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DEHRADUN. उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या बनी हुई है। शहर में सड़कें फट रही हैं, दीवारों-बिल्डिंग्स पर दरारें हैं। आज यानी 10 जनवरी से असुरक्षित हो चुके भवनों को गिराने का अभियान शुरू हो रहा है। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु ने असुरक्षित भवनों को गिराने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) के वैज्ञानिकों की देखरेख में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की टीम भवनों को ढहाने का काम करेगी, दोनों संस्थानों की टीमें जोशीमठ पहुंच गई हैं। असुरक्षित भवनों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जिन होटल को गिराया जाना है, वह दरार से झुक गई है।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा के मुताबिक, जोशीमठ पहुंची सीबीआरआई की टीम ने 9 जनवरी को दो होटलों मलारी इन और माउंट व्यू का सर्वे किया। इन दोनों होटलों से भवनों को ढहाने की शुरुआत होगी। इन होटलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. जोशीमठ के मामले पर 16 जनवरी के लिए मामले को लिस्ट किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर केस की जल्द सुनवाई नहीं हो सकती. इन मामलों के लिए लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं, जो काम कर रही हैं
ये है जोशीमठ में स्थिति
जोशीमठ में 9 जनवरी शाम तक 9 वार्ड के 678 मकानों की पहचान हुई है, जिनमें दरारें हैं। सुरक्षा के लिहाज से दोनों होटल मलारी इन और माउंट व्यू आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बंद किए गए हैं। 16 जगहों पर अब तक कुल 81 परिवार विस्थापित किए जा चुके हैं। जोशीमठ में सरकार का दावा है कि अब तक 19 जगहों पर 213 कमरे में 1191 लोगों के ठहरने की व्यवस्था बनाकर रखी है, लेकिन जोशीमठ की जनता को स्थापित से विस्थापित होने के दर्द के बीच सरकार के दिए भरोसे में भी दरार नजर आती है।
खास तकनीक से गिराई जाएंगी बिल्डिंग्स
बिल्डिंग्स को गिराने के लिए विस्फोटकों की मदद नहीं ली जाएगी। सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की देखरेख में पीडब्ल्यूडी की टीम मैकेनिकल तकनीक से भवनों को गिराएगी। इसके लिए मजदूरों की मदद ली जाएगी। किसी भी प्रकार की समस्या या शिकायत के लिए जिला प्रशासन की ओर से कंट्रोल रूम जोशीमठ का नंबर 8171748602 जारी किया गया है। इसके अलावा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, चमोली के फोन नंबर- 01372- 251437,1077 (टोल फ्री) 9068187120 और 7055753124 पर शिकायत कर सकते हैं।
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जोशीमठ में जमीन क्यों धंस रही, फिलहाल कोई सबूत नहीं
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ में जमीन क्यों धंस रही है, इसका कोई ठोस और वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है। एनटीपीसी की टनल के कारण भू-धंसाव होने से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। जब तक जोशीमठ में पानी रिस रहा है और राहत कार्य चल रहे हैं, तब तक कोई निर्माण नहीं होगा।
दो समितियां बनेंगी, मुख्य सचिव रोज करेंगे समीक्षा
जोशीमठ में राहत एवं पुनर्वास कार्यों को तेजी से कराने के लिए मुख्य सचिव रोज समीक्षा करेंगे। कामों को तेजी से अंजाम देने के लिए अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी और दूसरी कमेटी कलेक्टर की अध्यक्षता में होगी, जिसमें स्थानीय लोग और हितधारक भी होंगे। साथ ही जोशीमठ शहर का एक मास्टर प्लान तैयार होगा। यह जिम्मा शहरी विकास विभाग और आवास को दिया गया है। जोशीमठ में हो रहे मिट्टी के कटाव और उसके निचले भाग में हो रही टो कटिंग की तकनीकी जांच होगी।