नई दिल्ली. लखीमपुर (Lakhimpur) हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट(supreme court) ने 8 अक्टूबर को योगी सरकार (यूपी) को कड़ी फटकार लगाई है। सुनवाई के दौरान पुलिस कार्रवाई में लापरवाही बरतने के कारण राज्य सरकार को मुख्य न्यायाधीश के कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। उन्होंने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल किया है कि क्या हत्या के आरोपियों को पुलिस नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाती है? चीफ जस्टिस (CJI) ने पूछा है कि अब तक हत्यारोपित को हिरासत में किस आधार पर नहीं लिया गया?
किसानों की PM रिपोर्ट में गोली का घाव नहीं- वकील
कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि किसानों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली के घाव नहीं दिखे, इसलिए उन्हें नोटिस भेजा गया था। उन्होंने बताया कि घटनास्थल से दो कारतूस बरामद हुए हैं। इससे लगता है कि आरोपी का निशाना कुछ और था।
कोर्ट ने पूछा आरोपियों को नोटिस देकर बुलाते हैं ?
आरोपी आशीष मिश्र को नोटिस भेजे जाने के मामले में कोर्ट ने काफी नाराजगी जताते हुए पूछा कि जिस व्यक्ति पर मौत या गोली से घायल करने का आरोप है, उसके साथ इस देश में इस तरह का व्यवहार किया जाएगा? वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर व्यक्ति नोटिस के बाद नहीं आता है तो कानूनी सख्ती का सहारा लिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की ओर से की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं दिखी। कोर्ट ने कहा कि आठ लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, इस मामले में सभी आरोपियों के लिए कानून एक समान है। कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार इस गंभीर मामले में जरूरी कदम उठाएगी।
वैकल्पिक एजेंसी करेगी जांच
राज्य सरकार को आदेश दिया गया है कि इस मामले की जांच एक वैकल्पिक एजेंसी से कराई जाए। और इसकी जानकारी कोर्ट को दी जाए। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई वैकल्पिक एजेंसी इस मामले की जांच शुरू नहीं कर देती तब तक राज्य के डीजीपी की जिम्मेदारी होगी कि घटना से जुड़े सभी सबूतों को सुरक्षित रखा जाए।