NEW DELHI. WFI के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने 5 जून को अयोध्या के राम कथा पार्क में संतों और महापुरुषों के साथ जन चेतना महारैली को रद्द कर दिया है। दरअसल, पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों के बाद बृजभूषण ने 24 मई को एक फेसबुक पोस्ट में संतों की इस महारैली का एजेंडा साझा किया था। अयोध्या के रामकथा पार्क में ये जन चेतना महारैली होनी थी। इस रैली के रद्द होने की जानकारी बृजभूषण शरण सिंह ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए दी।
फेसबुक पर लिखा ये पोस्ट
बृजभूषण ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा- मेरे प्रिय शुभचिंतकों, आपके समर्थन के साथ पिछले 28 वर्षों से लोकसभा के सदस्य के रूप में सेवा की है। मैंने सत्ता और विपक्ष में रहते हुए सभी जातियों, समुदायों और धर्मों के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया है। इन्हीं कारणों से मेरे राजनीतिक विरोधियों और उनकी पार्टियों ने मुझ पर झूठे आरोप लगाए हैं।
SC के निर्देशों का सम्मान
बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी पोस्ट पर आगे लिखा वर्तमान स्थिति में कुछ राजनीतिक दल विभिन्न स्थानों पर रैलियां कर प्रांतवाद, क्षेत्रवाद और जातीय संघर्ष को बढ़ावा देकर सामाजिक समरसता को भंग करने का प्रयास कर रहे हैं। 5 जून को अयोध्या में एक संत सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया था ताकि पूरे समाज में फैल रही बुराई पर विचार किया जा सके, लेकिन अब जबकि पुलिस आरोपों की जांच कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के गंभीर निर्देशों का सम्मान करते हुए 'जन चेतना महारैली, 5 जून, अयोध्या चलो' कार्यक्रम कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है।
पॉक्सो एक्ट के कुछ अंशों पर ध्यान देने की जरूरत- महंत नृत्यगोपाल
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने 29 मई को 85वें जन्मोत्सव के मद्देनजर संतों ने एक सभा की थी और सभा में शामिल हुए संतों ने 5 जून की जन चेतना महारैली और पॉक्सो एक्ट को लेकर अपनी राय भी रखी थी। उन्होंने पॉक्सो एक्ट को लेकर कहा- बहन बेटियों की सुरक्षा सरकार का प्रथम कार्य है, लेकिन एक विचार विमर्श की भी जरूरत है। क्योंकि जब मामला बड़े लोगों का होता है तो पुलिस उन्हें जल्दी अरेस्ट नहीं करती है, लेकिन छोटे लोगों से जुड़ी ऐसी बातें सामने आती हैं तो तुरंत गिरफ्तारी हो जाती है। कुछ अंशों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
अनगर्ल आरोप के रूप में दिखाई दे रहा केस
पहलवानों की ओर से बृजभूषण पर लगाए गए आरोपों पर महंत मनीष दास कहते हैं- एक पहलवान तो हर प्रकार से सक्षम होता है वह तो तुरंत विरोध कर सकता है। अब 5-10 साल बाद कोई आरोप लगा रहा है तो यह एक प्रकार से कहीं ना कहीं प्रथम दृष्टया अनर्गल आरोप के रूप में ही दिखाई देता है। बृजभूषण शरण सिंह भी अपने पक्ष में यही दलील देते हैं कि आरोप से जुड़ी घटनाएं पुरानी हैं और इसी प्रकार के सवाल उठाते हैं कि महिला पहलवानों ने ऐसा पहले क्यों नहीं कहा।