विजय दिवस : जब पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों से करवाया था सरेंडर

16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाई थी। विजय दिवस भारतीय सैनिकों के साहस, बलिदान और एकता का प्रतीक है।

author-image
Ravi Singh
New Update
Vijay Diwas indian army Bangladesh Pakistan
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Vijay Diwas : 16 दिसंबर 1971 का दिन भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। यह वह दिन है जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक जीत हासिल की और बांग्लादेश को आजाद कराने में निर्णायक भूमिका निभाई। भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्ध न केवल सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने एक नए राष्ट्र-बांग्लादेश के अस्तित्व को भी जन्म दिया। 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय सैनिकों की बहादुरी, बलिदान और रणनीतिक कौशल का प्रतीक है। यह दिन हमें उस समय के शहीदों और सैनिकों की याद दिलाता है जिन्होंने भारत की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

1971 युद्ध: एक निर्णायक मोड़

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध न केवल युद्ध के दृष्टिकोण से, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी एक ऐतिहासिक घटना थी। पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में सेना भेजे जाने के बाद, भारतीय सेना ने बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में हस्तक्षेप किया। इस युद्ध में, भारतीय सेना ने ताबड़तोड़ हमले किए और 13 दिनों में पाकिस्तान को हरा दिया। भारतीय सेनाओं की सफलता भारतीय सेनाओं के रणनीतिक दृष्टिकोण, साहस और उत्कृष्ट नेतृत्व के कारण संभव हुई। भारतीय सेना ने पश्चिमी मोर्चे और पूर्वी मोर्चे दोनों पर असाधारण प्रदर्शन किया और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। इस युद्ध का परिणाम न केवल भारत के लिए एक सैन्य जीत थी, बल्कि इसने बांग्लादेश की स्वतंत्रता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारतीय सेना की अद्वितीय वीरता

Vijay Diwas  का महत्व सिर्फ युद्ध की जीत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय सेना के अद्वितीय पराक्रम और साहस का प्रतीक है। इस युद्ध में भारतीय सेना के जवानों ने अपने साहस और जुझारूपन का परिचय दिया। जनरल सैम मानेकशॉ की नेतृत्व क्षमता ने भारतीय सेनाओं को एकजुट किया और उन्हें जीत की ओर अग्रसर किया। युद्ध में भारतीय वायुसेना और नौसेना ने भी अहम भूमिका निभाई, खासकर बांग्लादेश में सैन्य ठिकानों पर हमलों और पाकिस्तानी नौसेना के खिलाफ सफल ऑपरेशन के दौरान। इन सेनाओं के सहयोग से पाकिस्तान को कई मोर्चों पर हराया गया और युद्ध का नतीजा भारत के पक्ष में झुका। इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ा, भारतीय सैनिकों ने हर कदम पर अपने दृढ़ संकल्प और साहस का परिचय दिया। इस संघर्ष के दौरान कई सैनिक शहीद हुए और हम आज भी उनकी बहादुरी को गर्व के साथ याद करते हैं।

बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम और विजय दिवस का जुड़ाव

16 दिसंबर 1971 को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के साथ ही एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का जन्म हुआ था। भारतीय सेना के प्रयासों के कारण ही बांग्लादेश को अपनी स्वतंत्रता मिल सकी थी। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सेना का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था। भारतीय सैनिकों ने बांग्लादेश के नागरिकों के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया, जिसके कारण बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आया। आज भी बांग्लादेश में 16 दिसंबर को 'विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बांग्लादेश के नागरिकों के लिए एक कृतज्ञता और गर्व का दिन है, क्योंकि भारतीय सेना ने उनका साथ दिया और उनके संघर्ष को विजयी बनाया। इस तरह 16 दिसंबर का दिन न केवल भारतीयों के लिए बल्कि बांग्लादेशियों के लिए भी ऐतिहासिक महत्व रखता है।

विजय दिवस के इस अवसर पर, भारतीय सेना शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती है और देश के नागरिकों को उनके योगदान की याद दिलाती है। यह दिन राष्ट्रीय एकता और सैन्य बलों के प्रति सम्मान का प्रतीक बनकर हमारे दिलों में शौर्य और बलिदान की भावना को मजबूत करता है।

शहीदों के बलिदान की श्रद्धांजलि

Vijay Diwas: Vijay Diwas: 1971 युद्ध के शहीदों को पीएम समेत कई नेताओं ने दी  श्रद्धांजलि, जानें कोलकाता क्यों आए बांग्लादेश के प्रतिनिधि | Jansatta

Vijay Diwas सिर्फ सैन्य जीत का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों और शहीदों को श्रद्धांजलि भी है। भारतीय सैनिकों का बलिदान ही इस दिन की असली कहानी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आज़ादी और सुरक्षा पाने के लिए बहुत बड़ा बलिदान देना पड़ा था। आज हम इस युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के संघर्ष और बलिदान को नमन करते हैं। विजय दिवस हमें प्रेरणा देता है कि देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देना सबसे बड़ा कर्तव्य है और इससे देश गौरवान्वित होता है।विजय दिवस सिर्फ़ सैन्य जीत का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों और शहीदों को श्रद्धांजलि भी है। भारतीय सैनिकों का बलिदान ही इस दिन की असली कहानी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आज़ादी और सुरक्षा पाने के लिए बहुत बड़ा बलिदान देना पड़ा था। आज हम इस युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के संघर्ष और बलिदान को नमन करते हैं। विजय दिवस हमें प्रेरणा देता है कि देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देना सबसे बड़ा कर्तव्य है और इससे देश गौरवान्वित होता है।

एकता, वीरता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

Vijay Diwas का महत्व केवल सैन्य इतिहास तक ही सीमित नहीं है। यह दिन पूरे देश की एकता, वीरता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। 1971 में भारत ने न केवल युद्ध जीता बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया कि भारत अपने स्वाभिमान और स्वतंत्रता की रक्षा करने में कभी पीछे नहीं हटेगा। विजय दिवस का उत्सव भारतीयों के लिए राष्ट्रीय गौरव का दिन है, जो न केवल सैन्य बलों के लिए बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। इस दिन भारतीय सैनिकों की वीरता और उनके अद्वितीय साहस की कहानियों को याद किया जाता है। यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन जाता है और भारत को हर मुश्किल का सामना करने के लिए एकजुट होने की प्रेरणा देता है। विजय दिवस हमें यह समझाता है कि देश के लिए एकजुट होना और अपने कर्तव्यों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है।

 thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

भारतीय सेना विजय दिवस विशेष Indian Army बांग्लादेश विजय दिवस Vijay Diwas