BHOPAL. देशभर में आज 26 जनवरी को 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को ही लागू किया गया था। संविधान बनाने के लिए संविधान सभा को 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे थे। इस दौरान संविधान की सभा की कई सभाएं हुई थीं और संविधान की प्रति पर 284 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए थे। इन 284 लोगों में 15 महिलाएं भी शामिल थीं।
आखिर संविधान किसने लिखा?
देश का संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है। डॉक्टर बीआर अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा के अध्यक्ष थे, इसलिए उन्हें संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन प्रेम बिहारी ने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी लिखी थी। माना जाता है कि संविधान लिखने के लिए प्रेम बिहार को लगभग छह महीने लगे थे और इसे लिखने के लिए 432 से ज्यादा निब घिस गई थीं। वहीं संविधान की हिंदी कॉपी वसंत कृष्ण वैध ने लिखी।
संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी में इतने शब्द
डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन प्रेम बिहारी ने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी लिखी थी। इस काम में उन्हें 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गईं। संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने और 17 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान एडॉप्ट किया। हालांकि, कानूनी रूप से इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, जिस दिन हम सब रिपब्लिक डे मनाते हैं। भारत के संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी में 1 लाख 17 हजार 369 शब्द हैं। जिसमें 444 आर्टिकल, 22 भाग और 12 अनुसूचियां हैं।
संविधान की मूल कॉपी इतने इंच लंबी और चौड़ी
संविधान की मूल कॉपी 22 इंच लंबी और 16 इंच चौड़ी थी। इसका वजन 13 किलो है। संविधान की पांडुलिपि 45.7X 58.4 सेंटीमीटर के पार्चमेंट पेपर पर लिखी गई। बता दें, इस वक्त यह हस्तलिखित प्रतियां संसद भवन की पुस्तकालय में रखी हुई हैं। यहां इन्हें हीलियम के एक डिब्बे में रखा गया है, जिसमें नाइट्रोजन गैस भरी हुई है। इस कारण अभी तक यह हस्तलिखित प्रतियां खराब नहीं हुई हैं।
15 महिलाएं कौन थीं
संविधान सभा में जो 15 महिलाएं थीं, इनमें आरबीआई के पहले भारतीय गवर्नर सीडी देशमुख की पत्नी दुर्गाबाई देशमुख भी थीं। साथ ही, कुछ अन्य महिलाएं जैसे विजयलक्ष्मी पंडित, सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, दक्षिणायनी वेलायुदन, बेगम रायसुल का संविधान निर्माण में खासा योगदान रहा है।
क्या है भारत का संविधान?
भारत का संविधान एक दस्तावेज है, जो भारत के लोगों और सरकार के बीच संबंधों को निर्धारित करता है। यह देश के कानूनों और संस्थानों की नींव है। संविधान में भारत को एक गणतंत्र के रूप में घोषित किया गया है, जिसमें एक लोकतांत्रिक सरकार है। संविधान में नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।
भारतीय संविधान में निम्नलिखित प्रमुख विषयों को शामिल किया गया है:
- राज्य का स्वरूप: संविधान में भारत को एक गणतंत्र के रूप में घोषित किया गया है। भारत में एक लोकतांत्रिक सरकार है, जिसमें लोगों का प्रतिनिधित्व संसद द्वारा किया जाता है।
- सरकार की संरचना: संविधान में सरकार की तीन शाखाओं, अर्थात् कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक शाखा के पास अपनी शक्तियां और जिम्मेदारियां हैं।
- नागरिकों के अधिकार और स्वतंत्रता: संविधान में नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- कानून के समक्ष समानता
- धर्म की स्वतंत्रता
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- सभा की स्वतंत्रता
- संघ बनाने की स्वतंत्रता
- संपत्ति की स्वतंत्रता
राज्य के नीति निदेशक तत्व: संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है। ये सिद्धांत राज्य को समाज के कल्याण के लिए कार्य करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इनमें शामिल हैं:
- सामाजिक न्याय
- आर्थिक न्याय
- समानता
- धर्मनिरपेक्षता
- पंथनिरपेक्षता
- न्याय
- शान्ति
- प्रगति
भारतीय संविधान एक जीवित दस्तावेज है, जिसे समय के साथ बदला जा सकता है। संसद संविधान में संशोधन कर सकती है। संविधान में अब तक 124 संशोधन किए गए हैं। ये लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करता है। यह देश को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।