NEW DELHI. मणिपुर हिंसा के दौरान महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। FIR लेट होने पर केंद्र सरकार ने कहा कि मणिपुर में हालात बेहद खराब हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब हालात इतने खराब हैं कि वहां कानून भी नहीं था। FIR दर्ज नहीं हुई। पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर पाई।
रिपोर्ट कानून के खिलाफ
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कहा कि हम जितना निष्पक्ष रह सकते थे, उतना रहने की कोशिश की है। वहीं कुकी महिलाओं के रेप और हत्या के केस में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ये रिपोर्ट कानून के खिलाफ है। इसमें पीड़िताओं के नाम हैं।
सुप्रीम कोर्ट का रिपोर्ट शेयर नहीं करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट किसी को भी शेयर नहीं करने के निर्देश दिए हैं। नहीं तो पीड़िताओं के नाम सामने आ जाएंगे। मीडिया को नहीं देने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अपनी कॉपी में करेक्शन कर लेंगे। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि हमने इसे किसी से शेयर नहीं किया। एक कॉपी हमारे पास है और एक सिर्फ बेंच के सामने रखी है।
4 अगस्त तक कोर्ट में पेश होंगे मणिपुर DGP
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर डीजीपी को 4 अगस्त तक पेश होने का आदेश दिया है। उनसे पूछा गया है कि इतनी बड़ी घटना की जीरो FIR क्यों की गई, इसका जवाब दें। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान नहीं बताई गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया है।
सुनवाई पूरी होने का इंतजार करे CBI
HC ने मंगलवार सुबह केंद्र सरकार को आदेश दिया कि सुनवाई पूरी होने तक CBI वायरल वीडियो मामले की पीड़िताओं के बयान नहीं लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी सुनवाई पूरी होने का इंतजार करेगी। सोमवार को सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया था कि हाई पावर कमेटी मामले की जांच करे, जिसमें महिलाएं भी शामिल हों।
हिंसा की घटनाओं पर कोर्ट रूम में क्या हुआ ?
सुप्रीम कोर्ट - FIR कब दर्ज की गई ?
केंद्र सरकार - मामला 4 मई का था। जीरो FIR 16 को दर्ज की गई। मणिपुर हिंसा में अब तक 6532 FIR दर्ज की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट - तो जीरो FIR 16 जून को दर्ज की गई है। अभी तक कोई गिरफ्तारी हुई है, क्योंकि घटना तो 4 मई की थी।
केंद्र सरकार - अभी तक कोई जानकारी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट - एक बात बहुत साफ है कि FIR दर्ज करने में बहुत देरी की गई है।
केंद्र सरकार - सुप्रीम कोर्ट ने जब यह मामला उठाया, जांच उससे पहले जारी है।
सभी पीड़ित महिलाओं की ओर से याचिकाकर्ता - वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि सिस्टम से डेटा ऑटो डिलीट हो गया, CCTV डिलीट हो गए। ऐसा नहीं होना था।
केंद्र सरकार - अगर कोई पक्षपात करने वाला जांच कर रहा होता तो वह यह कहता कि CCTV ही नहीं है। हमने तो कहा कि CCTV चेक किए गए और ये ऑटो डिलीट हो गया।
सुप्रीम कोर्ट - FIR 7 जुलाई को दर्ज की गई और मामला 4 मई का था। किसी महिला को कार से बाहर खींचा गया और उसके बेटे की हत्या कर दी गई। यह बहुत गंभीर मामला है।
केंद्र सरकार - इस मामले में CCTV मौजूद था। लेकिन हम गुनहगारों को इसलिए नहीं पहचान पाए, क्योंकि हजारों लोगों की भीड़ थी।
सुप्रीम कोर्ट - लड़के को जला दिया गया। FIR में 302 की धारा क्यों नहीं जोड़ी गई, ऐसा क्यों है ?
