New Delhi. 31 अगस्त को मुंबई में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक प्रस्तावित है। संभावना है कि इस बैठक में गठबंधन के संयोजक के पद पर फैसला हो सकता है। गठबंधन की पहली दो बैठकें पटना और बेंगलुरू में हुई थीं। पहली बैठक में शुरुआती सदस्यों को किनारे किया गया और दूसरी बैठक में गठबंधन का नाम तय हुआ। गठबंधन बैठक के बाद 1 सितंबर को प्रेस वार्ता करने जा रहा है।
समन्वय कमेटी का भी हो सकता है गठन
बेंगलुरू में 26 दलों की मीटिंग के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि गठबंधन का नामकरण हो चुका है। अगली बैठक में एक्शन प्लान तैयार होगा। जिसमें 11 सदस्यों की एक कमेटी गठित की जाएगी जो समन्वय का जिम्मा उठाएगी। कमेटी में एक चेयरमैन, एक संयोजक और 9 सदस्य भागीदारी करेंगे। खड़गे के मुताबिक यह कमेटी ही गठबंधन सरकार के खिलाफ किए जाने वाले आंदोलन की रणनीति तैयार करेगी। टिकट वितरण में भी यह कमेटी मुख्य भूमिका निभाएगी। इसके अलावा दलों के आपसी विवाद निपटाने का सबसे अहम काम कमेटी के ही हवाले होगा।
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नीतिश-लालू ने तैयार की थी बुनियाद
दरअसल विपक्षी एकता के इस अभियान की शुरुआत नीतिश कुमार ने लालू यादव के साथ मिलकर की थी। नीतिश कुमार के जेडीयू, लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल और माले ने मिलकर विपक्षी एकता का खाका तैयार किया। जिन्हें ओमप्रकाश चौटाला, सीताराम येचुरी और के चंद्रशेखर राव ने समर्थन दिया। चंद्रशेखर राव पहले से ही विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद में जुटे हुए थे।
फिर शुरु हुई कवायद
इन तीन दलों के नेताओं से समर्थन मिलने के बाद नीतिश कुमार ने दिल्ली का रुख किया और अरविंद केजरीवाल, एचडी कुमारस्वामी और शरद पवार से मेल मुलाकातें कर 15 दलों को एकजुट कर 500 सीटों पर बीजेपी को टक्कर देने का प्लान बनाया था। उस दौरान कांग्रेस ने नीतिश कुमार को तवज्जो नहीं दी, उस दौरान पार्टी अपने नए अध्यक्ष को तलाश रही थी। बाद में सोनिया गांधी ने लालू-नीतिश से मुलाकात की, लेकिन तब भी मामला ठंडे बस्ते में ही जाता दिख रहा था।
सलमान खुर्शीद से कराई पहल
इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष बने इसके बाद नीतिश कुमार ने मंच से ही कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद को विपक्षी दलों को एक करने में कांग्रेस के सपोर्ट के लिए पहल करने का संदेश दिया। कुछ दिन बाद खड़गे ने नीतिश को मुलाकात के लिए आमंत्रित कर लिया। बातचीत में कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह तेलंगाना, हरियाणा और कर्नाटक में कोई साझेदार नहीं चाहती। जिसके चलते विपक्षी एकता का झंडा पकड़ने वाले शुरुआती सदस्य के चंद्रशेखर राव, ओमप्रकाश चौटाला और एचडी कुमारस्वामी से नीतिश कुमार ने दूरी बना ली।
कांग्रेस ने जोड़े 8 छोटे दल
कांग्रेस से हरी झंडी मिलने के बाद नीतिश कुमार ने सीपीएम, समाजवादी पार्टी, तृणमूल और पीडीपी जैसे दलों से बात कर ली। सपा के अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने पहली मीटिंग पटना में कराने का सुझाव दिया, उनका मानना था कि दिल्ली हुई मीटिंग अंजाम तक नहीं पहुंच पातीं। पटना के लोकनायक जेपी की कर्मभूमि होने का भी हवाला दिया गया। पटना के बाद अगली मीटिंग शिमला में करने का सुझाव आया था लेकिन बाद में बेंगलुरू में मीटिंग तय हुई। इससे पहले कांग्रेस ने दक्षिण भारत के 8 छोटे दलों को गठबंधन में शामिल कराया।
विधानसभा चुनावों के बाद रुख बदल सकती है कांग्रेस
एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि यदि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को आशातीत सफलता मिल जाती है तो कांग्रेस फिर सातवें आसमान पर पहुंच सकती है। ऐसे में गठबंधन में मिलकर चलने के प्रयासों को धक्का लगेगा। उधर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल बेंगलुरू मीटिंग से अचानक वापस भी लौटे थे, माना जा रहा है कि पंजाब में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर खलल पैदा हो। उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल की सीटों पर भी कांग्रेस वॉकओवर देने पर नहीं माने, हालांकि यह सब विधानसभा चुनावों के परिणाम पर निर्भर करेगा।
अभी संयोजक के पद पर बनेगी सहमति
जानकारी के मुताबिक गठबंधन अभी मुंबई बैठक में संयोजक के पद और समन्वय कमेटी की घोषणा कर सकता है। रही बात प्रधानमंत्री के पद की तो इसे चुनाव के बाद डिसाइड करने पर सभी में सहमति बन चुकी है। कांग्रेस भी इस सहमति में फिलहाल शामिल है।