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NEW DELHI. नए गठबंधन I.N.D.I.A. ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करके केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष के सवालों पर सटीक जबाव दिए। इससे सवाल उठे कि दोनों गठबंधन INDIA और NDA में से इस अविश्वास प्रस्ताव का किस पर कितना फर्क पड़ा।
2 घंटे 12 मिनट बोले पीएम
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य सरकार गिराना नहीं, मणिपुर पर प्रधानमंत्री की चुप्पी तोड़ना है। इस प्रस्ताव के दौरान विपक्षी दल ने मणिपुर को लेकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। लेकिन, इसके जवाब में पीएम मोदी ने करीब सवा 2 घंटे तक विपक्ष पर वार किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के अतीत, वर्तमान और भविष्य को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आज हमारी सरकार ऐसे मोड में काम कर रही है कि अगले 1 हजार साल तक भारत का जनमानस उस पर गर्व करेगा।
क्या बीजेपी विपक्ष पर पड़ी भारी ?
बता दें कि बीजेपी के पास बहुमत के लिए 273 के आंकड़े के मुकाबले कहीं अधिक 300 से भी ज्यादा सीटें हैं। प्रस्ताव के दौरान निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा के जरिए नेहरू-गांधी के परिवार को घेरा। इसके साथ ही पीएम मोदी ने इंदिरा गांधी की सरकार के समय 5 मार्च 1966 को मिजोरम में वायुसेना के इस्तेमाल का जिक्र कर कांग्रेस पर सवाल उठाए। इसके साथ ही पीएम ने विपक्ष पर पूर्वोत्तर की तबाही का बीज डालने का इल्जाम लगाया।
क्या I.N.D.I.A. ने विश्वास प्रस्ताव पेश कर खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारी ?
संसदीय मामलों के जानकार अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि कांग्रेस का इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के पीछे का उद्देश्य मणिपुर चर्चा करना ही था। पीएम मोदी को भी अपने संबोधन की शुरुआत इसी मुद्दे को लेकर करनी चाहिए थी, लेकिन मणिपुर का जिक्र उन्होंने अपने संबोधन के अंत में किया। राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि इस दौरान विपक्ष असफल रहा क्योंकि जब पीएम ने कांग्रेस के इतिहास के पन्ने पलेटे, वो विपक्ष पर भारी पड़ गया। वहीं एक और जानकार ने भी कांग्रेस के इस प्रस्ताव को विफल बताया। उन्होंने कहा कि विपक्ष कई अन्य मुद्दों पर भी बीजेपी को घेर सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव लाने की क्या जरुरत थी जब कांग्रेस के पास बोलने के लिए लोग ही नहीं थे।