हैरतअंगेज : 9 महीनों में साइबर घोटालों से 11 हजार करोड़ से अधिक की चपत

नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS) की एक सरकारी रिपोर्ट को आधार बनाकर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें साइबर घोटाले की हैरतअंगेज ओर रूह को हिलाने वाली जानकारी साझा की है।

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Dr Rameshwar Dayal
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साइबर फ्रॉड या घोटाले का मामला दुनिया के साथ-साथ भारत को भी गंभीर रूप से परेशान किए गए है। इस फ्रॉड के चलते लोग आत्महत्या कर रहे हैं, कंगाल हो रहे हैं तो जिंदगी भर की जमा-पूंजी खो रहे हैं। इसके खिलााफ सरकारी एक्शन तो बाद की बात है। लेकिन एक चौंकाने वाली जानकारी यह आई है कि साइबर घोटाले में इस साल के नौ महीनों में भारत के लोगों को 11 हजार करोड़ से अधिक की चपत लग चुकी है। इस घोटाले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लोगों को इस तरह के घोटालों से सचेत रहने को कहा है। समस्या यह है कि लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं और आसानी से साइबर अपराधियों की साजिशों का शिकार हो रहे हैं।

सबसे ज्यादा नुकसान स्टॉक कारोबार में 

नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS) की एक सरकारी रिपोर्ट को आधार बनाकर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें साइबर घोटाले की हैरतअंगेज ओर रूह को हिलाने वाली जानकारी साझा की है। उसमें बताया गया है कि साल 2021 से अब तक करीब 30.05 लाख साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें मिली हैं। अगर इस साल की बात करें तो भारत में इस साल के पहले नौ महीनों में साइबर घोटालों के कारण लगभग 11,333 करोड़ का नुकसान हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान स्टॉक ट्रेडिंग घोटालों से हुआ, जिसमें 4,636 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस घोटाले से जुड़ी शिकायतों की संख्या 2 लाख से अधिक है। इसके बाद निवेश घोटालों का स्थान रहा, जिनसे एक लाख से अधिक शिकायतों में 3,216 करोड़ की चपत लगाई गई। 

'डिजिटल अरेस्ट' मामलों में आई तेजी

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि इस घोटाले के तहत 'डिजिटल अरेस्ट' मामलों में भी तेजी देखी गई है। इन मामलों से करीब 1,616 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें लगभग 63,481 शिकायतें शामिल हैं। यह सारी जानकारी भारतीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre) रिपोर्ट के आधार पर दी गई है। इस संस्थान को I4C भी कहा जाता है। यह भी जानकारी दी गई है कि इस साल लगभग 12 लाख साइबर घोटाले की शिकायतें मिलीं, जिनमें से 45 प्रतिशत शिकायतें कंबोडिया, म्यांमार और लाओस से जुड़ी हैं। वैसे CFCFRMS को साल 2021 से लेकर अब तक करीब 30.05 लाख शिकायतें मिली हैं, जिनमें कुल नुकसान 27हजार 914 करोड़ रुपए का माना गया है। इनमें से साल 2023 में 11लाख 31 हजार 221 शिकायतें, 2022 में 5 लाख 14 हजार 741 और साल 2021 में 1 लाख 35 हजार 242 शिकायतें दर्ज की गई हैं। 

करीब 4.5 लाख बैंक खाते फ्रीज किए

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि इस साल हुए साइबर फ्रॉड के मामलों की खोजबीन से पता चला है कि चोरी की गई रकम अक्सर चेक, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), फिनटेक क्रिप्टो, ATM, मर्चेंट पेमेंट और ई-वॉलेट का उपयोग करके निकाली जाती है। पिछले एक साल में I4C यानी Indian Cyber Crime Coordination Centre ने ऐसे लगभग 4.5 लाख बैंक खातों को फ्रीज किया है। इन अकाउंट्स का इस्तेमाल आमतौर पर साइबर फ्रॉड से जुटाई गई रकम को अंदर-बाहर करने के लिए किया जाता है।

पीएम मोदी ने भी बचकर रहने को कहा था

अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में 'डिजिटल अरेस्ट' घोटालों के बारे में देश को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर लोगों को धमकी देकर पैसे की मांग नहीं करती है। कार्यक्रम के 115वें एपिसोड में पीएम ने इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि कानून के तहत डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने ऐसे मामलों से निपटने के लिए जागरूकता के महत्व पर जोर दिया। पीएम मोदी ने 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाले की प्रक्रिया को समझाते हुए बताया था कि इस घोटाले में कॉल करने वाले खुद को पुलिस, सीबीआई, आरबीआई या नारकोटिक्स अधिकारी बताते हैं और बहुत विश्वास से बात करते हैं। यह घोटाला तीन चरणों में काम करता है पहले आपकी निजी जानकारी जुटाई जाती है। उसके बाद आपको इतना डराया जाता है कि आप कुछ सोच भी न पाएं। इसके बाद पीड़ित को तुरंत निर्णय लेने के लिए मजबूर कर उससे रकम ऐंठ ली जाती है। हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट, निवेश और साइबर घोटाले तेजी से बढ़े हैं, जो लोगों को 'फायदे वाली योजनाओं' का लालच देकर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करते हैं।

शातिर दिमाग है घोटालेबाजों का

असल में लोग जागरूक हो जाएं तो इस तरह के फ्रॉड से बच सकते हैं। वे ध्यान नहीं दे रहे हैं कि थोड़ी सी समझदारी से वे अपने जीवनभर की कमाई को बचा सकते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधी निवेश और नौकरी, तुरंत लोन, डिजिटल अरेस्ट, डेटिंग, फर्जी गेमिंग ऐप और सेक्सटॉर्शन जैसे तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। बड़ी बात यह है कि घोटालेबाजों के दिमाग इतनी तेजी से चल रहे हैं कि वे हर बार कोई न कोई नया फ्रॉड पेश कर रहे हैं। नए घोटाले का शिकार होने के बाद ही लोगों की आंख खुलती है। जब तक शासन, सोशल मीडिया या अन्य साधनों से ऐसे फ्रॉड की जानकारी दी जाती है, तब तक घोटालेबाज लोगों का ठगने का नया तरीका तलाश ले रहे हैं।

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