अमेरिकी अदालत का बड़ा फैसला: ट्रंप के लिबरेशन डे टैरिफ को बताया असंवैधानिक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। यूएस कोर्ट ने 'लिबरेशन डे' टैरिफ को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि ट्रंप ने IEEPA कानून का उल्लंघन कर अपने संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया है।
एक बार फिर अमेरिकी कोर्ट से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) को झटका लगा है। मैनहेटन संघीय अदालत ने ट्रंप के 'लिबरेशन डे' टैरिफ को अवैध घोषित कर दिया है। अदालत ने पाया कि अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियाँ अधिनियम (IEEPA) के तहत राष्ट्रपति को व्यापक टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है। राष्ट्रपति ने अपनी विधायी शक्तियों का अतिक्रमण किया है।लिबर्टी जस्टिस सेंटर और 12 राज्यों ने इस टैरिफ के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।
व्यापार घाटा कोई आपातकाल नहीं
टैरिफ पर निर्णय सुनाते हुए अमेरिकी अदालत ने कहा कि व्यापार घाटा 'असामान्य और असाधारण खतरा' नहीं है, जो IEEPA के तहत आवश्यक है।
बाजार पर असर
फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में तेजी आई, जिससे निवेशकों को राहत मिली। डॉव जोन्स फ्यूचर्स में 550 अंक की वृद्धि हुई है।
लिबरेशन डे टैरिफ क्या हैं?
लिबरेशन डे टैरिफ अमेरिका के तत्कालीन American President डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल 2025 को एक कार्यकारी आदेश के ज़रिए लागू किए गए थे। इस आदेश के अंतर्गत अधिकांश विदेशी आयातों पर 10% का प्रारंभिक शुल्क (baseline tariff) लगाया गया। इसके अतिरिक्त, उन देशों पर और भी अधिक शुल्क तय किए गए जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा अधिक है – जिनमें चीन, यूरोपीय संघ और भारत प्रमुख थे। इस टैरिफ योजना का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और विदेशी व्यापारिक असंतुलन को संतुलित करना था।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं
चीन: बीजिंग ने इन टैरिफों को "आर्थिक आक्रामकता का कृत्य" करार दिया और अमेरिका को प्रतिशोधात्मक कदम उठाने की चेतावनी दी। यूरोपीय संघ: यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप की टैरिफ नीति को वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बताया और इसे एकतरफा निर्णय कहा। भारत: भारत सरकार ने इस टैरिफ नीति के संभावित आर्थिक प्रभावों की आंतरिक समीक्षा शुरू की और यह कहा कि वह राजनयिक माध्यमों से मामले को सुलझाने की दिशा में काम कर रही है।
FAQ
लिबरेशन डे’ टैरिफ क्या हैं?
लिबरेशन डे टैरिफ एक विशेष आयात शुल्क योजना है जिसे राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को लागू किया था। इसके तहत अधिकतर उत्पादों पर 10% बेसलाइन शुल्क और कुछ देशों के आयातों पर उच्च शुल्क लगाए गए थे, जिनका उद्देश्य अमेरिकी उत्पादकों को लाभ पहुंचाना और व्यापार असंतुलन को ठीक करना था।
2. अमेरिकी अदालत ने इन टैरिफों को अवैध क्यों बताया?
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियाँ अधिनियम (IEEPA) का दुरुपयोग किया और यह कदम अमेरिकी संविधान के अनुरूप नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि व्यापार घाटा कोई आपातकालीन स्थिति नहीं मानी जा सकती।
3. अदालत के इस निर्णय से अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा?
कोर्ट के फैसले के बाद वैश्विक व्यापारिक बाजारों में अस्थायी स्थिरता देखी गई। हालांकि, चीन और यूरोपीय संघ ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं, जिससे भविष्य के व्यापार समझौतों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। यह निर्णय वैश्विक व्यापार की दिशा और अमेरिका की कूटनीतिक स्थिति पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।