चुनावी चंदे को लेकर बनाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड ( Electoral Bond ) के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ( supreme court ) में दोबारा सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सीधे ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( SBI ) से पूछ लिया कि इतने दिनों में आपने क्या किया? असल में कोर्ट ने बैंक से बॉन्ड के तहत ये जानकारी मांगी थी कि किन लोगों ने बॉन्ड खरीदकर किन पार्टियों को कितना चंदा दिया। बैंक ने इस मसले पर कोर्ट से यह जानकारी देने के लिए 30 जून तक मोहलत मांगी थी। बॉन्ड जानकारी को लेकर बैंक पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का भी केस पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान SBI की सभी दलीलें फेल हो गईं। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक की दलीलें खारिज करते हुए कल यानी 12 मार्च तक ही पूरा डेटा देने के निर्देश दिए हैं।
करीब 40 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा- SBI 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करे। कोर्ट ने यह भी कहा- SBI अपने चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर का एफिडेविट फाइल करे कि दिए गए आदेशों का पालन करेंगे। हम अभी कोई कंटेम्प्ट नहीं लगा रहे हैं, लेकिन SBI को नोटिस देते हैं कि अगर आज के आदेश का वक्त रहते पालन नहीं किया तो हम उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
बैंक ने कोर्ट में क्या कहा
बताते हैं कि आज सुबह हुई सुनवाई के दौरान बैंक ने सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ से कहा कि उसे बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में किसी प्रकार की दिक्कत या समस्या नहीं है, लेकिन इसके लिए उसे कुछ समय चाहिए। इस पर सीजेआई ने सीधे ही पूछ लिया कि अब तक आपने क्या किया? गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने गत 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया था। जिसके बाद बैंक ने एक याचिका दायर कर यह जानकारी देने के लिए 30 जून तक को वक्त मांगा था।
कोर्ट ने कहा: आप अतिरिक्त समय क्यों मांग रहे हैं
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पहले आपने यह जानकारी दी थी कि दान देने वालों की लिस्ट सीलबंद लिफाफे में मुंबई के मेन ब्रांच में है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि राजनीतिक दलों की जानकारी भी उसी ब्रांच के पास है। यानी आपके पास जानकारी के लिए दो सेट थे। चीफ जस्टिस ने अनुसार आप चाहते हैं कि एक सेट की जानकारी का मिलान दूसरे सेट से करनी है, इसलिए आपको समय चाहिए। उन्होंने कहा कि आपको हमारा ऑर्डर देखना चहिए, जिसमें हमने मिलान के लिए नहीं कहा है। हमने आपसे स्पष्ट खुलासा करने का आदेश दिया था। इसलिए मिलान करने के लिए समय लेने की मांग करना उचित नहीं है। हमने आपको ऐसा करने के लिए तो नहीं कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने SBI से सीधे पूछा कि इतने दिनों में क्या किया गया है?
ADR ने अवमानना की भी अर्जी दायर कर रखी है
बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक अलग याचिका भी लगी हुई है। रिफॉर्म्स ने कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं करने के लिए बैंक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की है। संगठन का कहना है कि जब कोर्ट ने सीधे तौर पर जानकारी देने के आदेश जारी कर रखे हैं, ऐसे में वह कोर्ट से 140 दिन की मोहलत क्यों मांग रहा है। कोर्ट को उसकी बात में दम लगा था, जिसके बाद वह अवमानना पर सुनवाई को तैयार हो गए थे।
बॉन्ड का मसला आखिर क्या है?
गत 15 फरवरी को सुनवाई के दौरान सु्प्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इस सिस्टम को अंसवैधानिक कहा था और कहा था कि इसके लागू होने से सूचना के अधिकार भी हनन हो रहा है। कोर्ट ने बॉन्ड के जरिए चुनाव चंदा लेने पर भी सवाल खड़े किए थे। कोर्ट ने स्टेट बैंक को आदेश जारी किए थे कि वह तीन सप्ताह के भीतर वर्ष 2019 से अब तक की बॉन्ड की सारी जानकारी चुनाव आयोग को दे और आयोग इस सारी जानकारी को अपने आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करे। बैंक ने आयोग को जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा है, जिस पर सुनवाई जारी है।