NEW DELHI. गणतंत्र दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है, जब भारत काफी गर्व के साथ संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपने 74वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति थे। वहीं हम सभी जानते हैं देश 15 अगस्त सन् 1947 को आजाद हुआ था। इसी वजह से हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, लेकिन स्वतंत्रता दिवस को लेकर इतिहास के पन्नों में एक बड़ा तथ्य छिपा हुआ है। दरअसल देश आजाद होने से पहले करीब 17 सालों तक 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था।
भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति थे
1950, 1951, 1952, 1953 की परेड और 1954 में नई दिल्ली के इरविन स्टेडियम (अब मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के रूप में जाना जाता है), लाल किला, रामलीला मैदान और किंग्सवे में आयोजित किए गए थे। दरअसल, 26 जनवरी 1950 को सार्वजनिक समारोह दोपहर में ही शुरू हो गए थे क्योंकि सुबह राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह था। भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे, जिन्हें दोपहर 2.30 बजे छह घोड़ों की गाड़ी में इरविन स्टेडियम ले जाया गया। घोड़े पर सवार ग्वालियर लांसर्स के एक बैंड के साथ एक समारोह की योजना बनाई गई। यह स्टेडियम पहुंचने से पहले नई दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट, कनॉट सर्कस, बाराखंभा रोड, सिकंदरा रोड और हार्डिंग एवेन्यू (जिसे अब तिलक मार्ग के नाम से जाना जाता है) से होकर गुजरा।
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सन् 1947 से पहले तक 26 जनवरी को मनाया जाता था स्वतंत्रता दिवस
यह बात सन् 1929 की है। इस साल 31 दिसंबर को पं. जवाहर लाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर लाहौर अधिवेशन में हिस्सा लिया था और सबसे पहले तिरंगा फहराया था। इसी दौरान उन्होंने सबसे पहले स्वतंत्रता के लिए 26 जनवरी की तारीख का ऐलान कर दिया था। जिसका प्रभाव आगे कई सालों तक देखा गया।
हालांकि जब देश आजाद हुआ तो वो तारीख थी– 15 अगस्त 1947, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के बाद 26 जनवरी की तारीख की अहमियत को बरकरार रखने का प्रयास किया। आगे चलकर सन् 1950 में जब हमारा संविधान लागू हुआ तब 26 जनवरी तारीख को इसके लिए खास दिन मुकर्रर किया गया। हमारा संविधान जिस दिन लागू हुआ, उस दिन को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया. देश तभी से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाता आ रहा है.
389 सदस्यों ने निभाई थी भूूमिका
देश का संविधान बनाने में 389 सदस्योें ने अपनी अपनी अहम भूमिका निभाई। सभी सदस्यों ने अपनी विशेषज्ञता को शामिल करते हुए संविधान का निर्माण किया, जिसका आखिरी मसौदा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने तैयार किया। संविधान का प्रारूप जब तैयार हो गया तब 24 जनवरी को संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर अपने–अपने दस्तखत किए और फिर उसे भी 26 जनवरी को लागू कर दिया गया।