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DELHI. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सेक्टर-93(A) स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर देखते ही देखते जमींदोज हो गए। 32 मंजिला एपेक्स और 29 मंजिला सियान (97 मीटर) टावर में 3500 Kg विस्फोटक से धमाका हुआ। 9 से 12 सेकंड में ट्विन टावर मलबे में बदल गया। ट्विन टावर को उड़ाने से पहले विधिवत पूजा-पाठ की गई। ये टावर 800 करोड़ की लागत से बना था। एपेक्स टावर की ऊंचाई 100 मीटर और सियान की ऊंचाई 97 मीटर है। धमाके से उठे गुबार को शांत होने में करीब 12 मिनट का समय लगा। सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था। इसके बाद इन्हें ढहाने का काम किया गया। इस टावर को बनाने में 13 साल का समय लगा था। विस्फोट के बाद भारी धुएं का गुबार उठा, जिससे दिन में अंधेरा छा गया।
नोएडा में एक धमाके ने उड़ाया 800 करोड़ का ट्विन टावर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई, 3500 Kg लगा विस्फोटक, 13 साल में बना ट्विन टॉवर 10 सेकंड में जमींदोज @noida_authority @CeoNoida #TwinTowers https://t.co/sS7vyuLztC pic.twitter.com/aeA3L2loVC
— TheSootr (@TheSootr) August 28, 2022
टावर को आखिरी बार देखने उमड़ी भारी भीड़
आखिरकार वह दिन आ ही गया, जब नोएडा के ट्विन टावर को गिरा दिया गया। इस आखिरी पल का गवाह बनने के लिए दूर-दूर से लोग सेक्टर-93 पहुंचे थे। ट्विन टावर 28 अगस्त को 2.30 बजे एक विस्फोट के साथ गिरा दिया गया। हर कोई इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहता था। सुबह से ही दूर-दूर से लोग अपने परिवार के साथ ट्विन टावर को देखने पहुंच रहे थे। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से आस-पास के रास्तों को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया गया था।
टावर गिरने के बाद नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु महेश्वरी ने कहा कि इमारतों के गिरने से आसपास की बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। आसपास की सभी इमारतें सुरक्षित हैं।
ट्विन टावर का मालिक कौन है ?
एमराल्ड कोर्ट परियोजना में बने ट्विन टावरों को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक लिमिटेड है। यह एक गैर-सरकारी कंपनी है। इस कंपनी को सात दिसंबर, 1995 में निगमित किया गया था। सुपरटेक के फाउंडर आरके अरोड़ा हैं। उन्होंने अपनी 34 कंपनियां खड़ी की हैं। 1999 में आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने दूसरी कंपनी सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी शुरू की।
सुपरटेक ने अब तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लांच किए हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इसी साल कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया। कंपनी पर अभी करीब 400 करोड़ का कर्ज बकाया है।
इसलिए तोड़ा गया ट्विन टावर?
सुपरटेक को 13.5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। परियोजना का 90 फीसदी यानी करीब 12 एकड़ हिस्से पर 2009 में ही निर्माण पूरा कर लिया गया था। 10 फीसदी हिस्से को ग्रीन जोन दिखाया गया। 2011 आते-आते दो नए टावरों के बनने की खबरें आने लगीं। 12 एकड़ में जितना निर्माण किया गया, उतना एफएआर का खेल खेलकर दो गगनचुंबी इमारतों के जरिये 1.6 एकड़ में ही करने का काम तेजी से जारी था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि 12 एकड़ में 900 परिवार रह रहे हैं, इतने ही परिवार 1.6 एकड़ में बसाने की तैयारी थी। 2 मार्च 2012 को टावर नंबर 16 और 17 के लिए फिर से संशोधन किया गया। इन दोनों टावरों को 40 मंजिल तक करने की अनुमति दी गई। इनकी ऊंचाई 121 मीटर तय कर दी गई। वहीं दोनों टावरों के बीच की दूरी भी नौ मीटर रखी गई, जबकि यह 16 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
टावर गिराने में लगे 20 करोड़ रुपए
ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 20 करोड़ का खर्च आने की बात कही जा रही है। यह रकम भी बिल्डर्स से ही वसूली जाएगी। मौजूदा समय में इमारत की कीमत करीब 800 करोड़ रुपए आंकी गई थी।
ट्वीन टावर में इतिहास बन गईं ये तारीखें
31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सुपरटेक के दोनों टावरों को 30 नवंबर 2021 तक गिराने का आदेश दिया था। तय समय में इमारत के गिराने का काम पूरा नहीं हुआ तो सुप्रीम कोर्ट ने अपील के बाद 22 मई 2022 की नई तारीख दी। एजेंसी एडिफिस को इमारत गिराने का काम सौंपा गया। एजेंसी के इंजीनियरों ने 20 फरवरी को साइट को कब्जे में लिया। पार्टनर की कंपनी जेट डिमोलिशन है। 10 अप्रैल को टेस्ट ब्लास्ट किया गया, ताकि बिल्डिंग की मजबूती का पता लगाया जा सके। 22 मई तक काम पूरे नहीं होने पर आखिरकार 21 अगस्त को टावर गिराने का निर्णय लिया गया। विस्फोटक करने की अनुमति नहीं मिलने पर एक बार फिर तिथि आगे बढ़ी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 4 सितंबर तक बिल्डिंग हरहाल में गिरा दीं जाएं और आज ट्विन टावर गिरा दिए जाएंगे।
इस कंपनी ने गिराया टावर
बता दें कि नोएडा में ट्विन टावर गिराने को लेकर जिस कंपनी को ये टास्क मिला था, उसने पहले भी कई बल्डिंग गिराई हैं। इस कंपनी ने अफ्रीका, दुबई, कोच्चि में बिल्डिंग गिराई हैं। कंपनी का नाम है- जेट डिमोलिशन है। गौरतलब है कि दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। टावर तोड़ने के लिए पलवल की एक कंपनी ने अलग से खास प्रकार का विस्फोट तैयार किया है। ये पत्थरों को तोड़ने वाले बारूद से अलग है, जिसके कारण बिल्डिंग के ईंट-पत्थर दूर तक नहीं जाएंगे। बारूद बनाने में पोटेशियम नाइट्रेट की मात्रा कम रखी गई है। ट्विन टावर गिराने के लिए पलवल की अल्फा इंटरप्राइजेज कंपनी ने विस्फोटक सप्लाई किया है।
शाम 06:30 बजे के बाद लोगों को सोसाइटियों में प्रवेश की अनुमति
नोएडा की सीईओ रितु माहेश्वरी ने कहा कि इलाके में सफाई की जा रही है। कुछ देर में गैस और बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी। इसके बाद शाम 06:30 बजे के बाद लोगों को विध्वंस स्थल के पास स्थित सोसाइटियों में प्रवेश की अनुमति होगी। सुबह 07:30 बजे एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के लगभग 7 हजार निवासियों को वहां से निकाला गया। टावर गिरने के बाद प्रशासन के क्लियरेंस तक 5 रास्तों पर ट्रैफिक की आवाजाही रुकी रहेगी। एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत एनडीआरएफ टीम तैनात हैं। इमरजेंसी के लिए एंबुलेंस सहित अन्य विवस्थाएं उपलब्ध हैं।
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