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JAMMU. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पुलिस को रविवार (7 मई) को बड़ी सफलता हाथ लगी है। जहां पुलिस ने दक्षिण कश्मीर के इस जिले में 5 किलो इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के साथ एक आतंकवादी के सहयोगी को गिरफ्तार किया है। इसी के साथ ही पुलिस ने बड़ी त्रासदी टालने का दावा किया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर्स) की पहचान इश्फाक अहमद वानी के रूप में हुई है।
जी-20 बैठक से पहले सुरक्षा बलों के वाहनों पर हमले की थी योजना
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक तलाशी अभियान के दौरान इस ओजीडब्ल्यू को पुलवामा के अरिगाम इलाके से गिरफ्तार किया है। पकड़े गए उग्रवादी सहयोगी के खुलासे के आधार पर 5-6 किलोग्राम वजन का एक पूर्वनिर्मित आईईडी बरामद किया गया। पुलिस ने बताया कि आने वाले दिनों में जी20 बैठक से पहले सुरक्षा बलों के वाहनों पर हमले के लिए आईईडी का इस्तेमाल किया जाना था, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। फिलहाल, पुलिस ने कहा कि इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच की जा रही है।
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क्या है ओजीडब्ल्यू
ओजीडब्ल्यू या ओवर ग्राउंड वर्कर्स, यह शब्द घाटी में सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली शब्दावली में नया जुड़ा है जो पिछले तीन दशकों से विवाद की वजह बना हुआ है। कुछ वर्ष पहले, पुलिस ने एक नया शब्द ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) गढ़ा था। ओजीडब्ल्यू वो लोग हैं जो आतंकवादियों को साजो-सामान उपलब्ध कराते हैं और गुप्त गतिविधियों को चलाने में मदद करते हैं। इस शब्द का इस्तेमाल हमेशा से सुरक्षा बलों द्वारा किया जाता रहा है, जो अब आम कश्मीरी नागरिकों की शब्दावली में भी खुल मिल गया है। 90 के दशक में जब आतंकवाद का सबसे ज्यादा असर था तब दो कश्मीरी शब्द – सोयाथ (बाती) या पाउट पलाव (शर्ट का पिछला हिस्सा) का इस्तेमाल आज के ओजीडब्ल्यू के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता था। जैसा कि कश्मीर के एक महत्वपूर्ण इतिहासकार ज़ारीफ़ अहमद ज़ारीफ़ ने बताया था कि आतंकवादी के लिए सोयाथ वैसा ही है जैसा कि मोमबत्ती के लिए बाती। जबकि पाउट पलाव वो लोग हैं जो साये की तरह किसी चीज का पीछा करते हैं।
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