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जम्मू और कश्मीर के त्रिकुट पर्वत स्थित श्री माता वैष्णो देवी मंदिर में नवरात्रि 2025 के अवसर पर तीर्थयात्रियों के लिए कई नई और महत्वपूर्ण सेवाओं की घोषणा की गई है। इस बार मंदिर के दरबार में श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी सहज और दिव्य बनाने के लिए कई नई पहल की गई हैं। इन सेवाओं में प्रसाद की होम डिलीवरी, अटका आरती, अर्द्धकुंवारी गर्भजून आरती, बेहतर आवास, विश्राम और लंगर सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा, दिव्यांग और बुजुर्ग तीर्थयात्रियों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं, जैसे हेलीकॉप्टर सेवा में कोटा और निःशुल्क बैटरी कार की सुविधा।
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नई सेवाओं का विस्तार
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी अंशुल गर्ग ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन से प्रसाद की होम डिलीवरी शुरू की जाएगी। श्रद्धालु maavaishnodevi.org वेबसाइट पर जाकर प्रसाद की बुकिंग कर सकते हैं और यह सेवा पूरे नवरात्रि के दौरान उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा, अटका आरती और अर्द्धकुंवारी गर्भजून आरती का आयोजन भी किया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से प्रसन्नता और आशीर्वाद का स्रोत बनेंगे।
दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए विशेष स्थान निर्धारित किए गए हैं और उन्हें हेलीकॉप्टर सेवा में कोटा मिलेगा। इसके साथ ही उन्हें निःशुल्क बैटरी कार सेवा भी प्रदान की जाएगी। बुजुर्ग श्रद्धालुओं को भी हेलीकॉप्टर सेवा में प्राथमिकता दी जाएगी। इन सेवाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी श्रद्धालु बिना किसी कठिनाई के अपनी यात्रा कर सकें।
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श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं
बता दें कि, नवरात्रि के समय मंदिर में आवास और विश्राम सुविधाओं का भी विस्तार किया गया है। यात्रा मार्ग पर रेस्ट एरिया, वाटर एटीएम, प्रसाद कियोस्क और जलपान की व्यवस्था की जाएगी, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर सेवा मिल सके। इन सुविधाओं का उद्देश्य भक्तों के लिए एक आरामदायक और शांति भरी यात्रा सुनिश्चित करना है।
सीधा प्रसारण और ऑनलाइन बुकिंग
वहीं, नवरात्रि के समय आरतियों का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा, जिससे दूर-दूर से श्रद्धालु घर बैठे इन दिव्य आयोजनों का हिस्सा बन सकेंगे। इस तरह से ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा का लाभ उठाते हुए श्रद्धालु अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं और मंदिर में उपलब्ध विभिन्न सेवाओं का अनुभव कर सकते हैं।
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मां का गौरी स्वरूप
मां वैष्णो देवी की पूजा गौरी स्वरूप में की जाती है। दरअसल, गौरी स्वरूप मां पार्वती के रूप को दर्शाता है, जो भगवान शंकर की पत्नी मानी जाती हैं। माना जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, जिसके बाद वे महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। इसीलिए मां वैष्णो देवी को भी गौरी स्वरूप में पूजा जाता है।
फूलों से सजावट के पीछे का उद्देश्य
बता दें कि, इस अनोखी सजावट को तैयार करने का श्रेय डा. संचित शर्मा को जाता है, जो दिल्ली से हैं और एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से वह श्रद्धाभाव से यह कार्य करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि फूलों से सजावट ना केवल दरबार की दिव्यता को बढ़ाती है, बल्कि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को माँ के एक नए स्वरूप का अहसास भी कराती है। फूलों का महक और उनकी मनमोहक झलक श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर देती है। दूर-दूर से आए श्रद्धालु इस अनुपम दृश्य को देखकर अपनी श्रद्धा और भक्ति में डूब जाते हैं।
सजावट का विशेष प्रभाव
विभिन्न रंगों और प्रकार के फूलों से सजी वैष्णो देवी की गौरी स्वरूप की मंदिर सजावट श्रद्धालुओं को एक नयापन और एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव देती है। इस विशेष अवसर पर फूलों के साथ-साथ मंदिर के आस-पास की रोशनी भी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती है। नवरात्रि में इस तरह की सजावट श्रद्धालुओं के मन को और अधिक शांति और दिव्यता का अहसास कराती है। यह दृश्य निश्चित रूप से वैष्णो देवी के दर्शन करने वाले भक्तों के लिए अविस्मरणीय रहेगा।
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