NEW DELHI. चर्चित बॉलीवुड फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर रोक लगाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। फिल्म पर केरल हाईकोर्ट ने रोक लगाने से मना कर दिया है। जिसके बाद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और सुनवाई के लिए आग्रह किया है। चीफ जस्टिस ने मामले में 15 मई को सुनवाई की बात कही है। 'द केरल स्टोरी' फिल्म को बीजेपी शासित राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया, वहीं पंश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने फिल्म को राज्य में बैन कर दिया है। फिल्म खूब चर्चित हो रही है।
एनसीपी नेता ने कहा- फिल्म मेकर्स को फांसी दी जाए
'द केरल स्टोरी' देखने के लिए सिनेमा घरों में भीड़ उमड़ रही है, वहीं इस पर सियासत भी तेज हो गई है। बंगाल में फिल्म को बैन कर दिया गया है और तमिलनाडु में इसे सिनेमा एसोसिएशन ने दिखाने से ही इनकार कर दिया है। इस बीच यूपी और मध्य प्रदेश में फिल्म टैक्स फ्री कर दी गई है। इस फिल्म से जुड़ा विवाद अब महाराष्ट्र तक पहुंच गया है। यहां एनसीपी के सीनियर नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि इस फिल्म में झूठ दिखाया गया है। तीन लड़कियों की कहानी को 32 हजार का बताया गया है। उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि इस फिल्म को बनाने वालों को फांसी दी जानी चाहिए।
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आव्हाड ने यह किया ट्वीट
बयान से पहले जितेंद्र आव्हाड ने ट्वीट भी किया था और द केरल स्टोरी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने मराठी में लिखा था कि यह फिल्म झूठ का चरम दिखाती है। केरल की तस्वीर उससे कहीं अलग है। उन्होंने लिखा कि विदेश से भारत आने वाली रकम में 36 फीसदी हिस्सा केरल से बाहर गए लोगों का है। आव्हाड ने कहा, 'बीते साल देश में 2.36 लाख करोड़ रुपए की रकम विदेश में रहने वाले केरल मूल के लोगों ने भारत भेजी थी। केरल में साक्षरता की दर 96 फीसदी है, जबकि पूरे भारत का आंकड़ा 76 फीसदी ही है। केरल में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या 0.22 फीसदी ही है, जबकि देश भर में यह आंकड़ा 22 पर्सेंट का है।'