कैशलेस इलाज योजना में लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

हाईवे हादसों में कैशलेस इलाज योजना में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई है। कोर्ट ने एक हफ्ते में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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सड़क हादसों में कैशलेस इलाज योजना (Cashless Treatment) योजना की देरी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाराजगी जताई है।

कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के सचिव को फटकार लगाते हुए पूछा– जब हाईवे पर लोग मर रहे हैं, तो ऐसी सड़कों का क्या फायदा? जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों के इस्तेमाल के लिए मजबूर न करें।

देरी का सिलसिला और कोर्ट की प्रतिक्रिया

जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वह 14 मार्च 2025 तक मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162(2) के तहत एक कैशलेस इलाज स्कीम (Cashless Treatment Scheme) का प्रारूप तैयार करे। बार-बार के निर्देशों के बावजूद सरकार की ओर से मसौदा प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे कोर्ट ने असंतोष जताया।

सचिव की सफाई और कोर्ट की फटकार

सुनवाई के दौरान मंत्रालय के सचिव ऑनलाइन पेश हुए और बताया कि मसौदा तैयार है लेकिन बीमा कंपनियों (Insurance Companies) और हितधारकों से चर्चा के कारण देरी हुई। कोर्ट ने जवाब में कहा- "क्या आप वास्तव में आम आदमी के हित में काम कर रहे हैं? आपको खुद अपने बनाए कानून की परवाह नहीं है।"

योजना की मौजूदा स्थिति और अगला कदम

सचिव ने बताया कि योजना का प्रारूप जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) की आपत्तियों के कारण रोकी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि एक सप्ताह के भीतर योजना को अंतिम रूप दें और प्रगति रिपोर्ट सौंपें, वरना कठोर कार्रवाई होगी।

यह जानना जरूरी…

मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162(2):

दुर्घटना में घायल व्यक्ति को तत्काल प्राथमिक उपचार और अस्पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा देना अनिवार्य है।

अनुच्छेद 142 (Article 142 of Constitution):

यह सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने हेतु विशेष अधिकार देता है।

Cashless treatment scheme

कैशलेस इलाज योजना 

  • दुर्घटना के बाद 7 दिनों तक, अधिकतम ₹1.5 लाख तक का कैशलेस इलाज।
  • दुर्घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर पुलिस को देनी होगी।
    दुर्घटना में मृत्यु होने पर दोषी वाहन चालक की पहचान नहीं हो पाने पर मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।
  • सभी सड़क दुर्घटना पीड़ित व्यक्ति इसके लाभार्थी होंगे चाहे वे किसी भी राज्य या सड़क पर हों।
    मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत यह योजना लागू की गई है, जिसमें "गोल्डन आवर" में कैशलेस इलाज की व्यवस्था की जाती है। 

FAQ

मोटर दुर्घटना कैशलेस इलाज योजना क्या है?
यह योजना सड़क हादसों में घायलों को तत्काल अस्पताल में मुफ्त इलाज देने के लिए है, जिसमें बीमा कवर के जरिए भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने योजना में देरी को लेकर क्या कार्रवाई की?
कोर्ट ने सड़क परिवहन सचिव को चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में योजना प्रस्तुत नहीं की गई तो संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस योजना के लागू होने से आम नागरिक को क्या फायदा होगा?
यह योजना सड़क हादसों के बाद पीड़ितों को जल्द इलाज दिलाने में मदद करेगी, जिससे उनकी जान बच सकती है और वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा

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