यूपी के सहारनपुर जिले का ऐतिहासिक और प्रसिद्ध नगर देवबंद के पास बसा मिरगपुर गांव (Miragpur) देश का सबसे पवित्र गांव (most sacred village) है। काली नदी के तट पर बसा मिरगपुर अपने विशेष रहन-सहन और सात्विक खानपान के लिए विश्व विख्यात है।
नशा मुक्ति और सात्विक खानपान के लिए विशेष पहचान रखने वाले इस गांव ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के बाद एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में सबसे पवित्र गांव होने का खिताब हासिल किया है। प्रदेश में नहीं पूरे देश में इस गांव की चर्चा है।
प्याज और लहसुन से भी परहेज
इस गांव की सबसे पहचान यह है कि यहां कोई भी व्यक्ति मांस, मछली, अंडा, शराब, तंबाखू, बीड़ी, सिगरेट या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करता। इस गांव में दुकानों पर नशे का सामान की बिक्री नहीं होती है। यहां के लोगों के भोजन शुद्ध शाकाहारी होता हैं। यहां तक की खानपान में प्याज-लहसुन तक से इस्तेमाल नहीं होता है।
गुरु बाबा फकीरा दास का आशिर्वाद
ग्रामीणों के मुताबिक मिरगपुर सिद्ध सन्यासी गुरु बाबा फकीरा दास जी की पवित्र भूमि है। गुरु बाबा फकीरा दास 500 साल पहले आशिर्वाद दे गए थे। गुरु बाबा का ही आशिर्वाद है कि यह गांव इतने सालों से पूरी तरह से सात्विक और पवित्र है। गांव में कोई भी व्यक्ति मांसाहार, शराब, बीड़ी सिगरेट जैसे व्यसनों का सेवन नहीं करता है। यही नहीं यहां के लोग प्याज, लहसुन से परहेज करते हैं। अगर दूसरे गांव में किसी की शादी में जाना हो तो वहां पर भी लहसुन प्याज वाला भोजन नहीं करते हैं।
मिरगपुर गांव बना सबसे पवित्र गांव
बता दें कि 2020 में सबसे पवित्र गांव मिरगपुर गांव का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। 2022 में इस गांव ने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड का खिताब हासिल किया। इस गांव में गुरु बाबा फकीरा दास के भक्त हैं, और इस गांव में हर साल बाबा फकीरा दास के नाम से मेले का आयोजन होता है। ऐसा मान्यता है कि कोई गलती से भी मादक पदार्थ, शराब, मांसाहार का सेवन करता है, तो वह बीमार हो जाता है। यहां ऐसे व्यक्ति को गांव से बाहर कर दिया जाता है।
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