Bangalore. कर्नाटक में कांग्रेस प्रचंड जीत हासिल कर चुकी है, लेकिन अभी तक इस राज्य के नए सीएम का ऐलान नहीं हो पाया है। रेस में पूर्व सीएम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दौड़ लगा रहे हैं। उधर दिल्ली में इस मसले पर गहन मंथन जारी रहने की खबरें आ रही हैं। इससे पहले भी कांग्रेस इस तरह की सिचुएशन से गुजर चुकी है। चाहे हिमाचल की बात हो या फिर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की। चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में यह माथापच्ची हर चुनाव में जीत मिलने के बाद देखने को मिलती है।
मध्यप्रदेश में हो चुकी है बगावत
बता दें कि साल 2018 में भी पूर्व सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रस्साकशी का दौर चला था। उस वक्त राहुल गांधी ने कमलनाथ के पलड़े को भारी मानकर उन्हें सीएम के पद से नवाजा और दोनों दावेदारों के साथ एक फोटो खिंचवा कर धैर्य और शौर्य वाला संदेश दे दिया था।
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राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी खींचतान
मध्यप्रदेश में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कहकर नई राह चुन ली थी, लेकिन राजस्थान में सचिन पायलट और छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव आजतक असंतुष्ट ही हैं, जबकि सूत्रों की मानें तो उस वक्त ढाई-तीन साल बाद सीएम बदले जाने का आश्वासन इन दोनों नेताओं को दिया गया था। यही कारण है कि कर्नाटक में डीके शिवकुमार मानने को राजी नहीं दिखाई दे रहे।
पंजाब में छिड़ी थी कैप्टन और सिद्धू के बीच जंग
कुछ ऐसे ही नजारे पंजाब में देखने को मिले थे, हालांकि वहां तो चुनाव के पहले ही दंगल मच गया था। गांधी परिवार ने सिद्धू के पक्ष में भरोसा जताया तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राजनैतिक दिशा ही बदल ली थी। हालांकि उस लड़ाई में न तो सिद्धू का कुछ भला हो पाया था और न ही सीएम बनाए गए चरणजीत सिंह चन्नी का।
इधर कर्नाटक में मचे नाटक का अंत क्या होगा यह देश और प्रदेश में सबसे बड़ा सवाल उभरकर सामने आया है। माना जा रहा है कि यदि ऐसा ही चला तो कर्नाटक के सीएम पद के लिए मान-मनौव्वल और राय मशवरे में एक दो दिन और लग सकते हैं।