नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ( supreme court ) के आदेश ( order ) के बाद भारतीय स्टेट बैंक ( SBI ) ने इलेक्टोरल बॉन्ड (electoral bond ) से जुड़ी सारी जानकारी केंद्रीय चुनाव आयोग ( CEC ) को पहुंचा दी। एक पेनड्राइव ( pendrive ), दो पीडीएफ फाइल ( pdf file ) में बंद इस जानकार में यह सब बताया गया है कि किन लोगों ने इन बॉन्ड को खरीदा। बैंक का कहना है कि इस दौरान हजारों बॉन्ड खरीदे गए, जिन्हें खरीदारों ने कैश भी करवा लिया, जो बॉन्ड कैश नहीं कराए गए, उन्हें नियमों के अनुसार प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करा दिया गया है।
घबराए बैंक ने यह कदम भी उठाया
असल में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड को ही अवैध ठहरा दिया था, जिसके जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया जाता है। इन बॉन्ड की बिक्री एसबीआई ने की थी। कोर्ट ने एसबीआई के सीएमडी दिनेश खारा को आदेश दिए थे कि वह इस बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दे, जिसे आयोग सार्वजनिक करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से घबराए सीएमडी ने आयोग तक तो जानकारी पहुंचाई ही साथ ही कोर्ट में एक हलफनामा पेश कर इस बात की जानकारी भी दी कि जो तथ्य आयोग तक पहुंचाए गए हैं, वे क्या हैं, किस प्रकार के हैं और उन्हें पहुंचाने का तरीका क्या है।
पासवर्ड से ही खुलेगी पेनड्राइव व पीडीएफ फाइलें
सूत्र बताते हैं कि इस जानकारी में इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदारी व बिक्री, खरीदारों के नाम और बॉन्ड से जुड़े अन्य विवरण भी दिए गए हैं। चुनाव आयोग को जो जानकारी दी गई है, वह सीलबंद लिफाफे में है, जिसमें एक पेनड्राइव व दो पीडीएफ फाइलें हैं। यह दोनों पासवर्ड से ही खोली जा सकेंगी। अपनी खाल बचाने के लिए बैंक सीएमडी ने हलफनामे में कोर्ट को यह भी जानकारी मुहैया करा दी है कि कितने बॉन्ड खरीदे गए और कितने का भुगतान किया गया, जबकि कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में बैंक को ऐसा आदेश नहीं जारी नहीं किया था।
22 हजार 217 बॉन्ड बिके
बैंक के हलफनामे में जानकारी दी गई है कि अप्रैल 2019 के बाद से 15 फरवरी 2024 तक कुल 22,217 बॉन्ड बिके हैं। इन बॉन्ड्स की कीमत एक हजार रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये है। कुल बिके बॉन्ड में से 22,030 बॉन्ड भुना लिए गए हैं और जो 187 बॉन्ड कैश नहीं करवाए गए हैं, उन्हें नियमानुसार पीएम रिलीफ फंड में जमा कर दिया गया है। मसला यह है कि बॉन्ड को अवैध ठहराने के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था तो बैंक ने कोर्ट से 30 जून तक का वक्त मांगा था, लेकिन कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में बैंक को कड़ी फटकार लगाते हुए इसकी जानकारी चुनाव आयेाग को देने के आदेश जारी किए थे। चुनाव आयोग इसकी सारी जानकारी 15 मार्च तक सार्वजनिक कर देगा।