कौन हैं बिलकिस बानो? घटना के दिन उनके साथ क्या हुआ? परिवार के सात लोगों की कैसे हुई हत्या?

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Pratibha Rana
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कौन हैं बिलकिस बानो? घटना के दिन उनके साथ क्या हुआ? परिवार के सात लोगों की कैसे हुई हत्या?

BHOPAL. गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को अहम फैसला सुनाते हुए दोषियों की जल्द रिहाई का फैसला रद्द कर दिया। कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना। SC ने कहा कि महिला सम्मान की हकदार है। राज्य इस तरह का निर्णय लेने के लिए 'सक्षम नहीं' है और इसे 'धोखाधड़ी वाला कृत्य' करार दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरथाना और उज्जल भुइयां की बेंच ने फैसला सुनाया। दरअसल अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बिलकिस के दोषियों को जेल जाना होगा।

आखिर 21 साल से भी ज्यादा पुराना बिलकिस बानो मामला एक बार फिर चर्चा में है। आइए डिटेस में जानते है कि क्या हैं बिलकिस की कहानी, कौन हैं बिलकिस बानो? उनके परिवार के सात लोगों की हत्या कैसे की गई...

5 महीने का गर्भ, गैंगरेप और 3 साल की बेटी समेत 7 लोगों की हत्या.....

कौन हैं बिलकिस बानो?

3 मार्च 2002 को बिलकिस के परिवार के लिए सबसे घटिया दिन था। 2002 गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानों के साथ गैंगरेप हुआ था। 21 साल की बिलकिस का परिवार, उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ 15 अन्य सदस्य को क्रूरता का सामना करना पड़ा था। दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारा दिया था। दरअसल गुजरात में 27 फरवरी 2002 गोधरा कांड हुआ था। 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ। आरोपी राधेश्याम शाही,जसवंत चतुरभाई नाई, केशुभाई वदानिया, बकाभाई वदानिया, राजीवभाई सोनी, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नाई,मितेश भट्ट और प्रदीप मोढिया ने इस घटना को अंजाम दिया था। आरोपियों ने उसके परिवार के सात सदस्यों को भी मौत के घाट उतार दिया। कहा जाता है कि जब बिलकुस बानो के साथ गैंपरेप हुआ था, तब बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थी। सभी आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार कर लिया गया था। ये मामला अहमदाबाद की कोर्ट में चल रहा था, लेकिन बाद में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था।

कौन-कौन हैं दोषी

बिलकिस बानो केस में राधेश्याम शाही, जसवंत चतुरभाई नाई, केशुभाई वदानिया, बकाभाई वदानिया, राजीवभाई सोनी, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नाई, मितेश भट्ट और प्रदीप मोढिया है।

बिलकिस के साथ क्या हुआ था?

जानकारी के मुताबिक दाहोद जिले के राधिकपुर गांव में बिलकिस बानो का परिवार रहता था। 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई थी। पूरा गुजरात जल रहा था। इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। आगजनी की इस घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे। राज्य में हिंसा भड़क गई। दंगा बढ़ते देख बिलकिस बानो का परिवार काफी डर गया था। परिवार ने गांव छोड़ने और कहीं सुरक्षित स्थान पर जाने का फैसला लिया। उस वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। वह अपने साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ गांव से भाग गईं। 3 मार्च 2002 को परिवार चप्परवाड़ गांव पहुंचा और वहां एक खेत में छुप गया। यहां पर दोषियों ने उन्हें ढूंढ लिया। दंगाईयों ने तलवार और लाठियों से बिलकिस और उनके परिवार पर हमला कर दिया। इससे बिलकिस की साढ़े तीन साल की बेटी और सात लोगों की मौत हो गई।

बिलकिस के परिवार में किसकी हुई हत्या, कौन बचा ?

बिलकिस की मां और चचेरी बहन के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। बिलकिस के चार नाबालिग भाई-बहन, उनकी चचेरी बहन का दो दिन का बच्चा, चाची-चाची, अन्य चचेरे भाई-बहनों को दोषियों ने मौत के घाट उतार दिया था। जबकि बिलकिस, उनके परिवार के पुरुष सदस्य और एक तीन साल का बच्चा बस बच सका था। इस घटना के बाद बिलकिस बेहोश हो गई थी। होश में आने के बाद उन्होंने एक आदिवासी महिला से कपड़े उधार लिए थे।

2008 में दोषियों को मिली थी उम्रकैद की सजा

21 जनवरी 2008 को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। स्पेशल कोर्ट ने 7 दोषियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। जबकि एक दोषी की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही बिलकिस को नौकरी और घर देने का आदेश भी दिया था। कहा जाता है कि जब

बिलकिस बानो को जान से मारने की धमकी मिलने लगी थी। धमकियों की वजह से उन्हें दो साल में बीस बार घर बदलने पड़े थी। बिलकिस ने न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी।

याचिका में फैक्ट छिपाकर निर्देश देने की मांग की थी

सुनवाई के दौरान 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कोर्ट के मई 2022 के आदेश पर हमारे निष्कर्ष हैं। प्रतिवादी संख्या 3 ने यह नहीं बताया कि गुजरात हाई कोर्ट ने CRPC की धारा 437 के तहत उसकी याचिका खारिज कर दी थी। प्रतिवादी संख्या 3 ने यह भी नहीं बताया था कि समयपूर्व रिहाई का आवेदन महाराष्ट्र में दायर किया गया था, ना कि गुजरात में। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, महत्वपूर्ण फैक्ट को छिपाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर दोषी की ओर से गुजरात राज्य को माफी पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में 11 दिन चली थी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने फैसला सुनाया था। बेंच ने पिछले साल 12 अक्टूबर (2023) को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले पर अदालत में लगातार 11 दिन तक सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने से जुड़े ओरिजिनल रिकॉर्ड पेश किए थे। गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को सही ठहराया था। समय से पहले दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी उठाए थे। हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि वो सजा माफी के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि दोषी कैसे माफी के योग्य बने।

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