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NEW DELHI. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा ने बताया कि अफ्रीका से 12 से 14 और चीते भारत लाए जाएंगे। चौबे के मुताबिक, अगले पांच सालों में अफ्रीका से 12 से लेकर 14 चीतों को भारत लाया जाएगा। भारत सरकार ने नामीबिया के साथ एक समझौता भी किया है। 17 सितंबर को नामीबिया से 8 चीतों को भारत लाया गया था। इन चीतों को मध्य प्रदेश के पालपुर कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़ा गया था। इसमें 5 मादाएं और 3 नर चीते शामिल थे। कूनो में अच्छी तरह से रच-बस जाने के बाद चीतों ने वहां पर शिकार करना भी शुरू कर दिया है।
अश्विनी चौबे ने संसद में ये भी बताया कि प्रोजेक्ट टाइगर के तहत भारत में चीतों की दोबारा वापसी के लिए 38.7 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। यह प्रोजेक्ट 2021-22 से शुरू होकर 2025-26 तक चलेगा। कूनो नेशनल पार्क में लाए गए 8 चीते पूरी तरह से ठीक हैं। वे 24 घंटे निगरानी में हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने नए घर में बेहतर अनुभव कर रहे हैं। नामीबिया से लाए गए सभी चीतों को कुछ समय तक क्वारंटीन रखा गया था। इसके बाद बाड़े में छोड़ा गया था। सबसे आखिरी में छोड़े गए चीतों में 3 मादा चीता थीं। इन्हें नवंबर 2022 को ही बड़े बाड़े में छोड़ा गया।
कूनो में नर चीते शिकार करने में अभ्यस्त, पर बड़ी चुनौती आने वाली है
पालपुर कूनो के फील्ड निदेशक उत्तम शर्मा ने बताया कि अब सभी चीते सामंजस्य स्थापित करेंगे और जंगल का पता लगाएंगे। अपना पेट भरने के लिए चीते शिकार भी करेंगे। नर चीते शिकार करने में अभ्यस्त हो गए हैं। जल्द ही मादाएं भी इसमें महारत हासिल कर लेंगी।चीतों पर चार हाई-रेजोल्यूशन कैमरों से नजर रखी जाएगी। 16 वन रक्षकों की एक टीम उनकी निगरानी करेगी। हर चीते की निगरानी पर 2 वन रक्षकों को लगाया जाएगा। चीतों की सिक्योरिटी के लिए एक स्निफर डॉग भी लगाया जाएगा।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, असली चुनौती जंगल में चीतों की रिहाई के बाद होगी, जिसके बाद इन्हें एक नए निवास स्थान में रहना, सीखना और शिकार करना सीखना होगा। इस दौरान इन्हें क्षेत्र में घूमने वाले 45 तेंदुओं और एक बाघ से निपटना होगा।