नई दिल्ली. 1 सितंबर को कृषि कानून (Farm Laws) के विरोध में जंतर-मंतर पर धरना देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के सड़कों पर आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर नाराजगी जताई। न्यायालय ने किसानों को फटकार लगाते हुए कहा कि 'आपको विरोध करने का अधिकार है, लेकिन आप दूसरों की संपत्ति को नष्ट नहीं कर सकते हैं।'
लोगों के भी अधिकार है- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि 'एक तरफ तो आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया और अब अदालत से शहर में धरने की मांग कर रहे हैं। लोगों के भी अधिकार हैं। क्या आप न्यायिक व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं? आप हाइवे जाम करते हैं और फिर कहते हैं कि विरोध शांतिपूर्ण है।'
200 किसानों के धरने की मांग
संगठन की ओर से वकील अजय चौधरी ने कोर्ट में कहा कि हमने हाइवे ब्लॉक नहीं किया है, पुलिस ने हमें वहां हिरासत में लिया है। किसान महापंचायत ने याचिका दायर करके दिल्ली के जंतर मंतर पर 200 किसानों के सत्याग्रह की इजाजत मांगी है।
हमारे अधिकारों का हनन- किसान महापंचायत
किसान महापंचायत (Kishan Maha Panchayat) ने अपनी याचिका में कहा है कि महापंचायत को निर्धारित स्थान पर शांतिपूर्ण, निहत्थे और अहिंसक सत्याग्रह से वंचित करने में दिल्ली पुलिस की "भेदभावपूर्ण, मनमानी और अनुचित कार्रवाई" स्थापित बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है।