जिस केस में सिद्धू को सजा, देश में उसका कानून ही नहीं; जानें इन देशों में लॉ?

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Atul Tiwari
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जिस केस में सिद्धू को सजा, देश में उसका कानून ही नहीं; जानें इन देशों में लॉ?

New Delhi/Chandigarh. पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की दुर्गति हो गई। सिद्धू, तब मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी समेत कई दिग्गज चुनाव हार गए थे। अब सिद्धू को 34 साल पुराने रोड रेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। असल में 1988 में सिद्धू की घूंसे से एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सिद्धू को गैर-इरादतन हत्या से बरी कर दिया था और महज एक हजार का जुर्माना लगाया था। इस मामले में रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए अब शीर्ष कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा दी। जानिए, रोडरेज क्या है, भारत और कई अन्य देशों में इसको लेकर क्या प्रावधान हैं....



आखिर रोडरेज होता क्या है?



सीधे शब्दों में कहें तो रोड रेज गाड़ी चलाते समय अचानक हुई हिंसा या गुस्सा है जो गाड़ी चलाते समय गुस्से और हताशा के कारण पैदा होती है। रोड रेज की वजह जबर्दस्ती और एग्रेसिव ड्राइविंग को माना जाता है। इन घटनाओं को आप रोडरेज कह सकते हैं- 




  • चीखना, चिल्लाना,  जोर-जोर से हॉर्न बजाना, अश्लील इशारे करना, धमकी देना।


  • किसी गाड़ी को गलत तरीके से ओवरटेक करना, गाड़ी चलाते वक्त बहुत पास आ जाना। 

  • दूसरे की गाड़ी को ब्लॉक करना, ताकि वह ट्रैफिक लेन का यूज ना कर सके।

  • किसी गाड़ी का पीछा करना या सड़क से हटाना, जानबूझकर किसी गाड़ी को टक्कर मारना। 

  • कार, बाइक, साइकिल और पैदल जा रहे व्यक्ति को सड़क पर रोकना, धमकाना या हमला कर जख्मी कर देना।



  • आखिर क्यों बढ़ रहीं रोडरेज की घटनाएं?



    विशेषज्ञों का कहना है कि जनसंख्या में तेजी से होता इजाफा, गांव के लोगों को शहरों की तरफ पलायन, वाहनों की संख्या का तेजी से बढ़ना, रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी और ड्राइवरों में बढ़ती असहनशीलता ये सब रोडरेज बढ़ने की प्रमुख वजहें हैं। असहनशीलता का आलम ये है कि वाहन में जरा-सी टक्कर लगते ही मारपीट शुरू हो जाती है।



    सड़कों की लंबाई के मुकाबले देश में गाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है। दिल्ली में 2 दशकों के दौरान गाड़ियों की संख्या 212% बढ़ गई, लेकिन सड़कों की लंबाई महज 17% बढ़ी। लिहाजा लोगों को सड़कों पर पहले के मुकाबले ज्यादा देर तक रहना पड़ता है। इससे उनमें नाराजगी और हताशा बढ़ती है और मामूली कहासुनी हिंसक झगड़ों में बदल जाती है।



    भारत में रोडरेज को लेकर कानून की स्थिति



    भारतीय कानून के तहत रोडरेज दंडनीय अपराध नहीं है। हालांकि, मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसे कई सेक्शन हैं, जो रोड इंजरी और रैश ड्राइविंग के मामलों से जुड़े हैं, लेकिन इस एक्ट में ऐसा कोई सेक्शन नहीं है, जो रोडरेज से संबंधित है। मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है, जो रोडरेज को दंडनीय अपराध बनाए। मार्च 2021 में एक मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि रोडरेज के बढ़ते मामलों को देखते हुए उसे दंडनीय अपराध बनाया जाना चाहिए। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, 2021 में देश में रोडरेज और रैश ड्राइविंग के 2.15 लाख मामले आए थे।



    इन देशों में रोडरेज को लेकर कानून?



    ऑस्ट्रेलिया: 5 साल तक की जेल और 54 लाख जुर्माना



    ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में रोडरेज को काफी गंभीर अपराध माना जाता है। यहां पर सड़क पर किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने या धमकी देने पर 5 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही 54 लाख रुपए का जुर्माना और ड्राइविंग से अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।



    सिंगापुर: 2 साल की जेल



    सिंगापुर में भी रोडरेज गंभीर अपराध है। दोषी पाए जाने पर 2 साल की जेल या 3.88 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।



    ब्रिटेन: 2.5 लाख रुपए तक का जुर्माना



    ब्रिटेन में पब्लिक ऑर्डर एक्ट 1986 रोडरेज के मामले में लागू होता है। दोषी पाए जाने पर 10 हजार से लेकर ढाई लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।



    क्या है सिद्धू का रोड रेज केस?



    1988 में पंजाब के पटियाला में गाड़ी पार्किंग को लेकर 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से सिद्धू का विवाद हो गया था। इस विवाद में सिद्धू ने गुरनाम सिंह पर घूंसे बरसाए थे, जिससे बाद गुरनाम की मौत हो गई थी। मृतक गुरनाम सिंह के परिवारवालों ने 2010 में एक चैनल के शो में सिद्धू द्वारा गुरनाम को मारने की बात स्वीकार करने की सीडी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी।



    सिद्धू केस की टाइमलाइन? 



    रोडरेज से जुड़े मामले में सितंबर 1999 में पंजाब की निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन दिसंबर 2006 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने IPC के सेक्शन 304-II के तहत सिद्धू और एक अन्य को गैर-इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई।



    इस सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को गैर-इरादतन हत्या के आरोपों से बरी करते हुए IPC के सेक्शन 323 के तहत पीड़ित को चोट पहुंचाने का दोषी करार देते हुए एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था।



    इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरनाम सिंह के परिजन ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। अब इसी रिव्यू पिटीशन की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई।


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