आचार्य विद्यासागर का 79वां अवतरण दिवस आज, जानें उनसे जुड़ी खास बातें

समाज के वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने 3 दिन के उपवास के बाद अपना देह त्याग दिया था। अब आप ये सोच रहे होंगे की आखिर आचार्य विद्यासागर महाराज जी कौन हैं तो आइए बताते हैं। 

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Dolly patil
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आचार्य विद्यासागर महाराज
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देशभर के जैन समाज के लिए 18 फरवरी 2023 का दिन सबसे कठिन था। दरअसल इस दिन समाज के वर्धमान कहे जाने वाले संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि लेते हुए 3 दिन के उपवास के बाद अपना देह त्याग दिया था। इसी के साथ आचार्य विद्यासागर महाराज का 79वां अवतरण दिवस आज भक्ति भाव से दिगंबर जैन पंचायत ट्रस्ट कमेटी में मनाया जाएगा।

श्रीजी के अभिषेक शांति धारा पूजन-अर्चना कर आचार्य श्री विद्यासागर विधान मंडल पूजा-अर्चना कर धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करेंगे। साथ ही शाम को महाआरती विल्सन जैन के द्वारा भजन-कीर्तन के बाद अतिथियों द्वारा आचार्य के चित्र का अनावरण दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ होगा।

कौन थे आचार्य विद्यासागर महाराज 

आचार्य विद्यासागर महाराज जैन धर्म के एक महान संत और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1946 में कर्नाटक के बेलगावी जिले के सदलगा में हुआ था। उनका जन्म नाम विद्याधर था।

प्रारंभिक जीवन

विद्याधर बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे। उन्होंने संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, मराठी और कन्नड़ भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने जैन दर्शन और धर्म का भी अध्ययन किया।

दीक्षा

1866 में 20 वर्ष की आयु में, विद्याधर ने आचार्य ज्ञानसागर जी से जैन दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा के बाद, उन्हें 'विद्यासागर' नाम दिया गया।

कार्य

आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपना जीवन जैन धर्म के प्रचार और समाज सुधार कार्यों में समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत के कई हिस्सों में यात्रा की और जैन धर्म के बारे में लोगों को शिक्षित किया। अनेक जैन मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण भी करवाया।

विद्यासागर महाराज के बारे में ये भी जानिए

  • उन्होंने जैन धर्म के प्रचार और समाज सुधार कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
  • उन्होंने भारत के कई हिस्सों में यात्रा की और जैन धर्म के बारे में लोगों को शिक्षित किया।
  • उन्होंने अनेक जैन मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण भी करवाया।
  • उन्होंने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • उन्होंने महिला शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया।
  • उन्होंने अस्पृश्यता का विरोध किया और सभी लोगों की समानता के लिए लड़ाई लड़ी।
  • वे एक विद्वान भी थे और उन्होंने कई जैन ग्रंथों पर टीकाएं लिखीं।

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