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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर के नए छात्रों के वीज़ा इंटरव्यू पर अचानक रोक लगा दी है। इसका असर खासकर भारतीय छात्रों पर पड़ा है, जिनका "स्टडी इन अमेरिका" का सपना फिलहाल अधर में लटका हुआ है।
इस साल करीब दो लाख भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए वीज़ा के लिए आवेदन कर चुके थे। अमेरिका में एडमिशन आमतौर पर वसंत (जनवरी से अगस्त) और शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर) सत्रों में होते हैं, लेकिन ट्रंप के इस फैसले से ये प्रक्रिया ठप हो गई है।
🎓 विदेशी छात्रों पर अमेरिका की निर्भरता
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विदेशी छात्रों का बहुत बड़ा योगदान है। हर साल लगभग 11 लाख विदेशी छात्र अमेरिका में पढ़ते हैं, जो करीब पौने चार लाख करोड़ रुपए की आर्थिक मदद करते हैं।
इन छात्रों को करीब 4 लाख नौकरियां भी मिलती हैं। इसके बावजूद, ट्रंप ने विदेशी छात्रों के रास्ते में कई बाधाएं डाल दी हैं।
⚔️ ट्रंप के इस फैसले के पीछे के कारण
ट्रंप के इस कदम के दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। पहला, पिछले साल अमेरिका की कुछ विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन और अरब देशों के छात्रों ने इजराइल विरोधी प्रदर्शनी लगाई थी। ट्रंप ऐसे छात्रों को डिपोर्ट करना चाहते थे।
दूसरा, हार्वर्ड, कोलंबिया और बाथ विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में विदेशी छात्र और फैकल्टी ट्रंप की नीतियों के खिलाफ थे, जो उनकी कट्टरपंथी सोच से मेल नहीं खाती। इसी वजह से उन्होंने विदेशी छात्रों के लिए सख्त नियम बनाए।
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🚫भारतीय छात्रों का अमेरिका की तरफ झुकाव कम
भारत से अमेरिका आने वाले छात्रों की संख्या पिछले साल तक सवा तीन लाख थी, लेकिन अब यह संख्या घटकर करीब ढाई लाख रह सकती है। इससे भारतीय छात्र अब अन्य देशों जैसे न्यूजीलैंड, इटली, जर्मनी आदि में पढ़ाई के अवसर खोजने लगे हैं।
खास बात यह है कि जर्मनी में भारतीय छात्रों की संख्या में 300% और न्यूजीलैंड में 38% की बढ़ोतरी हुई है। यह संकेत है कि भारतीय छात्र अब अमेरिका के अलावा दूसरे देशों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
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⏳ ओटीपी (Optional Training Program) में बदलाव
अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद विदेशी छात्रों को दो साल तक ओटीपी के तहत काम करने का मौका मिलता था। लेकिन ट्रंप की सरकार ने "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत इस अवसर को अमेरिकी युवाओं के लिए आरक्षित करना शुरू कर दिया।
यह बदलाव भी विदेशी छात्रों के लिए नई चुनौतियां लेकर आया है।
⚖️ विश्वविद्यालयों का रुख और कोर्ट की भूमिका
कुछ विश्वविद्यालयों ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन राहत मिलने की उम्मीद कम है क्योंकि वीज़ा जारी करना सरकार का विशेषाधिकार है और कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकती।
यदि वीज़ा इंटरव्यू लंबे समय तक रोके जाते हैं तो विश्वविद्यालयों को विदेशी छात्रों की जगह स्थानीय छात्रों को दाखिला देना पड़ सकता है।
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🌟 ट्रंप का भारतीय STEM छात्रों को ग्रीन कार्ड देने का वादा
चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने भारत के STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ) छात्रों को अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने पर ग्रीन कार्ड देने का वादा किया था।
ट्रंप का मानना था कि STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्र के छात्र अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण संसाधन हैं। हालाँकि, अमेरिकी संस्थानों में पढ़ने वाले लगभग 70% भारतीय छात्र STEM से जुड़े पाठ्यक्रमों में दाखिला लेते हैं, लेकिन ट्रंप की नीतियों ने उनके करियर और भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है।
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