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BHOPAL. हिंडनबर्ग, एक ऐसा नाम जिसने भारत के बाजार को हिला कर रख दिया, एक ऐसा नाम जिसने दुनिया के तीसरे सबसे अमीर गौतम अडाणी को सातवें पायदान पर पहुंचा दिया। पैसे के नुकसान की तुलना पाकिस्तान से की जाए तो पूरा पाकिस्तान 8 महीने बैठकर खा सकता था। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कितना नुकसान हो गया तो हम आपको बता दें कि अगर बिलियनेयर्स इंडेक्स की माने तो महज 6 घंटे में ही अडाणी को 71 अरब डॉलर का फटका पड़ा था, इसे अगर भारत की करंसी में बदला जाए तो ये राशि होगी करीब 5 लाख करोड़ रुपए होगी।
अडाणी-हिंडनबर्ग के बीच बयानबाजी
अडाणी को हिला कर रख देने वाले अमेरिकी निवेश शोध फर्म 'हिंडनबर्ग' ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर व्यापारिक 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाए थे। उसके बाद से अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग के बीच बयानबाजी चल रही है। अडानी समूह ने अमेरिकी रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट को झूठा करार दिया है, तो वहीं हिंडनबर्ग ने खुलकर अडानी समूह पर ‘भारत को लूटने’ का आरोप लगा रहा है। आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन इन सब के बीच हम आपको बता रहे हैं इस अमेरिकी कंपनी का कैसे हुआ उदय, क्या है इसका उद्देश्य और कौन है इसके संस्थापक जानिए सब कुछ।
क्या था हिंडनबर्ग हादसा?
इतिहास में 6 मई 1937 एक काले दिन के तौर पर याद किया जाएग। दरअसल 6 मई साल 1937 को एक घटना घटी, जर्मनी के प्रसिद्ध एयरशिप 'हिंडनबर्ग' अमेरिका के न्यू जर्सी के पास नेकहेर्स्ट नेवल एयरस्टेशन पर उतरने वाला था। लेकिन कुछ समय पहले ये एयरशिप एक बड़े हादसे का शिकार हो गया। हादसे के वक्त विमान में कुल 97 लोग सवार थे, उनमें से 35 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। उस समय का ये एयरशिप सिगार के आकार जैसा बड़ा और गैस बैग जैसा होता था, इसके मेटल फ्रेम में हाइड्रोजन गैस भरी होती थी। जिस वक्त यह हादसा हुआ तब हिंडरबर्ग एयरशिप करीब 650 फीट की ऊंचाई पर था, उसमें सवार कुछ लोगों ने एयरशिप से कूदकर अपनी जान बचाई थी। हालांकि इस बात पर आश्चर्य है कि 650 की ऊंचाई से छलांग लगाकर कोई कैसे बच सकता है।
आखिर क्या थी हादसे की वजह
इस एयरशिप हादसे की असल वजह अब तक साफ नहीं हो सकी है, लंबे समय तक शक की सुई अमेरिका की तरफ रही। ऐसा कहा गया कि अमेरिका ने तकनीकी हमले को अंजाम दिया था। बहुत लोगों का मानना था कि तेज़ी से आग पकड़ने वाली हाइड्रोजन गैस की वजह से ये हादसा हुआ था। कुछ जर्मन लोगों ने नाजी शासन पर हादसे को लेकर सवाल उठाए थे और ये आशंका जताई थी कि हादसा उनके कारण हुआ। तो वहीं नासा ने अपने शोध में कहा एयरशिप के बाहर कपड़े पर लगे ज्वलनशील वॉर्निश के चलते ये हदासा हुआ। खैर, हिंडनबर्ग का हादसे का शिकार होना इसकी निर्माता कंपनी डॉयचे जेपलिन के लिए बहुत बड़ा झटका था।
हिंडनबर्ग हादसे और रिसर्च फर्म का नाम को लेकर क्या है कनेक्शन
अडानी ग्रुप और भारत में 'आर्थिक भूचाल' लाने वाली हिंडनबर्ग कंपनी का दावा है कि गैस के गुब्बारे वाले हिंडनबर्ग की तरह ही वो शेयर मार्केट में हो रहे गोलमाल और गड़बड़झालों पर नजर रखती है। उनकी पोल खोलना और सच सामने लाना इसे अपना उद्देश्य बताती है। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना नाथन एंडरसन ने की थी, वो येरुशलम से हैं। उन्हेंने अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से उन्होंने इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है।
हिंडनबर्ग की कार्यशैली और उससे जुड़े विवाद
साल 2020 के बाद से कंपनी 30 रिपोर्ट निकाल चुकी है, और अगर इन 30 कंपनियों के स्टॉक की औसत रिपोर्ट देखें तो इनके शेयरों में करीब 15% तक की गिरावट देखी गई। वहीं, छह महीनों में औसतन 26% की गिरावट देखी गई। इन्होंने 2020 में निकोला ( Nikola) के बारे में रिपोर्ट निकाली थी, जिसके बाद कंपनी के शेयर 94% तक गिर गए थे।
शॉर्ट सेलिंग पर चल रही है जांच
हिंडनबर्ग फर्म के खिलाफ यूएस का डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस जांच कर रहा है कि ये हेज फंड्स के साथ मिलकर शॉर्ट सेलिंग कर रही है, लेकिन ये पहले से ही बताते हैं कि ये उस कंपनी में शॉर्ट हैं और उनके निवेशक भी इसमें शॉर्ट लेते हैं, जिसके बाद रिपोर्ट जारी की जाती है। रिपोर्ट पब्लिश करने से पहले यह 10 निवेशकों के साथ शेयर किए जाते हैं। कंपनी खुद को खुलेआम एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर बताती है। शॉर्ट सेलिंग का मतलब किसी स्टॉक, सिक्योरिटी या कमोडिटी की सेलिंग ट्रिगर करवाना, ताकि डिलीवरी टाइम के पहले उसकी कीमत गिर जाए और उसे कम कीमत पर खरीदा जा सके।