प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर हुआ अलग... अब खुद पूरी करेगा लैंडिंग तक की यात्रा, 23 अगस्त का सॉफ्ट लैंडिंग तय

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Chandresh Sharma
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प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर हुआ अलग... अब खुद पूरी करेगा लैंडिंग तक की यात्रा, 23 अगस्त का सॉफ्ट लैंडिंग तय

Bangalore. भारतवासियों का इंतजार जल्द खत्म होने जा रहा है। चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर को चांद के सतह पर उतरने की आखिरी 100 किलोमीटर की यात्रा खुद करनी है। गुरुवार (17 अगस्त) की दोपहर विक्रम लैंडर अपने प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया है। प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब लैंडर को डीबूस्ट किया जाएगा यानी उसकी अब और रफ्तार धीमी की जाएगी। यहां से चंद्रमा की न्यूनतम दूरी 30 किमी रह जाएगी। लैंडर को 30 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने तक की यह प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होगी। उसे परिक्रमा करते हुए 90 डिग्री के कोण पर चंद्रमा की तरफ चलना शुरू करना होगा। लैंडिंग की प्रक्रिया की शुरुआत में चंद्रयान-3 की रफ्तार करीब 1.68 किमी प्रति सेकंड होगी। इसे थ्रस्टर की मदद से कम करते हुए सतह पर सुरक्षित उतारा जाएगा।





अब आगे क्या?





अब 18 और 20 अगस्त को होने वाले डीऑर्बिटिंग के जरिए विक्रम लैंडर को 30 किमी वाले पेरील्यून और 100 किमी वाले एपोल्यून ऑर्बिट में डाला जाएगा। पेरील्यून यानी चांद की सतह से कम दूरी का नाम है। एपोल्यून यानी चांद की सतह से ज्यादा दूरी कहा जाता है। अब तक की यात्रा प्रोपल्शन मॉड्यूल ने ही पूरी कराई है। इसके बाद बाकी दूरी विक्रम को खुद ही तय करनी होगी।







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  • लैंडर विक्रम अब क्या-क्या करेगा?





    प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमेगा। वह 30X100 किमी की अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाने के लिए दो बार डीऑर्बिटिंग करेगा यानी अपनी ऊंचाई कम करने के साथ अपनी गति धीमी करेगा.। इसके लिए उसके इंजनों की रेट्रोफायरिंग की जाएगी यानी उलटी दिशा में घुमाया जाएगा। 





    तय प्लान के हिसाब से थोड़ा अंतर है ऑर्बिट्स में





    चांद के चारों तरफ चंद्रयान-3 का आखिरी वाला ऑर्बिट मैन्यूवर 16 अगस्त को किया गया था। चंद्रयान-3 अभी 153X163 किमी की ऑर्बिट में मौजूद है। जब लॉन्चिंग हुई थी, तब इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा था कि चंद्रयान-3 को 100 किलोमीटर वाली गोलाकार ऑर्बिट में लाएंगे उसके बाद प्रोपल्शन और विक्रम लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे। 





    चंद्रयान-3 के ऑर्बिट में दिख रहा अंतर, लेकिन परेशानी नहीं





    इसरो के एक सीनियर साइंटिस्ट के अनुसार, चंद्रयान-3 को 100 या 150 किलोमीटर की गोलाकार ऑर्बिट में डालने की प्लानिंग थी। हमारी अब भी यही योजना है। 16 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 ने जो ऑर्बिट हासिल किया, यह उसी फैसले का नतीजा था। लैंडिंग में अब सिर्फ छह दिन बचेंगे।





    20 के बाद शुरू होगा सबसे कठिन दौर





    जब विक्रम लैंडर को करीब की ऑर्बिट मिल जाएगी, तब इसरो के लिए सबसे कठिन चरण शुरू होगा। सॉफ्ट लैंडिंग 30 किमी की दूरी पर आने के बाद विक्रम की गति को कम करेंगे। चंद्रयान-3 को धीमे-धीमे चांद की सतह पर उतारा जाएगा। 





    23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा





    इसरो ने आज यानी 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग किया। अब प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में 3-6 महीने रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा, जबकि लैंडर-रोवर 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे। यहां वो 14 दिन तक पानी की खोज सहित अन्य प्रयोग करने में जुटेंगे। 





    5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था यान





    22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। तब उसकी स्पीड कम की गई थी। स्पीड कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए। ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी।



    Chandrayaan-3 चंद्रयान-3 Mission Moon 'Vikram' lander close to Moon Chandrayaan-3 will slow down at the beginning of the landing process ISRO informed मिशन मून ‘विक्रम’ लैंडर चंद्रमा के करीब लैंडिंग की प्रक्रिया की शुरुआत में चंद्रयान-3 की रफ्तार घटेगी इसरो ने दी जानकारी