DAMOH. दमोह के गंगा जमुना स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाने के मामले में नए खुलासे हुए हैं। राज्य बाल आयोग की टीम के निरीक्षण के बाद सामने आया है कि स्कूल की प्रिंसिपल और दो अन्य टीचर स्कूल जॉइन करने के बाद कन्वर्ट हुई हैं। आयोग की टीम से बातचीत के दौरान स्कूल की प्रिंसिपल ने माना कि वह पहले खरे सरमनेम लिखती थी। इनके अलावा एक टीचर अनीता यादव थी जो बाद में अनीता खान बन गई और एक अन्य टीचर जो अब तबस्सुम खान है पहले जैन सरनेम लिखती थी। मामले में यह खुलासा नहीं हो सका है कि तीनों शिक्षिकाओं ने अपना धर्म क्यों बदला। सूत्रों का कहना है कि स्कूल में टीचर्स को परमानेंट करने के लिए धर्म परिवर्तन का लालाच दिया जाता था। इस बारे में स्कूल के संचालक मोहम्मद इदरीस ने भी अयोग की टीम को गोलमाल जवाब दिया।
स्कूल पर आरोप है कि वहां हिंदू लड़कियों को भी हिजाब पहनने को मजबूर किया जाता है। साल 2012 से स्कूल में यह प्रैक्टिस जारी है। इतना ही नहीं 2018 में स्कूल में हुई बैठक में इस ड्रेस कोड को मान्यता दी गई थी। खास बात यह है कि स्कूल संचालक बाल आयोग की टीम को हिजाब को स्कार्फ बताता रहा।
आयोग की सदस्य का कहना है कि स्कूल में रोज चार इस्लामिक प्रार्थनाएं होती थीं। वहीं छात्राओं का कहना है कि हिजाब नहीं पहनने पर स्कूल का स्टाफ नाराज होता था। स्कूल में छठवी से लेकर 11वी तक की हर छात्रा को हिजाब पहनना जरूरी था।
कैसे हुआ खुलासा
कुछ दिन पहले स्कूल ने अपने टॉपर्स की लिस्ट फोटो जारी की थी। फोटो में हिंदू लड़कियों को भी हिजाब में दिखाया गया था। इसके बाद दमोह में विवाद हो गया था। मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जांच के आदेश दिए थे। स्कूल ने विवाद के बाद कुछ दिन पहले एक पत्रकार वार्ता कर कहा कि वो अपनी प्रार्थन में बदलाव कर कहा है। स्कूल में अब अल्लामा इकबाल का गीत ‘लब पर आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी जिंदगी शमा की सूरत हो खुदाया…’, नहीं गाया जाएगा। स्कूल में अब सिर्फ राष्ट्रगान ही होगा। इसके साथ ही स्कूल के संचालक मोहम्मद इदरीस ने कहा कि स्कूल की यूनिफॉर्म में स्कार्फ (हिजाब) को लेकर कुछ संगठनों को दिक्कत थी तो उसे यूनिफॉर्म से हटाया जा रहा है। इसके स्थान पर दुपट्टा पहना जा सकता है।