संजीव खन्ना 11 नवंबर यानी आज भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली हैं। दऱअसल चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो गए हैं। हालांकि, उससे पहले 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी कार्यदिवस था। आखिरी दिन भी उन्होंने 45 मामलों की सुनवाई की। ऐसे में शुक्रवार को उनके आखिरी कार्यदिवस पर परंपरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सेरेमोनियल बेंच बैठी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली इस सेरेमोनियल बेंच में मौजूदा और अगले चीफ जस्टिस एक साथ बैठकर कुछ मामलों की सुनवाई करते हैं।
सीजेआई ने दिया भावुक संबोधन
अपने कार्यकाल के इस आखिरी दिन डीवाई चंद्रचूड़ ने एक भावुक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने अपनी न्यायिक यात्रा के लिए आभार और विनम्रता से भरा भाव व्यक्त किया। अपने सहकर्मियों और कानूनी समुदाय से घिरे चंद्रचूड़ ने अपने निजी अनुभव और प्रशंसा साझा की। उन्होंने उन लोगों से माफी भी मांगी, जो अनजाने में उनकी टिप्पणियों से आहत हुए होंगे। "कल शाम, जब मेरे रजिस्ट्रार न्यायिक ने मुझसे पूछा कि समारोह कब होना है, तो मुझे बताया गया कि यह दोपहर 2 बजे हो सकता है ताकि कई मामलों का निपटारा किया जा सके। मैंने सोचा, शुक्रवार को दोपहर 2 बजे इस अदालत में कोई होगा या नहीं," उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा। "या मैं खुद को स्क्रीन पर देखूंगा?"
उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना की तारीफ की
डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना के बारे में भी कहा, "मेरे जाने के बाद भी इस न्यायालय में कोई अंतर नहीं आएगा, क्योंकि जस्टिस खन्ना जैसा स्थिर और प्रतिष्ठित व्यक्ति इस पद को संभालेगा।" अपने कार्यकाल के दौरान प्रेरणा के स्रोत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "जब आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे क्या प्रेरित करता है, तो यही है। यह एक न्यायाधीश के रूप में एक यात्रा है। मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूं, आप सभी ने मुझे कानून और जीवन के बारे में बहुत कुछ सिखाया है। आज भी 45 मामलों का निपटारा करते हुए मैंने जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखा है।
12 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने CJI चंद्रचूड़ को एक पत्र भेजा था। इसमें उनसे अपने उत्तराधिकारी का नाम बताने का अनुरोध किया गया था। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस संजीव खन्ना का नाम सुझाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने CJI के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना के नाम को मंजूरी दे दी।
दिल्ली में हुआ था जन्म
संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को राजधानी दिल्ली में हुआ था। उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं। उनकी मां सरोज खन्ना एलएसआर डीयू में लेक्चरर थीं। संजीव खन्ना ने यहीं से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्होंने 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने डीयू से लॉ में एडमिशन लिया।
संजीव खन्ना का परिचय
कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद संजीव खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर दाखिला लिया। शुरुआत में उन्होंने दिल्ली के तीस हजारी कैंपस में प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में विविध क्षेत्रों में प्रैक्टिस की। साल 2005 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। इसके बाद साल 2006 में उन्हें स्थाई जज बनाया गया। 2006 से 2019 तक हाई कोर्ट में जज के तौर पर काम करने के बाद 18 जनवरी 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के जज के तौर पर पदोन्नत किया गया।
जनवरी 2019 में जब जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया तो उनकी नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया। दरअसल, उम्र और अनुभव में दूसरे जज उनसे सीनियर होने के बावजूद उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक संजीव खन्ना के पिता के अलावा उनके चाचा हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं।
संजीव खन्ना के चर्चित फैसले
सुप्रीम कोर्ट में अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में वे 358 बेंच का हिस्सा रहे हैं और 90 से ज्यादा मामलों में फैसला सुना चुके हैं। पिछले साल वे तीन जजों की बेंच का हिस्सा थे जिसने एससी और एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण पर सुनवाई की थी। वहीं, साल 2023 में शिल्पा शैलेश मामले में संविधान पीठ का फैसला सुनाया था।
क्या होती है CJI बनने की प्रकिया?
अब बात करते हैं कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की चयन प्रक्रिया क्या है। तो इसे सरल भाषा में समझने के लिए सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति कैसे होती है। दरअसल, SC में जजों की नियुक्ति की सिफारिश कॉलेजियम करता है। कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के जज ही होते हैं। ये कॉलेजियम जज के लिए नाम केंद्र सरकार को भेजता है। केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति होती है। जिस दिन कोई जज सुप्रीम कोर्ट में शपथ लेता है उसी दिन ये तय हो जाता है कि वो चीफ जस्टिस बनेगा या नहीं। मौजूदा चीफ जस्टिस केंद्र सरकार से सबसे वरिष्ठ जज को चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश करता है, केंद्र से अनुमति मिलने के बाद राष्ट्रपति द्वारा CJI को शपथ दिलाई जाती है।
CJI की ताकत
सीजेआई की शक्तियों की बात करें तो भारत का संविधान भारत की संसद को मुख्य न्यायाधीश के पारिश्रमिक के साथ-साथ सेवा की अन्य शर्तों को तय करने की शक्ति देता है। अगर कहीं कोई ऐसी घटना हो रही है जो अनुचित है तो सीजेआई स्वतः संज्ञान लेकर उस पर सुनवाई कर सकते हैं। वह किसी भी फैसले को बदल सकते हैं।
6 महीने का होगा कार्यकाल
बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर को 51वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल 23 मई 2025 तक रहेगा। जस्टिस खन्ना करीब साढ़े 6 महीने तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद पर रहेंगे। सीजेआई चंद्रचूड़ के बाद जस्टिस संजीव खन्ना का नाम वरिष्ठता सूची में सबसे ऊपर है। इसीलिए उन्होंने जस्टिस खन्ना का नाम आगे बढ़ाया है।
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