CAA क्या है, किस पर होगा लागू, कौन होगा प्रभावित ? CAA से जुड़े हर उस सवाल का जवाब जो आप जानना चाहते हैं

CAA यानी सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट यानी नागरिकता संशोधन कानून। ये हर आम आदमी पर लागू नहीं होता। आप हिंदू हैं, मुसलमान हैं, सिख हैं या ईसाई हैं, अगर आप इस देश के नागरिक हैं तो CAA आप पर लागू नहीं होता।

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Rahul Garhwal
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CAA

BHOPAL. लोकसभा चुनाव से थोड़ा पहले मोदी सरकार ने देश में नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना जारी कर दी है। इस कानून के लागू होने के बाद से देश के कुछ हिस्सों से विरोध की आवाजें आ रही हैं। कुछ राजनीतिक दल इसकी खिलाफत कर रहे हैं। और, कुछ लोग इस कानून को लेकर कन्फ्यूजन में हैं । कन्फ्यूजन भी कई तरह के हैं। आम लोग ये जानना चाहते हैं कि क्या वो इस कानून की जद में आते हैं। अल्पसंख्यक वर्ग इस कानून को लेकर इस कन्फ्यूजन में है कि क्या ये देश अब उसका नहीं रहेगा। CAA क्या है, इसका असर किस पर होगा, कौन फायदे में है और कौन घाटे में है। हम आपको दे रहे हैं CAA से जुड़े हर सवाल का जवाब। वो भी बिल्कुल आसान भाषा में...

CAA क्या है ?

CAA का फुल फॉर्म है सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम। ये अधिनियम जो अब कानून बन चुका है उसके बारे में सबसे पहले ये जान लीजिए कि ये हर आम आदमी पर लागू नहीं होता। यानी कि अगर आप हिंदुस्तान में ही जन्मे हैं, आपकी कई पुश्तें इसी देश में रह रही हैं तो, आप इस कानून की जद में नहीं हैं। आप हिंदू हैं, मुसलमान हैं, सिख हैं या ईसाई हैं, अगर आप इस देश के नागरिक हैं तो CAA आप पर लागू नहीं होता।
 
किसके लिए है CAA ?

ये एक्ट किसके लिए है। अब इस कानून के टारगेट सिटिजन्स को समझना शुरू कीजिए। भारत देश के आसपास बहुत से मुल्क हैं। ऐसा कई बार होता है कि इन देशों से आकर कुछ लोग भारत में पनाह मांगते हैं। वो हमारे देश की शरण में आते हैं तो उनकी मदद करना हमारा फर्ज बनता है। खासतौर से वो लोग जो अपने किसी भी देश में धार्मिक रूप से परेशान किए जा रहे हैं। वो देश में शरण लेते हैं तो ये कानून उनके लिए मददगार हो सकता है। इस नियम के तहत वो अवैध माइग्रेशन की कार्रवाई से बच सकते हैं। CAA में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिश्चियन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बना दिया गया है।

कानून को लागू करने की शुरुआत कैसे होगी ?

इस कानून को लागू करने की शुरुआत कैसे होगी। CAA के जारी होने के बाद केंद्र सरकार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी। इसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल होंगे। सरकार ये भी बता चुकी है कि नागरिकता लेने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार हो चुका है। इसमें बाहर से आए लोगों को रजिस्ट्रेशन करना होगा। ये भी बताना होगा कि उन्होंने भारत में एंट्री कब ली थी। इसके बाद जरूरी जांच पड़ताल की जाएगी और फिर उन आवेदकों को नागरिकता मिलने का रास्ता आसान हो जाएगा, लेकिन उससे पहले सिटीजनशिप चाहने वाले व्यक्ति को अपने से जुड़ी कुछ डिटेल बतानी होंगी।
 
ये जानकारी देना जरूरी

नियमों के तहत भारत की नागरिकता लेने वाले विदेशियों को अपना नाम, माता-पिता का नाम, भारत में कब से रह रहे हैं और कहां, भारत में शरण लेने के लिए कब प्रवेश किया, कौन से देश से आए हैं, जिस देश से आए हैं, वहां कहां रह रहे थे। उसका राज्य, जिला और तहसील।
जब से भारत में रह रहे हैं। तब से अब तक की भारत में रहने का पता, मेल हैं या फीमेल, भारत में आने के बाद क्या काम कर रहे हैं, अगर नौकरी कर रहे हैं तो कंपनी या जहां नौकरी कर रहे हैं उसका एड्रेस। 

