हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक, शरद पूर्णिमा, टेंपल ऑफ संबोधि में वेदांत संत लाल साईं जी महाराज के पावन सानिध्य में आज यानी 16 अक्टूबर बुधवार को रात्रि 9 .30 बजे से 11.00 बजे तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह पर्व भक्ति, प्रेम, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। शरद पूर्णिमा का खास महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं।
चंद्रमा की किरणें का महत्व
शरद पूर्णिमा पर मान्यता है कि इस रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती हैं, जो शरीर को स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्रदान करती हैं। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा रचाए गए 'महारास' का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह लीला भगवान और भक्त के बीच के अनन्य प्रेम और आत्मिक संबंध का प्रतीक है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात खीर का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंद्रमा की किरणों से युक्त खीर का सेवन शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस अवसर पर भक्तों के लिए खीर प्रसाद का वितरण किया जाएगा, जिसे चांदनी रात में चंद्रमा की किरणों के नीचे रखा जाएगा। मान्यता है कि इस खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं, जो आरोग्यता प्रदान करते हैं और शरीर में ऊर्जा का संचार करते हैं। इसके साथ ही, कोजागरी व्रत के अंतर्गत माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता लक्ष्मी इस रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जागरण करने वाले भक्तों को धन-धान्य से समृद्ध करती हैं।
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