वायनाड में सेना ने बनाया 190 फीट लम्बा पुल, महिलाओं ने किया लीड

वायनाड भूस्खलन के कारण राहत कार्यों में आ रही दिक्कतों को देखते हुए भारतीय सेना ने एक रात में 190 फीट का पुल बना दिया है। यह मेटल से बना पुल रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है।

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Deeksha Nandini Mehra
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वायनाड रेस्क्यू
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Wayanad Landslide : केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन के बाद भारतीय सेना ने सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र को जोड़ने के लिए एक बेली ब्रिज का निर्माण किया। यह मेटल से बना पुल रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है और इसे रात भर में खड़ा किया गया। इसे बनाने के लिए दो महिलाओं ने लीड किया है। 

भारी बारिश के बाद भूस्खलन

केरल में भारी बारिश के कारण मंगलवार को तड़के वायनाड में भूस्खलन हुआ, जिससे महत्वपूर्ण सड़कें और पुल ध्वस्त हो गए। इस आपदा से निपटने के लिए सेना के जवानों ने तत्परता दिखाई और बचाव कार्य में जुट गए। बुधवार को स्थानीय नदी में बढ़ते पानी के कारण एक अस्थायी पुल बह गया, जिससे हालात और गंभीर हो गए।

पुल निर्माण का कार्य

  • शुरुआत और समापन: पुल निर्माण का कार्य बुधवार रात 9 बजे शुरू हुआ और गुरुवार शाम 5:30 बजे पूरा हुआ।
  • लंबाई और क्षमता: यह बेली ब्रिज 190 फुट (58 मीटर) लंबा है और 24 टन वजनी वाहनों को सहन करने में सक्षम है।
  • नेतृत्व: इस निर्माण का नेतृत्व भारतीय सेना की दो महिला अधिकारी, मेजर सीता शेल्के और मेजर अनीश, ने किया।
  • तकनीकी सहयोग: मद्रास इंजीनियर ग्रुप, जिसे मद्रास सैपर्स के नाम से भी जाना जाता है, ने इस पुल का निर्माण किया।
  • फुटब्रिज: इसके अलावा, मद्रास सैपर्स ने रातों-रात 100 फीट लंबा एक फुटब्रिज भी बनाया, जिसे गुरुवार सुबह आम लोगों के लिए खोल दिया गया।

​दो महिला अफसरों ने किया लीड​

मेजर सीता शेल्के और मेजर अनीश ने अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए इस पुल का निर्माण पूरा किया है। उनकी इस उपलब्धि ने महिला सशक्तिकरण और टीमवर्क की भावना को प्रदर्शित किया है।

खराब मौसम, बढ़ता जलस्तर, मलबा, सीमित स्थान कई लोगों के लिए बचाव के लिए एक कठिन काम लगता है, लेकिन भारतीय सेना के लिए कठिन काम नहीं है। 

मद्रास सैपर्स ने साहस, कभी हार न मानने वाले रवैये और राहत कार्यों में प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड समय में 190 फीट बेली ब्रिज का निर्माण पूरा किया और बचाव कार्यों को आगे बढ़ाने में मदद की।

चुनौतियां 

  • पुर्जों की आपूर्ति: पुल निर्माण के लिए आवश्यक पुर्जे बेंगलुरु से सड़क मार्ग से लाए गए थे।
  • समन्वय: सेना की टुकड़ियां अट्टामाला, मुंदक्कई और चूरलमाला में बचाव कार्य कर रही हैं।
  • सराहना: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पुल को तेजी से पूरा करने के लिए सेना के प्रयासों की सराहना की।

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