हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से 4 हजार परिवार फिलहाल बेदखल नहीं होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, उत्तराखंड-रेलवे को नोटिस

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से 4 हजार परिवार फिलहाल बेदखल नहीं होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, उत्तराखंड-रेलवे को नोटिस

NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट से 5 जनवरी को उत्तराखंड के लोगों को राहतभरी खबर मिली। शीर्ष कोर्ट ने हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4 हजार परिवारों को बेदखल करने के आदेश पर रोक लगा दी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रेलवे की जमीन से लोगों की बेदखली का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार ओर रेलवे को नोटिस भेजते हुए कहा कि रातों-रात आप 50 हजार लोगों को नहीं हटा सकते। यह एक मानवीय मामला है। 



सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हमें कोई व्यावहारिक समाधान ढूंढना होगा। समाधान का ये यह तरीका नहीं है। जमीन की प्रकृति, अधिकारों की प्रकृति, मालिकाना हक की प्रकृति से निकलने वाले कई एंगल हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। इन्हें हटाने के लिए केवल एक हफ्ते का समय काफी कम है। पहले उनके पुनर्वास पर विचार हो। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया था। वहां करीब 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं।



सुप्रीम कोर्ट का सवाल- जो लोग 50-60 सालों से रह रहे उनका क्या होगा



सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उत्तराखंड सरकार का स्टैंड क्या है? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50-60 साल से वहां रह रहे हैं, उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए। उस जमीन पर आगे कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसे स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता।



प्रभावित लोगों का पक्ष पहले सुना नहीं गया- याचिकाकर्ता के वकील की दलील



सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ। हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने कहा कि ये भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है। हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है। इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे।



हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण विवाद और हाईकोर्ट का आदेश



विवाद की शुरुआत उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद हुई। इस आदेश में रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाए जाने का फैसला दिया गया। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए 7 दिन की मोहलत दी गई थी। नोटिस में कहा गया कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा।



उत्तराखंड में जमीन धंस रही, 500 से ज्यादा घरों में दरारें, एशिया का सबसे बड़ा रोपवे बंद



चमौली जिले में जमीन और पहाड़ धंस रहे हैं। जोशीमठ में भी इसका असर दिख रहा है। यहां 561 घरों में दरारें आ गई हैं। अब तक 66 परिवार यहां से जा चुके हैं। जोशीमठ में एशिया की सबसे लंबी रोपवे बंद करने का फैसला लिया गया है। भूवैज्ञानिक, इंजीनियर और अफसरों की 5 सदस्यीय टीम ने पहले दरारों की जांच कर चुकी है। सूत्रों की मानें तो इस पैनल ने पाया कि जोशीमठ के कई हिस्से मानव निर्मित और प्राकृतिक कारणों से डूब रहे हैं।


Supreme Court News सुप्रीम कोर्ट न्यूज Uttarakhand Haldvani Railway Land Haldwani People Eviction Railway Land Supreme Court Order Railway उत्तराखंड हल्द्वानी रेलवे जमीन हल्द्वानी रेलवे जमीन लोगों की बेदखली सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर रेलवे