करोड़ रुपए जमा कराएं। इतने रुपए नहीं थे तो व्यापारी ने केनरा बैंक से लोन मांगा। लोन नहीं मिल रहा था तो सुकेश ने बैंक मैनेजर को भी झांसे में ले लिया। फर्जी सरकारी कागज दिखाकर ये भरोसा दिला दिया कि कंपनी को बड़ा टेंडर मिलने वाला है। लोन पास हो गया। जब बैंक के बड़े अधिकारियों को भनक लगी तो खाता सीज किया। तब तक सुकेश 12 करोड़ रुपए के वारे-नारे कर चुका था।
सुकेश कई बार पकड़ा गया। जैसे ही जमानत मिलती, फिर नए शिकार पर लग जाता। यहां तक कि तमिलनाडु के बड़े नेता टीटीवी दिनाकरण 2017 में सुकेश ने अपने जाल में फांस लिया था। सुकेश को पता था कि शशिकला के भतीजे दिनाकरण किसी भी तरह से जयललिता की विरासत को हथियाने के लिए बेचैन हैं और अपनी पार्टी AIDMK के ''दो पत्ती’’ वाले निशान को हासिल करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। सुकेश ने इसका फायदा उठाया। उसने दिनाकरण से संपर्क किया और उन्हें बताया कि वह चुनाव आयोग के अधिकारियों को जानता है और 50 करोड़ रुपए खर्च करके वह उन्हें दिनकरण के पक्ष में फैसला करने के लिए राजी कर सकता है। बाद में दिल्ली के एक होटल में चुनाव आयोग के कुछ अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश करते हुए, सुकेश को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हालांकि दिनाकरण ने सभी आरोपों से इनकार किया था।
जेल में रहकर ही रेनबैक्सी वाले शिविंदर की पत्नी से जालसाजी
सुकेश ने असली खेल तो उसने दिल्ली की रोहिणी जेल में रहकर किया। इसी के बाद जैकलीन फर्नांडीस की भी जालसाजी केस में एंट्री होती है। चुनाव आयोग के अधिकारियों को रिश्वत देने के मामले में सुकेश जेल में बंद था। तभी उसे पता चला कि उद्योगपति शिविंदर मोहन सिंह भी उसी जेल में बंद हैं। शिविंदर मशहूर दवा कंपनी रेलीगेयर एंड रैनबैक्सी और फोर्सिस हॉस्पिटल चेन के वाइस चेयरमैन रहे हैं। शिविंदर और उनके भाई मलविंदर को 2019 में आर्थिक धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। मामले में ED भी जांच कर रही है।
यहीं पर सुकेश को अपना अगला शिकार मिल गया। पहले तो उसने शिविंदर सिंह के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। फिर उनकी पत्नी अदिति सिंह को ठगने का पूरा प्लान बनाया। सबसे पहले उसने जेल अधिकारियों को रिश्वत देकर मोबाइल और इंटरनेट का जुगाड़ कर लिया। सुकेश ने सबसे पहले 15 जून, 2020 को अदिति के मोबाइल पर कॉल किया। हालांकि स्मार्टफोन में इजराइली सिम कार्ड था, सुकेश ने एक स्पूफिंग ऐप का इस्तेमाल किया, जिससे अदिति के फोन पर फ्लैश होने वाला नंबर केंद्रीय गृह मंत्रालय का दिख रहा था।
अब ठगी का तरीका देखिए। वो अदिति से केंद्रीय कानून सचिव अनूप कपूर के तौर पर अपना परिचय कराता है। अदिति से कहा कि वह प्रधानमंत्री ऑफिस (पीएमओ) के निर्देश पर फोन कर रहा है। स्वास्थ्य सेवा में शिविंदर की विशेषज्ञता को देखते हुए सरकार उन्हें कोविड पर एक हाईलेवल कमेटी में शामिल करना चाहती है और इसके लिए जेल में बंद कारोबारी को जल्द जमानत दिलाने में मदद करना चाहती है।
सुकेश ने दिन में बाद में अदिति को फिर से फोन किया। इस बार उसने अपना परिचय अभिनव के रूप में देते हुए खुद को अनूप कुमार का अवर सचिव बताया और उनके परिवार की मदद की सरकार की मंशा को दोहराया। फोन पर तीन बार बात करने के बाद 'अभिनव बने सुकेश ने अदिति से पार्टी फंड में 20 करोड़ रुपए कंट्रीब्यूट करने को कहा। अदिति पति को छुड़ाने के लिए झांसे में फंस गई। दो किस्तों में पेमेंट कर दी। पहली बार 1 करोड़ रुपए हॉन्गकॉन्ग से भेजे और 19 करोड़ रुपए दिल्ली में कैश दिए गए। जिसे सुकेश के दो साथियों ने लिया।
इसके बाद सुकेश और पैसे की मांगने लगा। वो शिविंदर और उनके बच्चों के बारे में बहुत सी सटीक व्यक्तिगत जानकारियों के बारे में बताता है, जिससे अदिति को लगा कि वो (सुकेश) उनके पति और बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है। उसने अदिति को इतना डरा दिया कि पति और बच्चों से इसकी चर्चा किए बिना पैसे के जुगाड़ में लग गईं। गहने बेचे, दोस्तों, परिवार वालों से उधार लिए, इन्वेंस्टमेंट समेत सारी संपत्ति को दांव पर लगा दिया।
अब बारी थी जैकलीन फर्नांडीस की...
अदिति ने 2020 से मई 2021 के बीच सुकेश को 40 ट्रांजैक्शन में 200 करोड़ रुपए का पेमेंट किया। इतने ट्रांजैक्शन पर ईडी को शक हुआ। अदिति के पति और फोर्टिस के वाइस चेयरमैन रहे शिविंदर तो पहले से ही ईडी की रडार पर थे। जांच शुरू की तो मामला खुलता गया। इसी मामले की जांच के दौरान कानूनी एजेंसियों को महंगे तोहफे देने के शौक के बारे में जानकारी मिली। केस में ईडी की तरफ से फाइल चार्जशीट के मुताबिक, सुकेश ने फरवरी, 2021 और अगस्त, 2021 के बीच एक्ट्रेस जैकलिन फर्नांडीस और उनके परिवार को दिए तोहफों पर 7 करोड़ रु. खर्च किए। दोनों की कुछ इंटीमेट तस्वीरों के आधार पर एजेंसी का मानना है कि उनके बीच रोमांटिक रिलेशनशिप थी। हालांकि, जैकलीन ने इससे इनकार किया है। सुकेश ने कई अन्य एक्ट्रेस को भी फांसने की कोशिश की। इसमें नोरा फतेही, जाह्नवी कपूर, सारा अली खान, भूमि पेडणेकर का भी नाम शामिल है। इन्होंने गिफ्ट्स लेने से मना कर दिया, सो बच गईं।