सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को बताया सही, कहा- आर्थिक फैसले को बदला नहीं जा सकता; नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं

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Vijay Choudhary
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सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को बताया सही, कहा- आर्थिक फैसले को बदला नहीं जा सकता; नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं

NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि नोटबंदी करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। कोर्ट ने कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को क्लीन चिट दे दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 2016 में 1 हजार और 500 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ 58 कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं जो खारिज कर दी गईं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी को फैसला सुनाया है। संविधान पीठ ने यह फैसला चार-एक के बहुमत से सुनाया।





सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और RBI से मांगा था जवाब





सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस कानून के तहत 1000 और 500 रुपए के नोट बंद किए गए थे। कोर्ट ने इस मामले में सरकार और RBI से जवाब तलब किया था। केंद्र सरकार ने पिछले साल 9 नवंबर को दाखिल हलफनामे में कहा था कि 500 और 1000 के नोटों की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। इसलिए फरवरी से लेकर नवंबर तक RBI से विचार-विमर्श के बाद 8 नवंबर को इन नोटों को चलन से बाहर करने यानी नोटबंदी का फैसला लिया गया था।





संविधान पीठ बोली- सरकार ने RBI से सलाह ली थी





सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा- नोटबंदी से पहले सरकार और RBI के बीच बातचीत हुई थी। इससे यह माना जा सकता है कि नोटबंदी सरकार का मनमाना फैसला नहीं था। संविधान पीठ ने इस फैसले के साथ ही नोटबंदी के खिलाफ दाखिल सभी 58 याचिकाएं खारिज कर दीं।





सरकार ने कहा था- RBI की सलाह पर की नोटबंदी





प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में 1000 और 500 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ 58 कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस कानून के तहत 1000 और 500 रुपए के नोट बंद किए गए थे। कोर्ट ने इस मामले में सरकार और RBI से जवाब तलब किया था।





जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा





पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थेइनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था। इसे अध्यादेश की जगह कानून के जरिए लिया जाना था। हालांकि उन्होंने कहा कि इससे पुराने फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्र सरकार ने पिछले साल 9 नवंबर को दाखिल हलफनामे में कहा था कि 500 और 1000 के नोटों की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। इसीलिए फरवरी से लेकर नवंबर तक RBI से विचार-विमर्श के बाद 8 नवंबर को इन नोटों को चलन से बाहर करने यानी नोटबंदी का फैसला लिया गया था।





8 नवंबर 2016 को हुई थी नोटबंदी





8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने अचानक देश में नोटबंदी लागू कर दी। इसके तहत 1 हजार और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। इस फैसले के बाद पूरे देश को नोट बदलवाने के लिए लाइनों में लगना पड़ा था। नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।





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जस्टिस नजीर ने रिटायरमेंट से 2 दिन पहले नोटबंदी पर फैसला सुनाया





केंद्र की मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी। इसको चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर आज यानी 2 जनवरी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 5 दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस नजीर ने रिटायरमेंट से 2 दिन पहले नोटबंदी पर फैसला सुनाया। फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस  ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल हैं। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए केंद्र और आरबीआई से नोटबंदी से जुड़े सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने को कहा था, जिसे सीलबंद लिफामे में जमा कर दिया गया था।





नोटबंदी ने नकली करंसी को सिस्टम से काफी हद तक बाहर किया-केंद्र





केंद्र ने याचिकाओं के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जाली नोटों, बेहिसाब धन और आतंकवाद जैसी गतिविधियों से लड़ने के लिए नोटबंदी एक अहम कदम था। नोटबंदी को सभी संबंधित आर्थिक नीतिगत उपायों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए। आर्थिक व्यवस्था को पहुंचे बहुत बड़े लाभ और लोगों को एक बार हुई तकलीफ की तुलना नहीं की जा सकती। नोटबंदी ने नकली करंसी को सिस्टम से काफी हद तक बाहर कर दिया। नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा है. 





सरकार की अपनाई गई प्रक्रिया में थी खामियां- याचिकाकर्ता





याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि सरकार की अपनाई गई प्रक्रिया में भारी खामियां थीं और इसे रद्द करने की मांगी थी। इस प्रक्रिया ने इस देश के कानून के शासन का मजाक बना दिया। केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही सरकार नोटबंदी कर सकती है। लेकिन यहां प्रक्रिया को ही उलट दिया गया। केंद्र ने फैसला लेने के दौरान अहम दस्तावेजों को रोक दिया, जिसमें सरकार के आरबीआई को 7 नवंबर को लिखा गया पत्र और आरबीआई बोर्ड की बैठक के मिनट्स शामिल हैं. 





2016 में केंद्र सरकार ने की थी नोटबंदी





केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक देश में नोटबंदी लागू कर दी थी। इसके तहत 1000 और 500 रुपये के नोटों को बाहर कर दिया गया था। इस फैसले के बाद पूरे देश के लोगों को नोट बदलवाने के लिए लाइनों में लगना पड़ा था। सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।



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