केंद्र सरकार - एक बार पोस्टमॉर्टम हो जाए, ये धारा जोड़ दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट - 1-2 मामलों को छोड़ दिया जाए, ऐसा लगता है कि ज्यादातर में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच-पड़ताल बेहद ढीलीढाली है। FIR दर्ज होने में लंबा वक्त लगा, गिरफ्तारी नहीं हुई, बयान दर्ज नहीं किए गए।
केंद्र सरकार - मैं कोई सफाई नहीं दे रहा, पर ग्राउंड पर हालात बहुत खराब हैं।
सुप्रीम कोर्ट - इसका मतलब है कि 2 महीने से हालात बहुत खराब हैं और FIR दर्ज करने में कोई मदद नहीं की गई। क्या कानून नहीं है, आप FIR दर्ज नहीं कर पा रहे, पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर पा रही है। आप जो बता रहे हैं, उससे लग रहा है कि मई की शुरुआत से जुलाई तक कोई कानून नहीं था। ये मशीनरी की नाकामी है कि आप FIR भी दर्ज नहीं कर पा रहे हैं। क्या ऐसा नहीं है कि पूरे स्टेट की मशीनरी फेल हो गई है।
मणिपुर हिंसा पर केंद्र सरकार बोली- हालात बहुत खराब, SC ने कहा- लगता है कानून भी नहीं था, FIR नहीं हुईं, गिरफ्तारियां नहीं हो पाईं
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NEW DELHI. मणिपुर हिंसा के दौरान महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। FIR लेट होने पर केंद्र सरकार ने कहा कि मणिपुर में हालात बेहद खराब हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब हालात इतने खराब हैं कि वहां कानून भी नहीं था। FIR दर्ज नहीं हुई। पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर पाई।
रिपोर्ट कानून के खिलाफ
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कहा कि हम जितना निष्पक्ष रह सकते थे, उतना रहने की कोशिश की है। वहीं कुकी महिलाओं के रेप और हत्या के केस में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ये रिपोर्ट कानून के खिलाफ है। इसमें पीड़िताओं के नाम हैं।
सुप्रीम कोर्ट का रिपोर्ट शेयर नहीं करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट किसी को भी शेयर नहीं करने के निर्देश दिए हैं। नहीं तो पीड़िताओं के नाम सामने आ जाएंगे। मीडिया को नहीं देने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अपनी कॉपी में करेक्शन कर लेंगे। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि हमने इसे किसी से शेयर नहीं किया। एक कॉपी हमारे पास है और एक सिर्फ बेंच के सामने रखी है।
4 अगस्त तक कोर्ट में पेश होंगे मणिपुर DGP
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर डीजीपी को 4 अगस्त तक पेश होने का आदेश दिया है। उनसे पूछा गया है कि इतनी बड़ी घटना की जीरो FIR क्यों की गई, इसका जवाब दें। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान नहीं बताई गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया है।
सुनवाई पूरी होने का इंतजार करे CBI
HC ने मंगलवार सुबह केंद्र सरकार को आदेश दिया कि सुनवाई पूरी होने तक CBI वायरल वीडियो मामले की पीड़िताओं के बयान नहीं लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी सुनवाई पूरी होने का इंतजार करेगी। सोमवार को सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया था कि हाई पावर कमेटी मामले की जांच करे, जिसमें महिलाएं भी शामिल हों।
हिंसा की घटनाओं पर कोर्ट रूम में क्या हुआ ?
सुप्रीम कोर्ट - FIR कब दर्ज की गई ?
केंद्र सरकार - मामला 4 मई का था। जीरो FIR 16 को दर्ज की गई। मणिपुर हिंसा में अब तक 6532 FIR दर्ज की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट - तो जीरो FIR 16 जून को दर्ज की गई है। अभी तक कोई गिरफ्तारी हुई है, क्योंकि घटना तो 4 मई की थी।
केंद्र सरकार - अभी तक कोई जानकारी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट - एक बात बहुत साफ है कि FIR दर्ज करने में बहुत देरी की गई है।
केंद्र सरकार - सुप्रीम कोर्ट ने जब यह मामला उठाया, जांच उससे पहले जारी है।
सभी पीड़ित महिलाओं की ओर से याचिकाकर्ता - वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि सिस्टम से डेटा ऑटो डिलीट हो गया, CCTV डिलीट हो गए। ऐसा नहीं होना था।
केंद्र सरकार - अगर कोई पक्षपात करने वाला जांच कर रहा होता तो वह यह कहता कि CCTV ही नहीं है। हमने तो कहा कि CCTV चेक किए गए और ये ऑटो डिलीट हो गया।
सुप्रीम कोर्ट - FIR 7 जुलाई को दर्ज की गई और मामला 4 मई का था। किसी महिला को कार से बाहर खींचा गया और उसके बेटे की हत्या कर दी गई। यह बहुत गंभीर मामला है।
केंद्र सरकार - इस मामले में CCTV मौजूद था। लेकिन हम गुनहगारों को इसलिए नहीं पहचान पाए, क्योंकि हजारों लोगों की भीड़ थी।
सुप्रीम कोर्ट - लड़के को जला दिया गया। FIR में 302 की धारा क्यों नहीं जोड़ी गई, ऐसा क्यों है ?
केंद्र सरकार - एक बार पोस्टमॉर्टम हो जाए, ये धारा जोड़ दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट - 1-2 मामलों को छोड़ दिया जाए, ऐसा लगता है कि ज्यादातर में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच-पड़ताल बेहद ढीलीढाली है। FIR दर्ज होने में लंबा वक्त लगा, गिरफ्तारी नहीं हुई, बयान दर्ज नहीं किए गए।
केंद्र सरकार - मैं कोई सफाई नहीं दे रहा, पर ग्राउंड पर हालात बहुत खराब हैं।
सुप्रीम कोर्ट - इसका मतलब है कि 2 महीने से हालात बहुत खराब हैं और FIR दर्ज करने में कोई मदद नहीं की गई। क्या कानून नहीं है, आप FIR दर्ज नहीं कर पा रहे, पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर पा रही है। आप जो बता रहे हैं, उससे लग रहा है कि मई की शुरुआत से जुलाई तक कोई कानून नहीं था। ये मशीनरी की नाकामी है कि आप FIR भी दर्ज नहीं कर पा रहे हैं। क्या ऐसा नहीं है कि पूरे स्टेट की मशीनरी फेल हो गई है।