सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए सवाल उठाया कि क्या कोई सिर्फ इस आधार पर किसी का घर ध्वस्त कर सकता है कि वह व्यक्ति एक आरोपी है? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई आरोपी दोषी भी पाया जाता है, तब भी उसके घर को बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ध्वस्त नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख- स्पष्ट दिशा- निर्देश बनें
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण (Illegal Construction) को संरक्षण नहीं देगा। न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में अखिल भारतीय स्तर पर दिशा- निर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करता है। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की गई है।
घर गिराना संविधान के अधिकारों का उल्लंघन
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की गई, जो विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अपील की थी कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के किसी का घर गिराना संविधान के अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को स्पष्ट किया कि उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और केवल न्यायालय के आदेश के बाद ही किसी का घर ध्वस्त किया जा सकता है।
सरपट दौड़ रहा बुलडोजर... मोहन सरकार में 50 से ज्यादा कार्रवाई, शिवराज ने तुड़वाए थे 12 हजार अवैध निर्माण
अब आगे क्या
सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रुख से विभिन्न राज्य सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकारें इस पर कैसे प्रतिक्रिया देती हैं और आगे की कार्रवाई के लिए कौन से कदम उठाती हैं। सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में यह तय हो सकता है कि इस प्रकार के मामलों में भविष्य में क्या कानूनी दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे।