DELHI. देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली के छावला रेप केस में 10 साल बाद तीनों दोषियों को बड़ी राहत देते हुए रिहा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित पक्ष को बड़ा झटका लगा हैा अब ऐसे में सवाल उठता है कि कि अगर तीनों दोषी रिहा हो गए तो छावला की 'अनामिका' के साथ क्रूरतम दर्जे की हैवानियत को किसने अंजाम दिया था? गौरतलब है कि दिल्ली की निचली अदालत और हाईकोर्ट में मुकदमे के दौरान लड़की को 'अनामिका' कहा गया। दोनों ही अदालतों ने दोषियों को मौत की सजा देने का आदेश दिया था। इस केस में रवि कुमार, राहुल और विनोद को आरोपी बनाया गया था। तीनों दरिंदों ने पीड़िता को इतनी यातनाएं दी थी जिन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। बहराल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं।
9 फरवरी 2012 की घटना
दिल्ली के छावला में एक 19 साल की लड़की का अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप करने और फिर बेहद क्रूरता से हत्या कर दी गई थी। 9 फरवरी 2012 को घटित इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 14 फरवरी को लड़की का शव हरियाणा के रेवाड़ी में एक खेत में मिला था। लाश को बुरी तरह से जला दिया गया था।
बताया जा रहा है कि छावला की रहने वाली 19 साल की रोशनी (बदला हुआ नाम) गुड़गांव से काम खत्म कर बस से घर वापस लौट रही थी। कुछ देर बाद वो बस से उतरी और तेज़ कदमों से घर की तरफ पैदल ही चलने लगी। तभी पीछे से एक लाल रंग की इंडिका कार ने उसका रास्ता रोक लिया। कार में सवार तीन बदमाशों रोशनी को जबरन पकड़कर कार में खींच लिया और उसे अगवा कर अपने साथ ले गए।
दरिंदों ने शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा
मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली 'अनामिका' दिल्ली के छावला के कुतुब विहार में रहती थी। 9 फरवरी 2012 की रात नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद नाम के आरोपियों ने अगवा कर लिया था। 14 फरवरी को 'अनामिका' की लाश बहुत बुरी हालत में हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत में मिली थी। गैंगरेप के अलावा 'अनामिका' को असहनीय यातनाएं दी गई थीं। उसे कार में मौजूद औजारों से बुरी तरह पीटा गया था। साथ ही शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा दिया गया था। यही नहीं गैंगरेप के बाद 'अनामिका' के चेहरे और आंख में तेजाब डाला गया था।।
बारी-बारी से किया था बलात्कार
तीनों आरोपियों ने पहले उसके कपड़े फाड़े और फिर बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया। तीनों दरिंदों ने उस लड़की के शरीर को कई जगह से काटा। पीड़ित रहम की गुहार लगाती लेकिन तीनों नर पिचाशों के सिर हैवानियत का भूत सवार था। तीनों लड़के हैवान बन गए थे।
पहचान छुपाने सिर पर पाना और जैक से वार
तीनों दरिंदों क्रूरता की सभी हदें पार करते हुए पीड़ित के साथ जो कुछ किया, उसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। इंसानियत भी शर्मसार हो जाएगी। तीनों आरोपियों ने अपने वहशी मंसूबे पूरे करने के बाद उसकी हत्या करने का निश्यच किया। इसकी क्रम में आरोपियों ने गाड़ी में रखे पाना और जैक से उसके सिर पर कई वार किए। पहले ही वार में पीड़ित कटे वृक्ष की तरह गिर पड़ी। वह दर्द से कराहती रही लेकिन दरिंदे वार करते रहे।
प्राइवेट पार्ट को गर्म औजार से दागा
तीनों दरिंदों ने उस दिन पीड़ित को लगातार यातनाएं दे रहे थे। पीड़ित बेइंतहा दर्द और दरिंदगी की वजह से बेहोश हो चुकी थी। उसका जिस्म खून का फब्बारा छूट रहा था। दरिंदों ने उसे जलाकर बदशक्ल करने के लिए गाड़ी के साइलेंसर से दूसरे औजारों को गर्म कर उसके जिस्म को जगह-जगह दाग दिया. यहां तक कि उसके प्राइवेट पार्ट को पार्ट को भी जलाया गया।
दिल्ली पुलिस ने गाड़ी न होने का दिया था हवाला
इस मामले में पुलिस का भी गैर जिम्मेदाराना रवैया भी देखने को मिला था। दरअसल जब पीड़ित देर तक घर नहीं पहुंची तो उसके घरवाले पुलिस के पास पहुंचे और ढूंढने की गुहार लगाई। पीड़ित के पिता एक मामूली गार्ड की नौकरी करते थे लेकिन दिल्ली पुलिस के कारिंदों ने संदिग्ध बदमाशों को ढूंढ़ने के लिए उनके पास गाड़ी न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
इस तरह गिरफ्त में आए आरोपी
किसी तरह पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि तीनों दरिंदे हरियाणा के ही रहने वाले थे. जिनकी पहचान रवि, राहुल और विनोद के रुप में हुई। तीनों ही कार ड्राइवर थे। पुलिस ने उनकी मोबाइल फोन लोकेशन और कार की पहचान करके तीनों को धरदबोचा।
गैंगरेप के 2 साल बाद को फांसी सुनाई गई
2014 में निचली अदालत ने रवि, राहुल और विनोद को दोषी पाया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई। इसी साल अगस्त में हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। अदालत ने दोषियों को सड़कों पर घूमने वाला हिंसक जानवर कहा था।
दोषियों के वकील ने कहा, पीड़ित को लगी चोटें भी गंभीर नहीं आरोपी दिमाग से कमजोर
दूसरी ओर दोषियों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस मामले में आरोपियों की उम्र, फैमिली बैकग्राउंड और क्रिमिनल रिकॉर्ड को भी ध्यान में रखा जाए। एक आरोपी विनोद दिमाग से कमजोर भी है। पीड़ित को लगी चोटें भी गंभीर नहीं हैं। इस आधार पर वकील ने सजा कम किए जाने की अपील की थी। इस दलील के विरोध में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भारती ने कहा था- 16 गंभीर चोटें थीं। लड़की की मौत के बाद उस पर 10 वार किए गए।
दोषियों के प्रति सहानुभूति का आग्रह
साथ ही इस मामले में एमिकस क्यूरी बनाई गई। वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने जजों से अनुरोध किया था कि वह इन दोषियों में सुधार आने की संभावना पर विचार करें। उन्होंने कहा था कि दोषियों में से एक 'विनोद' बौद्धिक अक्षमता से पीड़ित है। वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से दोषियों के प्रति सहानुभूति भरा रवैया अपनाने का आग्रह किया था.
SC ने कहा- भावनाओं के आधार पर सजा नहीं
7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जजों ने कहा था, "भावनाओं को देखकर सजा नहीं दी जा सकती है। सजा तर्क और सबूत के आधार पर दी जाती है। भावनाओं को देखकर कोर्ट में फैसले नहीं होते हैं।' अब CJI यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने दोषियों को बरी कर दिया है।
पीड़ित के पिता बोले लड़ाई जारी रखेंगे
दोषियों की रिहाई पर लड़की के पिता ने बुरी तरह टूट गए हैं। उन्होंने कहा कि यह अंधी कानून व्यवस्था है। दोषियों ने हमें कोर्ट रूम में ही धमकाया था। हमारे 12 साल के संघर्ष को नजरअंदाज कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम टूट गए हैं, लेकिन कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।