शरीर पर पहचान का कोई निशान। जिस देश से आए हैं, उस देश की डिटेल देने समेत ये भी बताना होगा कि आवेदक हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म में से किससे संबंध रखता है। अगर पासपोर्ट और वीजा की भी कोई डिटेल है तो वो भी देनी होगी। इस कानून से जुड़े 39 पेज के नोटिफिकेशन में सरकार ने बैचलर और शादीशुदा के लिए अलग-अलग फॉर्म भरने की व्यवस्था भी की है। इसमें तीन पड़ोसी मुल्क से आए विदेशी ने भारत आकर अगर किसी भारतीय से शादी कर ली है तो इसकी भी डिटेल शेयर करनी होगी। इसके लिए फॉर्म अलग से भरना होगा। इस फॉर्म में उन्हें ये जानकारी देना होगी कि भारत में उन्होंने किससे शादी की है। अपने स्पाउस से जुड़ी सारी डिटेल शेयर करने के अलावा भी फॉर्म भरना पड़ सकता है। अगर बच्चे भी हो चुके हैं तो। सरकार ने बच्चों की जानकारी हासिल करने के लिए अलग फॉर्म की व्यवस्था की है।

आपराधिक रिकॉर्ड भी करना होगा उजागर

CAA के तहत जो लोग नागरिकता लेना चाहते हैं उन्हें अपना बैकग्राउंड भी क्लियर करना होगा। अगर उन पर कोई क्रिमिनल केस दर्ज है या कोई आपराधिक रिकॉर्ड है तो उस से जुड़ा हुआ फॉर्म भी भरना होगा। उन्हें ये भी बताना होगा कि जो अपराध उनके नाम पर दर्ज है उसका स्टेट्स अब क्या है। वो जिस मुल्क से आए हैं वहां और किस-किस एक्टिविटी में शामिल रहे। अगर सरकार को लगता है कि ऐसे व्यक्ति को नागरिकता देना देश के लिए खतरा हो सकता है तो उसकी अर्जी खारिज भी की जा सकती है या दोबारा विचार के लिए रखी जा सकती है। फॉर्म में दी गई जानकारी में भी कोई गलती मिलने पर सारे फॉर्म कैंसिल किए जा सकते हैं।
 
हर शरणार्थी को नागरिकता मिलना आसान नहीं

हर शरणार्थी को नागरिकता मिलना आसान नहीं है। सारे दस्तावेजों की जांच के बाद सरकार संतुष्ट होगी तब ही उस व्यक्ति को CAA के तहत देश का नागरिक माना जाएगा। नागरिकता का सर्टिफिकेट भी डिजिटल रूप से यानी कि ऑनलाइन ही दिया जाएगा। कोई चाहेगा तो वो हार्ड कॉपी ले सकता है, लेकिन उसके लिए भी नियमों का पालन होगा।

किस पर नहीं पड़ेगा कोई असर 

CAA के लागू होने के बाद से मुस्लिम समुदाय का एक तबका इस बात से डरा हुआ है कि इसका असर उन पर भी पड़ सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। इस देश के मुस्लिम समुदाय पर CAA का कोई असर नहीं पड़ेगा। ये डर इसलिए बना हुआ है क्योंकि एक्ट के तहत दूसरे मुल्कों से आने वाले मुस्लिमों को नागरिकता नहीं मिलेगी, लेकिन उसकी भी एक वाजिब वजह है। इस एक्ट के तहत जिन तीन देशों को शामिल किया गया है, उन देशों में मुस्लिम तबका अल्पसंख्यक नहीं बल्कि बहुसंख्यक है। इसलिए वो CAA के तहत भारत की नागरिकता नहीं ले सकेंगे।

ये एक्ट जब से बनना शुरू हुआ और लागू हुआ है। देश के तमाम विपक्षी दल इसकी खिलाफत कर रहे हैं। 2019 में जब ये एक्ट केंद्र सरकार संसद में लाई थी तो ये तर्क दिया गया कि ये कानून भेदभावपूर्ण है। ये मुसलमानों को टारगेट करता है, जो देश की आबादी का लगभग 15 फीसदी हैं, लेकिन अब ये साफ हो चुका है कि देश के मुसलमानों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

CAA पर जल्द होगा अमल

ताजा विरोध CAA लागू करने की टाइमिंग को लेकर भी है। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव से पहले सरकार CAA का फायदा लेना चाहती है। असल में इस बिल पर 12 दिसंबर 2019 को मुहर लग गई थी। इसके बाद से अलग-अलग कारणों के चलते उसे लागू करने की समय सीमा करीब 8 बार बढ़ी। बीच में कोरोना आ गया और मामला टल गया और कभी विरोध प्रदर्शन की वजह से एक्ट का लागू होना टलता रहा, लेकिन अब इसे लागू कर दिया गया है और उम्मीद है जल्द ही इस पर अमल शुरू भी हो जाएगा।

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