Lucknow. उत्तरप्रदेश में विधानसभा के अंदर लगभग 20 साल पुराने एक मामले में तत्कालीन बीजेपी विधायक सलिल विश्नोई द्वारा किए गए विशेषाधिकार हनन मामले में 6 पुलिसकर्मियों को एक दिन की सजा सुनाई गई। असल में विशेषाधिकार हनन का नोटिस साल 2004 का था, जब विश्नोई को कानपुर में बिजली कटौती के खिलाफ डीएम को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे। उस वक्त पुलिस वालों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। इसको लेकर शुक्रवार को असेंबली अदालत में तब्दील हो गई। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने 6 पुलिसकर्मियों को एक दिन की सजा का प्रस्ताव पेश किया
कार्यवाही के दौरान आरोपी पुलिस कर्मियों को कटघरे में खड़ा किया गया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने फैसला सुनाया कि पुलिस कर्मी आधी रात तक विधानसभा भवन के एक कमरे में कैद रहेंगे। उनके लिए खाने की व्यवस्था समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। बता दें कि इससे पहले साल 1964 में विधानसभा में अदालत लगी थी। उस वक्त विधानसभा के सदस्य केशव सिंह को अरेसट करके अध्यक्ष के सामने पेश किया गया था।
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विधानसभा में हुई इस कार्यवाही के दौरान सपा के विधायक सदन से नदारद रहे। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी सदन में अनुपस्थित थे। विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष को प्रस्ताव पर बोलने के लिए आवाज दी, लेकिन सदन में उनकी अनुपस्थिति के चलते यह मान लिया गया कि उन्हें प्रस्ताव मंजूर है। कार्यवाही के दौरान दोषी पुलिस कर्मियों ने अपने कृत्य के लिए माफी भी मांगी। कृषि मंत्री शाही ने उन्हें 1 दिन की जगह कुछ घंटों की सजा की अपील की। जिस पर सदन में उपस्थित विधायकों ने असहमति जता दी। सुरेश खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष के कहने के बाद अब इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता।
विधानसभा की इस कार्यवाही के दौरान कानपुर के तत्कालीन सीओ अब्दुल समद जो कि रिटायर्ड हो चुके हैं, तत्कालीन एसएचओ श्रीकांत शुक्ला, तत्कालीन एसआई त्रिलोकी सिंह, कांस्टेबल छोटे सिंह और विनोद मिश्रा समेत मेहरबान सिंह को सजा सुनाई गई। इस कार्यवाही के ठीक बाद विधानसभा अध्यक्ष ने होली की शुभकामनाओं के साथ सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। बता दें कि बजट सत्र में 11 दिन की कार्यवाही में सदन मात्र 36 मिनट के लिए स्थगित हुआ और 83 घंटे से ज्यादा सदन की कार्यवाही चली।