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New Delhi. मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्णकालिक बजट केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश कर दिया है। मोदी सरकार ने 2023 के बजट के जरिए 2024 के चुनावी समीकरण को साधने का की पूरी कोशिश की है, जिसके लिए किसानों, महिलाओं, बुजुर्गों, आदिवासियों और युवाओं को फोकस में रखकर बजट बनाया गया है। बड़ा सवाल अब बस यही है कि क्या यह बजट बीजेपी को 9 राज्य हों या फिर आम चुनाव, हर मैदान पर फतह दिला पाएगा?
मोदी सरकार 2.0 ने पहली फरवरी को अपना करीब 45 लाख करोड़ का बजट पेश कर दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे अमृत काल का पहला बजट बताते हुए कहा कि यह आजादी के 100 साल बाद के भारत की परिकल्पना वाला बजट है। सरकार ने अपने कोर वोटबैंक में शामिल हो चुके महिलाओं, हितग्राहियों, किसानों और मध्यम वर्ग पर फोकस रखते हुए बजट तैयार किया। मोदी सरकार का बजट पूरी तरह से चुनावी बजट नजर आ रहा है। जिसमें न तो सुधारों को टच किया गया है बल्कि समाज के सभी वर्ग को साधने की कोशिश की गई है।
असल में किसान, ग्रामीण, युवा, निर्धन वर्ग, महिलाएं, बुजुर्ग, दलित, पिछड़े और अति पिछड़े, आदिवासी, सरकारी कर्मचारी, छोटे-मंझौले व्यापारी, उद्योगपति ये सभी बीजेपी के वोटबैंक हैं। स्वाभाविक रूप से चुनाव से पहले मोदी सरकार इन सभी तबकों को बजट के जरिए खुश करने की कोशिश में थी ताकि सत्ता की तिकड़ी लगा सके। यही नहीं इस साल होने जा रहे 9 राज्यों के चुनाव पर भी पार्टी की नजर है।
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लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ 1 साल का समय बाकी है, 9 राज्यों में खासकर हिंदी पट्टी के राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और दक्षिण में तेलंगाना और कर्नाटक समेत पूर्वोत्तर में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं। ये चुनाव आम चुनाव के सेमीफाइनल जैसे ही हैं। ऐसे में बजट चुनावी बजट माना जाना गलत नहीं होगा। कारण यह भी है कि बजट वोट बैंक के लिए तोहफे से भरा हुआ है। सरकार ने गरीबों को 5 किलो फ्री राशन योजना को साल भर के लिए बढ़ा दिया। अब यह आम चुनाव तक जारी रहेगा। किसानों को सौगात दी तो मिडिल क्लास को 7 लाख तक की आय में टैक्स से छूट दे दी।
गरीब को ऐसे साधा
सरकार ने निर्धन वर्ग के लिए खजाने की तिजोरी खोल सी दी है। वित्त मंत्री ने जहां टैक्स स्लैब में छूट की सीमा 5 से 7 लाख कर दी तो वहीं जेल में बंद गरीब कैदी जिन्हें तंगी के कारण जमानत नहीं मिल पाती थी, अब उनकी जमानत का खर्च सरकार उठाएगी। ऐसे करीब 2 लाख कैदी हैं जिनकी सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन रिहाई के लिए तय रकम न चुका पाने के कारण वे जेल में ही सड़ रहे हैं। ऐसे निर्धनों के लिए सरकार ने एक हाथ आगे बढ़ाया है।
आवास योजना के जरिए सस्ता घर
बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट बढ़ाया है। जिससे अब तक जिन लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया था। उन्हें भी पक्का मकान मिलने की आस जग गई है। इस योजना के तहत सरकार शहरी और ग्रामीण इलाकों में घर बनाने के लिए ढाई लाख रुपए की मदद देती है। बीते समय में यह योजना सरकार के लिए तुरूप का इक्का साबित हुई थी। एक जानकारी के मुताबिक बीते साल तक 1.14 करोड़ हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया जा चुका था।
पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना
सरकार ने अगले साल 2024 तक गरीबों को मिलने वाले मुफ्त राशन को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। इसके लिए सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का बजट रखा है। जिससे 80 करोड़ गरीबों को राशन मिलेगा। कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने यह योजना शुरू की थी। बीजेपी को इससे पहले यूपी चुनाव में इस योजना का भरपूर लाभ मिल चुका है।