NEW DELHI. भारत का नया संसद भवन आज-कल खूब चर्चा में है। नई संसद का 28 मई को उद्घाटन होना है। नए संसद भवन के निर्माण में देशभर के राज्यों की विशेष सामग्री का उपयोग किया गया है। मिर्जापुर की कालीन का उपयोग किया गया है, वहीं नागपुर की लकड़ी और त्रिपुरा के बांस का इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा नई संसद भवन में लगा अशोक चक्र मध्यप्रदेश के इंदौर से लाया गया है। नई संसद भवन में इस्तेमाल यह सामग्री भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाती है।
नई संसद में किस राज्य से क्या आया
नए संसद भवन में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन का इस्तेमाल किया गया है। मिर्जापुर अपनी कालीनों के लिए पहले से ही जाना जाता है लेकिन नेटफ्लिक्स सीरीज 'मिर्जापुर' ने इसे और पहचान दिलाने का काम किया। सीरीज में अभिनेता पंजक त्रिपाठी 'कालीन भैया' का किरदार निभाते हैं जो कालीन का व्यापार करता है। अब इसी शहर की कालीन संसद की भव्यता को बढ़ाएगी।
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राजस्थान के पत्थर की नक्काशी
नए संसद में मिर्जापुर की कालीन के अलावा, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। नए संसद भवन में प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से प्राप्त किया गया था।
राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले और हुमायूं के मकबरे के लिए बलुआ पत्थर भी सरमथुरा से लाया गया था। केशरिया हरा पत्थर उदयपुर से, अजमेर के निकट लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया, इस प्रकार यह ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची’ भावना को दर्शाता है।’’
कहां से आई अशोक चिह्न की सामग्री?
लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि नये भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था। इमारत पर लगे पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थी। अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री और अशोक चक्र मध्य प्रदेश के इंदौर में तैयार हुआ।
इन राज्यों से भी लाई गई सामग्री
पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था और पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था। नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया था। ‘एम रेत’ कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर निर्मित किया जाता है जो नदी की रेत से अलग होता है। निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं, जबकि पीतल के काम लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लिए गए हैं।
नई संसद में लगी सामग्री- एक नजर में जानें
- नई संसद में लगी सागौन की लकड़ी नागपुर मंगाई गई थी।